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बोल भारत बोल Page 1
बोल भारत बोल
थम सं करण : सत बर, 2013
कॉपीराइट © दुगश नागी
लेखक
दुगश नागी
काशक
वतं काशन
आसनसोल - 713301
संपक:- 09563501808 / 09555877322
ईमेल:- bolbharatbol@live.com
बोल भारत बोल Page 2
हर एक पाठक से
कहते ह क सच बोलो तो ाण गंवाने पड़ते ह l
म भी सचाई गा-गा कर शीश कटाने आया हूँ l
घायल भारत माता क त वीर दखाने आया हूँ l
घायल भारत माता क त वीर दखाने आया हूँ l
- दुगश नागी
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वशेष ध यवाद
ी णीत जैन
एवं
ी द पक नागी
बोल भारत बोल Page 4
रचना के स ब ध म l
"बोल भारत बोल" सफ मेर ह नह ं अ पतु पूरे जनमानस
क आवाज़ है l िजसे आज बेवजह हर जगह अपना हक पाने
के लए समझौता करना पड़ रहा है l िजसे पग-पग पर ठगा
जा रहा है, जो भारत क आज़ाद के 66 वष बाद भी शो षत,
अपमा नत और तर कृ त हो रहा है l इसे लखना इतना
आसान नह ं था, ले कन ई वर क कृ पा से मुझे अपने जीवन
म कु छ ऐसे लोग मले िज होन जीने क कला सखाई और
अपनी बात पर ढ़ होकर सरल अंदाज म उसे कहना और
उस पर अमल करना सखाया l
"बोल भारत बोल" परम पता परमे वर, ी गु नानक देव
जी महाराज, ी गु गो व द संह जी महाराज, मेरे माँ-बाबा,
मेरे पता सामान गु ेय सुर ताप संह जी, ी गु रंदर
संह जी (सद य भारतीय ेस प रष ), ी द पक संह जी
(अ य , मॉडन इंि ट यूट ऑफ़ मैनेजमट), ी जो ग दर
संह जी (पूव नदेशक सी.बी.आई.), मेरे परम आदरणीय
श क ी शव राम ग र जी, वग य ी मदन मोहन संह
जी, ी दयानंद मश्र जी, ी प नाथ पा डेय जी, ी
राम मलन पा डेय जी, ी रणबीर संह जी, ी अशोक
कु मार जी, ी श ु न रजक जी, मेरे म णीत जैन, द पक
नागी, अजय यादव, मुख क व एवं सा ह यकार संत कबीर,
बोल भारत बोल Page 5
मुंशी ेमचंद, ी रामधार संह ' दनकर', ह रवंश राय ब चन,
ी गोपाल संह नेपाल , शव खेड़ा, वल जाल , मधु पू णमा
क वर जी, मुके श कु मार, शव साद बमन जी, एवं अ ण
शमा जी के साथ-साथ सम त भारतवा सय को सम पत ह l
िज होन बचपन से आज तक मेरा मागदशन कया और जाने
अनजाने म मुझे बहुत कु छ सखाया l “बोल भारत बोल” म
भारत क कु छ सम याओं का वणन, उनके मूल कारण को
दखलाने क को शश और उनको ठ क करने का रा ता
दखाने का एक छोटा सा यास कया ह l मने अपने 23
बसंत के जीवन म िजतना अनुभव और ान ा त कया
उसके तज पर इसे लखने क को शश क ह l भारत क
मौजूदा ि थ त म कु छ बहुत ह खुश और कु छ अ यंत दुखी
लोग को देखकर उनक इस हालत को समझने के क्रम म
और उनके इस हालत के पीछे छप कारण क खोज "बोल
भारत बोल" के नाम से सामने आई ह l
"बोल भारत बोल" भारत के लोग क मन क बात है
या उसके व यह तो उनके दय म वरािजत ई वर ह
तय कर पायग l ले कन मेरे लए यह पूणतः ई वर य अनुभव
है l
आपका दुगश नागी
बोल भारत बोल Page 6
वषय-सूची पृ ठ सं या
• भारत के सव च यायलय से l [7]
• धा मक भावनाओं क ब बंद करे! [9]
• न सलवाद, माओवाद और आतंकवाद [11]
कारण और समाधान l
• अ ल लता l [14]
• श ा l [16]
• गर ब कहना बंद करे! [19]
• या आप व थ ह? [23]
• झूठ सावजा नक शि त "वोट" l [27]
