Hindi bi-weekly issue
05th June 2020
Edition 35ी. शािं तलालजी म थाु
सं थापक, BJS
संपादक
क
कलम से
िनरजन जवा जैनं ंु
सद य - BJS रा ीय कायका रणी सिमित
ि य नेही वजन,
5 जन को सपं ण िव म पयावरणू ू
िदवस मनाया गया िजसका उ े य मानव
को व-जाग कहोकरसि के सरं णहेतृ ु
सकं ि पतहोने काहै. कितके मह वऔरृ
सि के सतं लन म पयावरण क भिमका सेृ ु ू
हमप रिचतह,िफरभीआखं मंदेहएह.ू
मानव स यताओं के िवकास के
साथ कित व पयावरण से िखलवाड़ काृ
दौर ारभं हआ, जो गहन औ ोगीकरण के
साथ उन चरण सीमाओंको पार कर गया
जहां से मानव स याताओं के िवनाश का
काल ारभं होताहै.
ाकितक आपदाएंजैसे अनावि ,ृ ृ
अितवि , भकं प, अकाल और कोरोना,ृ ू
यह सब पयावरण से िखलवाड़ के प रणाम
ह, जो हम आगाह ही नह करते अिपतु
गलत वि य के िव प रणाम भगतनेृ ु
क प चेतावनी भी दते े ह. िक त यहु
िवचार कर िक कित हई है, वयं कोृ
समझा लेना िकतना उिचत है? पयावरण
िदवसमा औपचा रकतानहोअिपतसिु ृ
और मानव पीिढ़य के 'सरं ण व िवकास
कािदवस'बने,इसमहीसबकािहतहै.
डॉ सषमा िसघवी - एमरे ीटस ोफे सर, स कत एवं ं ंु ृ
ाकत,जेवीबीआइिविव,लाडन.पवअ य ,राज थानस कतं ंृ ू ू ृ
अकादमी.पविनदेशक,वधमानमहावीरखलािविव.ू ु
प वी पर ाण और वन पितय का सदा एक सतं लन रहा है. सहजृ ु
सतं लन कित का वाभािवक गण है. यही पयावरण है. िव यव था काु ृ ु
आधारआदान- दान पय हैजैसेअि नमसोमक आहित दानहैऔर
अि न के ारा सोम का अगं ीकरण आदान है. सय से जो सौर -अि न प वी परृू
पड़तीहै,प वीके ारावन पितमउसका हणहोताहै.िक तमन यके ाराजबजबअपनीबिृ ु ु ु
सेइस ाकितकआदान दानय मप रवतनयातथाकिथतिवकासिकयागयातबतब कितकेृ ृ
ारामानवदि डतिकयागया,यहपयावरण दषण काप रणामभीकहागया.ू
प चमहाभत,सय,चं तथासम त ािणय मसम वयका व पिशवके पमभारतू ू
िति तहआ. प वी(धरती),जल,तेज,वाय,आकाश,सय,चं ,होता(य कताजीव)येआठृ ु ू
भगवानिशवक मितयाह,इ हिशवके आठशरीरभीकहतेह.सपं णससं ार िशवके इन 8शरीरँू ू
या8मितय मसमायाहआहै.िशवके शरीरप वीआिदशवनह ह,चेतनऔर ाणवानह. िशवृू
क येआठ 8मितयामतयाजड़यामतक ितिनिधनह ह य िकमतपदाथमजब ाण ित ाँ ृू ू ू
क जातीहै,तभीउसेमितकहतेहऔर तब उसेचेतनके समानमानकरपजाआिदअन ानिकयेू ू ु
जातेह. कितऔरपयावरणके सभीघटक ाणवानहऔरसम त ािणय के जीवन-र कह.ृ
(१)िशवकाशव पप वी-मितसेजगतकोधारणकरनेक शि वालाहै.ृ ू
(२)िशवकाभव पजलमितसे ाणशि वालाहै.ू
(३)िशवका पतेजमितसेऊजा शि वालाहै.ू
(४)िशवकाउ पवाय मितसेपोषण शि वालाहै.ु ू
(५)िशवकाभीम पआकाशमितसेतमोनाशशि वालाहै.ू
(६)िशवकाईशान पसय मितसे ान- काश शि वालाहै.ू ू
(७)िशवकामहादवे पचं मितसेदवै ी शि वालाहै.ू
(८)िशवकापशपित पहोता मितसेजीव-र ाशि वालाहै.ु ू
पर हाय ! कै सी िवडंबना है ? िक म हाथ म माला लेकर 'ॐ नमः िशवाय' 'ॐनमः िशवाय'
भजतीहई जपतोजीवतं िशवक मितकाकरतीह,िक तमउपािसकाहशव क .ता पययहहैँ ँू ु
िकअपनीजीवनशैलीमशव के बीचउठने-बैठने-रहनेलगीह.पैसा-मकान-आभषणयाफन चरँ ू
आिद सभी प वी -पेड़ के शव ह ,ऐसे प र ह का सं ह करने म तन -मन -धन लगाती ह ,इनमृ ँ
आस होती ह ,पर त जीिवत ािणय : धरती-पवत, नदी -पानी जलचर , अतं र -वाय , वन -ँ ु ु
वन पित, पश -प ी, मन य: बालक -यवा -व आिद के जीवन क सर ा और िवकास के िलएु ु ु ृ ु
अपना तन -मन धन समिपत नह करती ह. इसीिलए म कहती ह िक म शवोपािसका हो गई ह ,यहँ ँ ँ
बहतशोचनीयहै.
