1. आजादी
दोस्तों जब से मैंने होश संभाला हैं तब से ही सुनते आ रहा हूँ , की वह देश उस देश से उस
सन में आजाद हुआ था ! अंग्रेज़ो, यहददयों , मुगलों , पुरत्कालीन , डच आदद आदद ने
सालो साल ककसी ना ककसी को कभी ना कभी जरूर गुलाम बनाया होगा !
कोई देश फलाने फलाने साल तक गुलाम रहा , और कोई आज़ाद देश होते हुये गुलाम देश
भी रखता था !
आज तक कोई ने दो नौओ में एक साथ कभी सवारी करी हैं ?
अब मेरे जहन में एक प्रशन यह उठता हैं की आज़ादी का सही मतलब ककया है ? अगर आपका
कोई गुलाम है तो ही क्या आप आजाद हैं या आजादद का और कोई मतलब होता होगा ?
दोस्तों आज मेरे चश्मे से हम आज़ादी देखेगें , आजादी का मतलब हैं , मेरे ख्याल से बंददश
रदहत , बबना कोई बंददश ! अब आप सोचेगें की अगर कोई बन्ददश ही नहीं हैं तो आप हर
तरफ से फ्री हैं !
अगर त्याग की भावना से आप बन्दिश रहित िै िो आप सदत फकीर की श्रेणी में
आयेँगे !
अगर आप सामान्जक गुलामी से छ
ु टकारा पाकर सामान्जक आजादी वालल श्रेणी मैं आना चहतें हैं
तो आपको सबसे पहले ताकतवर बनना पड़ेगा और उस आजादी को पाने क
े ललये , उसे बरकरार
रखने क
े ललये आपको नीचे ददये गये गुणो को अपनाना भी जरूरी होगा !
आपको सच्चाई से समय समय पर मुूँह मोड़ना होगा , गगरगगट की तरह रंग बदलना पड़ेगा ,
दोगला और बहुरूपपया व्यहार रखना होगा , opportunist बनना पड़ेगा , जीत और हर की रेस
में हमेशा जीत और अब्बल आना पड़ेगा , दो बबन्ललयों की लड़ाई में आपको बंदर की भलमका
ननभाना पड़ेगा , डडवाइड और रूल को अपनाना होगा , दहंसा और लट को अपनाना होगा , कई
वार समाज को अंधकार में रखना होगा , सत्य को दबा क
े असत्य को ही सत्य बताना होगा !
राजा - बादशाह - नेता अलभनेता - तानाशाह - जललाद - अमीर - बलवान - अहंकार -
अलभमान जैसे पवचारो का दास होना भी जरूरी होगा ! जो जीता वही लसक
ं दर याने आजाद
होगा !
2. हमने ऊपर दोनों आजादी को देखा और मेरे ख्याल से बन्ददश रदहत का मतलब आज़ादी ! फक
क
जमीन आसमान का हैं एक को साध कहा जाता है और दसरे को शैतान !
कहने और सुनने से क
ु छ नहीं होता है हम इसको आज देखेगें और पखेगें !
क
ु दरत क
े ललये आप लसफ
क एक मात्र प्राणी हो , क
ु दरत आपको सब क
ु छ जीने क
े ललये मुफ्त
देती हैं ! क
ु दरत आपसे ना आज़ादी मांगती हैं ना गुलामी ! आप इस धरती पर क
ु छ ददनों क
े
प्रवासी हो ना की स्थाई ननवासी !
क
ु दरत ने सबको अपने अपने ढंग से जीने का परा अगधकार ददया है ! मात्र हम अपने समाज
में रहते हैं इसीललये हमने इलसकों सामान्जक प्राणी और जंगली प्राणी इन दो श्रेणी में बाूँट ललया
हैं ! चललये हम अपने आज क
े समाज की पररभाष में आज़ादी का मतलब समजने कक कोलशश
करते हैं !
हमने अपने समाज को कई महादीपो , दीपो, देशो , प्रांतो , शहर , गाूँव में बाूँट ददया है !
अब आपक
े मन में जरूर एक सवाल उठेगा कक हमने इसे क्यों बांटा ?
जब हमने क
ु छ लटा होगा तो ही बाटा होगा ! जब लटा होगा तो हम लालची , दगेबाज ,
लड़ाक , खंखार , ताकतवर भी रहे होंगें !
लटना ,न्जतना , हराना , नछनना ,यह सबकी मनशा तो होती नहीं हैं ! यह पवचार व्यन्क्तगत
हो सकते हैं ! जब ककसी इदसान को इस तरह क
े ख्याल आ जाते हैं कक इसमे मेरा व्यन्क्तगत
फायदा हैं तो कफर वह अपने पवचोरों वालों कक खोज में लग जाता हैं , न्जसे हम एक ग्रुप ,
कबीला , समुदाय का रूप दे देते हैं !
जब जब इदसान ने अपने पसंद क
े ग्रुप कबीले समुदाय बनाये होंगे तो वह छोटे छोटे रूप मेँ
होंगे यह मेरा अनुमान हैं !
जैसे आप को क
ु दरत ने अच्छे वातावरण मेँ जम्न ददया तो आप हशपुष्ट बन गये ! थोड़ा जादा
ददमाग हैं तो आप ने कोई पवध्या सीख लल जैसे पढ़ाई , लशकार , तैरना , लशलप कला , बुनकर
, आदद आदद !