• आर ण कसका अ धकार! [32]
• भारत का रा प त! [35]
• माधव और इ ा हम चाचा l [38]
• भारतीय शास नक सेवा के शासक कौन? [41]
• भारत के बाबा! [47]
• कसक रोट कतनी बड़ी! [51]
• भारत के कानून! [54]
बोल भारत बोल Page 7
भारत के सव च यायलय से l
भारत म जो भी सम याएं ह, उन सम याओं का समाधान करना
आव यक है l भारत के वकास म बाधा पैदा करने वाल
सम याओं क फे ह र त / कड़ी बहुत ल बी है l अ श ा, कु पोषण,
बेरोज़गार , सुर ा, योन-उ पीडन, आतंकवाद इ या द l इन
सम याओं को हल करने के लए ह हर देश ने गणतं को
अपनाया िजस सूची म भारत ने अपना नाम 26 जनवर 1950
को दज कराया l गणतं रा होने से भारत क जनता म उ मीद
जगी क अब देश एकता एवं अखंडता के साथ समानता एवं धम
नरपे ता के बल पर आगे बढेगा l देश क सम याओं का
समाधान करने के लए राजनै तक दल बने, िजनम कई
राजनेताओं ने ज म लया l िज ह ने गर बी, भुखमर , अ श ा,
बेरोजगार मु त भारत बनाने के सपने दखाए l पर आज़ाद के
66 साल होने के बावजूद अमीर और अमीर होता चला गया और
गर ब कं गाल होता गया l ले कन एक बड़ा प रवतन हुआ, िज ह ने
देश को सम यामु त करने का बीड़ा उठाया था, वो ह देश का
मोल लगाकर माला-माल हो गए l पर माल एक जगह पड़ा रहे तो
माल म क ड़ा लगता ह है l इस लए इन सम या से मुक्त करने
का दावा करने वाले ह रय पर एक सम या आई और देशवा सय
को फर से एक उ मीद क करण नजर आई l जब माननीय
सव च यायलय का फै सला आया क दो साल से अ धक सजा
काट चुके टाचार म ल त नेताओं को संसद से न का षत कर
दया जायेगा एवं उ ह चुनाव लड़ने नह ं दया जायेगा l इस म
म अगर देखा जाए तो सफ 2004 से 2013 के बीच अबतक
बोल भारत बोल Page 8
62847 मामले दागी एवं ट नेताओ के ऊपर दज है l िजनम
1258 वधानसभा के सद य है, और बड़ी राजनी तक पा टयाँ जैसे
भाजपा से 13% वधायक और सांसद, कां ेस से 8% वधायक
और सांसद आरोपी है l रा यसभा म 17% दागी मं ी है l िजनपर
टाचार, लूट, गबन, मडर इ या द के 11000 से भी अ धक
अपरा धक मामले दज है l 2575 नेता गंभीर मामलो म आरोपी है,
फर भी पता नह ं य उनपर यायालय के फै सले लं बत है? िजन
नेताओं पर आरोप है, वो देश क अ गणी पा टय के साथ-साथ
सरकार म सेवक का मुखौटा पहने बड़े-बड़े पद पर आसीन रह चुके
है l और कु छ अभी भी है और इन पद क ग रमा को ताक़ पर
रखकर इन कारनाम को अंजाम दे रहे ह l पर यहाँ पर भी जनता
को छलने का यास इन नेताओं और पा टय के वारा कया जा
रहा है l माननीय सव च यायलय सच म य द भारत का
वा भमान, भारत क अि मता, भारत का धन और भारत को
एक बार फर गुलाम होने से बचाना चाहता है तो 62847 मामले
जो इन 41% नेताओं के ऊपर चल रहे है l उनके नपटारे के लए
फ़ास ्ट ैक कोट का नमाण करे और चुनाव से पहले दा गय को
सजा देने के लए देश के चु नंदा यायधीश को सुनवाई एवं
कारवाई करने के लए नयु त करे और संसद पी प व थान
को इन टाचा रय से मु त कर भारत नमाण के लए त काल
एक मह वपूण कदम उठाये ता क भारत क जनता का भारतीय
सं वधान और भारतीय याय यव था पर से व वास न उठे l
बोल भारत बोल Page 9
धा मक भावनाओं क ब बंद करे!