इस िवडंबना को समझना होगा अ यथा पयावरण दषण और पा रि थितक यू
असतं लसन के द प रणाम क घातक िवभीिषकाएंबढ़ती जाएगं ी. पयावरण िदवस पर हम आ म-ु ु
िनरी ण करके शव के थान पर िशव के सभी जीवतं - ाणवान प क उपासना करनी होगी ,
तभीहमपयावरणसरं णकरपाएगं े.
पयावरण -संर ण :
उपासना िशव क या शव क ?
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#BJS
Contd...
Hindi bi-weekly issue 5th June 2020
जैन दशन म भी पयावरण - सरं ण हेत अिहसं ा औरु
अप र ह पर बहत बल िदया है. जैन दशन म एके ि य जीव :
प वीकाय, अपकाय, तेउकाय,वायकाय और वन पितकाय कोृ ु
थावरजीव मानागयाहै.इसके अित र दोइि यवालेशखं आिद
जीव;तीनइि यवालेजंआिदजीव;चारइि यवालेम खीआिदू
जीवतथामनरिहतऔरमनसिहतजीव,पश-प ी-मन यआिदकोु ु
स जीव कहा है. ये सभी जीव पर पर आदान - दान के ारा एक
दसरे का उपकार करते ह "पर परोप हो जीवानां "(त वाथस ,५ूू
/२१ ); इसिलए सभी जीव से सवं िलत पयावरण क र ा के िलए
जीव क िहसं ा नह करनी चािहए और अप र ही -जीवन -शैली
अपनाकर ाकितक ससं ाधन का दोहन कम से कम करना चािहएृ
औरउनकासवं नकरतेरहनाचािहए.
िशव िशव का भजन और जप करते हए भी म कै से 'शव' क
उपासक बन गई. इसक बानगी दिे खए - शा म िलखा है िक ाण
दके र भी प वी क र ा करनी चािहए- 'सरं ेत पिथव ाणे यः'ृ ् ृ
िक तहमनेइनशा आ ाओंक अव ाक और वाथपणखननवु ू
दोहन कर प वी को पथ (धरातल, खान/खज़ाना)ृ ृ ु
से िवहीन कर मानो मार डाला. प वी क समि काृ ृ
सरं ण तो नह िकयाअिपतखानखदान से प थरु
िनकालकर िनज व-जड़-मत प थर से ज रत सेृ
बड़े बड़े घर बनाए ; खदान से धातएं िनकाल करु
मत धात सोने (गो ड) के आभषण शरीर पर धारणृ ु ू
िकए. अनेकानेक धातओं के क चे माल काु
बहतायत म खनन कर व तएं बनाई. धरती से मु
लेती तो रही िक त उसके सरं ण का कभी िवचारु
हीनह िकयाऔर प थर याअ यधातओं पीशवक उपासकबनु
गई. व के शव से बने फन चर क उपासक रही, िक त कभी वृ ु ृ
लगाने या उनके सरं ण का उपाय नह िकया. चेतन वन पित, वन-
व को बचाने हेत तन-मन-धन कभी लगाया ही नह . य तो मृ ु
सचमचशव नाम पवाले िशवक धरतीकोधारणकरनेक चेतनाु
शि को मारकर प वी के शव क उपासक बन बैठी हं , िध कार हैृ
मझे ! अब तो ायि त करना होगा. थावर एके ि य प वीकायु ृ
तथा अ य जीव क सर ा-सरं ण से ही, भकं प, पवत- रण आिदु ू
आपदाओं से िनजात पाई जा सकती है और थावर एके ि य
वन पितकाय आिद जीव के सरं ण- सवं धन से बाढ़, अकाल आिद
सेबचाजासकताहै.