3. समय क
े दहसाब से आप को क
ु दरत क
े जेनेदटक जीदस देकर बचपन से उस जीदस क
े कारणो
से आपकी रुगच उसी और बन गई होगी ! और धीरे धीरे समाज का ननमाकण हुआ होगा ऐसा
इनतहास और मैं भी मानता हूँ !
मनुष्य सबसे पहले अपना फायदा देखता है ! मेरे दहसाब से यह सोच हमे क
ु दरत ही देती होगी
, यह मान कर क
े हम अपने फायदे क
े साथ साथ दसरों का नुकसान कर क
े भी अपना फायदा
उसमे से ननकाल लेते है ! लेककन जब अपने फायदे क
े ललये आप ककसी और का नुकसान
करते हैं तो उस पर क्या गुजरती होगी ? कभी आपने सोचा हैं !
इंसान पहेले अपने फायदे क
े ललये गलत काम शुरू करता है ! कफर वही काम अपने पररवार क
े
ललये करना शुरू कर देता है ! धीरे धीरे उसे लगता है , अगर कोई को गलत काम पर लशकयात
होगी तो कफर वह इस डर से अपना ग्रुप समह बनाने लगता है ! उसे अपने पवचोरो वालों को
अपने पररवार वालों को धीरे धीरे अपनी एक जाती पेशा बना लेता है ! और उसका धीरे धीरे
गाूँव शहर राज्य देश उसे कफर परे समाज में एक यवस्था का रूप दे देता है ! की फलानी
फलानी जाती कसवा लसफ
क और लसफ
क वही काम करेगें न्जसका जौर कम होता हैं उसे वह दवाव
में आ कर करना पड़ता होगा !
जाती धमक से ही समाज का बटवारा भी होने लगता हैं ! कई वार जाती क
े कारण धमक
पररवतकन हो जाते हैं ! आज क
े समाज की सबसे बड़ी समस्या जाती धमक हैं ! और इसका
समाज में बहुत बड़ा आकार ले लेना यह भी आज क
े ददन समाज की सबसे बड़ी चुनोनत है की
इसका मल कारण आखखर क्या हैं गरीबी अशक्षिता अंधपवश्वास या राजननतक पादटकया !
पावर क
े ललये आपको वोट बहुत जरूरी हैं , वोट की राजनीनत दटककट पवतरण पर आधाररत है ,
दटककट पवतरण जाती समीकरण पर आधाररत होता हैं !
पावर में आने क
े ललये हर राजनीनतक पाटी हर जाती को ललचाने और उनको कई लाभ वाली
योजना देते हैं ! जीतने क
े बाद नेता कोलशश करते ये या नहीं परदतु यह लसललसला चलता ही
आ रहा हैं !
आप लशिा से गरीबी दर कर सकते हैं परदतु जाती और धमक से समाज को अलग नहीं कर
सकते हैं ! कोई भी इंसान अपने मन से अपनी जाती या धमक नहीं अपनाता हैं ! हर इंसान का
धमक ननजी है और मेरे ख्याल से लशिा क
े माध्यम से ही समाज सुधरता है ! हर इंसान को
जीने का एक जैसा अगधकार है !
4. एक उज्ज्वल भपवष्य और सुंदर समाज की ननव लशिा होना चादहये ! हमारा खन एक है
हमारी जरूरत एक हैं , हम अनेकों में एक हैं !
और हम सब लमल कर आजादी से न्जये और दसरों को भी जीने दे !
मानव सेवा सबसे बड़ा धमक हैं और इंसाननयता हर इंसान की सबसे बड़ी जाती और आजादी से
जीने का अगधकार हर कोई को क
ु दरत ने ददया हैं !
पक्षियों से प्रेणा लमलती हैं वह क
ै से एक झुंड में रहते है और एक साथ रहने से उनमे एकता
नजर आती है , साथ में उड़ने से ऊजाक लमलती हैं ! न्जसक
े कारण वह ऊचे और दर तक उड़
सकते हैं ! झुंड में हर पिी एक जैसा ही ददखता हैं ! उड़ते वक्त न कभी आपस में कोई पिी
टकराता है ना कोई ककसी से लड़ता है !
आजादी से नील गगन में हजारो लमलो की दरी तय कर क
े अपनी अपनी मंन्जल पर हर पिी
पहुूँच ही जाता है , उसे कोई बंददशों का सामना नहीं करना पड़ता है मेरे ख्याल से यही है
असली आजादी !
हमे आने वाले कल क
े ललये क
ं धे से क
ं धे लमला कर चलना होगा , परा ब्रामण्ड , कायनात एक
समाज हैं मेरा ही एक पररवार है यह सोच लानी होगी ! लमलकर एकता से हर बुरे भले वक्त
का सामना करना होगा और सारी बुराइयों को समाज से ननकाल क
े बाहर फ
े कना होगा !
पढ़ाई पर ध्यान देना होगा अंध पवषवास को दर करना होगा और असली आजादी को पहचानना
होगा !
आजादी हमारा जदम लसद्ध अगधकार हैं !
धदयबाद
वीरेंद्र उफ
क कक्क
23/09/2021