भारत एक ऐसा देश एक ऐसा रा जहाँ न धम क कमी है, न धम का मह व
कम है और न धम के त मह वाकां ी लोग कम ह l यह बात भारत को
दूसरे देश से अलग करती है l और यह भारत के लए एक ऐसी सम या बनी
हुई है, िजसका इलाज असंभव सा जान पड़ता है! धम का स ब ध लोगो से
होता है, उनके वकास से होता है. कोई तलक लगता है, कोई नमाज अदा
करता है, कोई शीश नवाता है, तो कोई गुनगुनाता है l धम सम या नह ं है,
समाधान है l चाहे वह तथाक थत सनातन धम हो, इ लाम धम हो, सख धम
हो, बु धम हो, जैन धम हो या कोई अ य धम l एकता, समानता, सदभाव,
भाई-चारे एवं ेम का संदेश हर धम देता है l जब धम हमारे वकास के लए ह,
तो फर कौन इस धम को सम या के प म बता कर हंसा, वेष, घृणा और
दंगो को करवाता ह और उनको बढ़ावा देता है? यह समझने और जानने क
बात है! हर मजहब से जुड़े लोग के कु छ अपने मजहबी र त- रवाज होते है l
िजनका अनुसरण हर धमानुयायी को करना चा हए और िजसको अपनाकर
हर धमानुयायी शां त पाता है l कु छ धमानुयायी मू तपूजा/ साकार म क
उपासना करते है, कु छ नराकार म क उपासना करते है l पर इन दोन
धमानुया यय को समय-समय पर कु छ लोग अपने फायदे के लए एक दूसरे
क उपासना प त को कमतर आंकने के लए े रत और उ तेिजत करते है,
तब जाकर धम सम या के प म प रणत हो जाता है और यह सम या इतनी
वकट हो जाती है क धमानुयायी एक दूसरे से पर पर घृणा, वेष और हंसा
पर उता हो जाते है l जो आगे चलकर दंगो का प ले लेता है l यह सार
सम या अपने को सव तम और शि तशाल स करने के च कर म पैदा
होती है l यह कु छ लोग नजी वाथ क पू त के लए करते है और अपनी
गलत सोच के कारण अपने पूरे धम को बदनाम करते है l कसी भी धम को
या उस धम को मानने वाले को कोई अ धकार नह ं है क वह दूसरे
बोल भारत बोल Page 10
धमानुया यय का अपमान करे या उनके र त- रवाज पर ट का ट पणी करे l
जो धम नाचता हुआ नह ं है, जो ख़ुशी ना दे सके , हँसी न दे सके और िजससे
व वेष पैदा हो वह धम, धम कहलाये जाने के लायक नह ं है l अब बात उन
संक ण मि त क के आलसी, नक म , नठ लो और अमानवीय मानवीय
संरचनाओं क जो मानव कहलाये जाने के लायक नह ं है और जो मूख के
समान जरा सा ान ा त कर लोग को बहकाकर अपना उ लू सीधा करने म
लगे है l जो सयार क तरह चालाक म पूंछ कटा कर दूसर को भी पूंछ कटाने
के लए उतेिजत करते है l उनको जड़ता म जड़े रहने को मजबूर करते है l
प ट श द म चेतावनी है क लोग म य द ेम, शां त और म ता का बीज
नह ं बो सकते है, तो कम से कम नफरत का बीज बोने का काम न करे l पहले
धम के शाि दक एवं ताि वक अथ को समझे एवं जब तक समझ ना आए
और को समझाने क जुररत न कर l बि क अपने धम क मयादा म रहकर
लोग के धम और उनक ध मक भावनाओं क क करे l ई वर एक है, कु छ
उसे साकार प और कु छ नराकार प म उसका मरण करते है, उसे पूजते
है, जो साकार प म पूजते है, उनको वैसा करने म शां त मलती है और जो
नराकार प म उनका वंदन करते है, उ ह वैसा करने से शां त मलती है l
अगर इन दोन म से कसी को भी अपनी उपासना प त से अगर शां त नह ं
मलेगी तो वतः ह वह अपने इ वर य उपासना प त के मापदंड म
प रवतन कर लग l वेद म भी वणन है :- ई वर एक ह, उसके मरण और
उपासना का तर का अलग अलग है l
इस लए भारत के पूण वकास के लए भारत के लोग क धा मक
भावनाओं को बेचने का काम बंद करे, और जो ऐसा करते हुए दख रहे है,
उनको त काल ऐसा करने से रोककर ह भारत का वतमान ग तशील और
भ व य उ जवल हो सकता है l
बोल भारत बोल Page 11
न सलवाद, माओवाद और आतंकवाद कारण और समाधान l
आतंकवाद, एक ऐसा श द िजसे सुनकर आ मा काँप जाती है, दल सहर
उठता है और जब इसके साथ माओवाद और न सलवाद सुनाने म आता है
तो भय अपने चरम पर होता है l भारतीय सं कृ त म के वल दो ह वाद
च लत थे, वैतवाद और अ वैतवाद l फर उसक जगह न सलवाद,
माओवाद और आतंकवाद ने कै से ले ल यह समझना ज र है l या है
यह? और कौन है इसके ज मदाता? या सखलाता है यह आतंकवाद?