पयावरण का मह वपण घटक है जल महाभत. 'जल' उसकेू ू
अपने ोत म ाणवान रहता है, िक त हम ोत से ा जल काु
ज रतसे यादाअप ययकरके उसेनकसानपहचाते ह;याजलमँु
उ ोग का उि छ , अपिश या अ य अ य कचरा डालकर उसे
िवकत कर दते े ह. जल के ाकितक ोत का सरं ण नह करते ह.ृ ृ
ाकितक वषा के जल का पया सं हण नह करते ह. जल-शिृ ु
और जल-सवं धनक कमी से हमारा जीवनखतरेम पड़गयाहै. मलू
ोत से बाहर िनकला जल उसका शव प ही है, उसका
अिधकािधक उपभोग या उपयोग, शव से यार ही तो है. कहते ह --
'जलं जीवनम' जल ही जीवन है. ऐसा जल जो वयं ाणवान है,्
िनमल है, दिषत नह है, ोत म है, वभाव म है वही जीवन दने ेू
वाला है, इसिलए आज से यनतम जल खच करने क शपथ लेनाू
पयावरणसरं णमयोगदानकरनाहै.जलको दिषतनह करने काू
तथा जल - ोत का सवं धन एवं सरं ण करने का ण लेकर ही हम
धरतीपरजीव के ाणबचासकगे.
वाय हमारा ाण है. उसके श व प को हम कलर कु ु ू
ठंडक, हीटर क गम तथा कल कारखान से िनकलती िवषा गैस
से दिषतकरतेरहतेह. इसेरोकनाभीहमारादािय वहैिजससेवायुू
पिशवक मितअपने उ पसे'जीवमा 'कापोषणकरसके .ू
मन य अ यिधक लोभ-लालच के वशीभत होकर अि न,ु ू
िव त -शि का भी अनाव यक िव तार और द पयोग करता है.ु ु
सौर-शि ,चं -शि आिद के ाकितकसचं रण मखललडालताृ
है, िजससे ाकितक पा रि थितक म असतं लन से भौितक आपदाएंृ ु
आतीह.
आकाश श य है, खाली थान है, यह जो नीला-ू
कालापनबढ़ताहआिदखाईदते ाहै,यहआकाशका
रगं नह अिपतहमारेउ ोग -वाहन -मशीन काधआंु ु
और दषण है. हमने आकाश को भी दिषत करू ू
िदयाहै.
मजबआ मावलोकनकरतीहतोपातीहिक बड़ेँ ँ
घर-वाहन-धन-जायदाद-व -पा -आभषण आिदू
जो जो उपयोग और उपभोग क साम ी है, वह तो
जड़ प र ह मा है, इनका सं ह और सरं ण सखदायी नह होु
सकता है. हा ! यिद म ाणवान पेड़ से लेकर मन य तक िकसी भीँ ु
ाणीक सेवा मअपनातन-मन-धनसमिपतक ,तोइससे आन दँ
भी िमलेगा और पयावरण सरं ण भी होगा. ाणधारी एके ि य से
लेकर पचं ेि य जीव क सर ा और िवकास के दािय व से मझे कभीु ु
िवमख नह होना चािहये. िशव क 'होता' मित जीव मा क र क हैु ू
पशपित प है, उसक आराधना, सभी जीव क र ा के प मु
आव यक है. कित तथा सम त ािणय से हम अपने जीवन िनवाहृ
के िलए बहत अिधक ले रहे ह अतः जीवमा क सर ा हमाराु
दािय व है. इस कार पर पर आदान दान के ारा हम सभी
ािणय क सर ा और िवकास कर और जड़ व तओंका प र हु ु
तथा आसि को छोड़ने का यास कर, तभी हमारा पयावरण िदवस
मैमनानासाथकहोगा.
हम जीने के िलये श जल ,वाय आिद का सेवन करते हु ु
अतः जल-वाय आिद क सेवा करना ( दिषत नह करना, अप ययु ू
नह करना) हमारा दािय व है. मझे स नता है िक भारतीय जैनु
सघं टना जल सं हण एवं सवं धन हेत बड़े तर पर कायरत है, जोु
पयावरण-सरं णक िदशाममह वपणउप महै.ू
Hindi bi-weekly issue
News corner
BJS मोबाईल िड पे सरी सवे ा - 01 अ ले , 2020 04 जन तक क रपोटू
5th June 2020
48Total Cities
227Total Vans
14,431Patients referred to Hospital
1,204,486Patients
(BJS) Mobile Dispensary SEVA as of today
िदए िलंक को
ि लक करे
https://youtu.be/bJHA64XiBpw Mobile Van Dispensary SEVA
on ground session
BJS बगलोर ारा HAPPY FAMILY
अिभयान के अ तगत
'STRONG FAMILIES GROW TOGETHER'
वेबीनार का आयोजन 7 जन, 2020 कोू
फे सबक पर 11बजे ात: आप सभी आमि त ह.ंु
समय व ितिथ आपक डायरी म नोट कर
रिज ेशन कर, सहभािगता कर,
घर बैठे ऑनलाईन काय म का लाभ ल