या है िजहाद क प रभाषा? और या मकसद है इसका? कह यह कु छ
व ु द क बोल तो नह ं? या कु छ अपमा नत, तर कृ त, अघो षत
समूह का समूह तो नह ं? आ खर यह न सलवाद , माओवाद और
आतंकवाद हमारे बीच म से ह तो पैदा हुए है! भारत म हर एक मजहब के
लोग कहते ह क हमारे मजहब का न सलवाद, माओवाद और आतंकवाद
से कोई लेना देना नह ं है l ले कन यह हमारे वारा माने जानेवाले मजहब
म ह तो पैदा हुए ह? फर य इ होन िजस मजहब म ज म लया उसे
छोड़ कर अपना एक अलग रा ता बना लया? या इ होन िजस मजहब
म ज म लया वो उनके मुता बक नह ं था? या उसम कु छ खामी थी? या
उस मजहब के ह कु छ लोग ने उ ह उकसा कर ऐसा करने को तैयार
कया? आ खर य यह अपने मजहब के रा ते को छोड़कर एक नए पथ
पर चल नकले? या यह अपने मजहब क र ा एक अलग तर के से
करना चाहते ह और अपने मजहब को आतंकवाद के ज रये फै लाना
चाहते ह य इ होन इस पथ को चुना? या आपको आतंकवाद क जो
प रभाषा बताई गयी वह ं तक आतंकवाद सी मत है? या इसक जड़े
यापक है l जो समाज के एक वग वशेष वारा दूसरे वग से कया गया?
बोल भारत बोल Page 12
कौन िज मदार है, आतंकवाद के लए? कौन बढ़ावा दे रहा है इसे? या
सच म कसी मजहब का इससे कोई लेना देना नह ं है, या मजहब ह एक
कारण है? न कई है और इनके उ तर भी सहज ह है l पर या हम उन
न का उ तर अपने आपको देने क ह मत रखते है? या आतंकवाद,
माओवाद और न सलवाद कु छ और नह ं बि क हमारे वारा, हमार
सरकार वारा, उनक नी तय वारा, हमारे बीच के कु छ नबल, भोले
भाले, हमारे वारा ता ड़त कये हुए, लि जत कये हुए, िजनका हक
हमने मारा, उनका एक ऐसा यापक समूह है l जो आज हमारे गले क
फांस बन चुका है? हमारे नेताओं, सरकार , धा मक कमकांड , नी तय ,
मसोद , योजनओं क देन है न सलवाद, माओवाद और आतंकवाद l जो
सभी के स पूण वकास के सपने तो दखाती है, पर तु कसी एक वग के
वकास के लए ह काय करती है l आतंकवाद का कारण है, हमारे देश का
अपने आपको धम नरपे घो षत करना, पर देश के येक वग के बीच
धम क दवार खड़ी कर देना l न सलवाद, माओवाद और आतंकवाद का
कारण है, हमारे गणतं म झूठा व वास रखने वाल सरकार का नमाण
करना और उस सरकार म शा मल नेताओं का अपने-अपने देश के कु छ
एक मुठ भर लोग को छोड़कर एक बड़े वग के साथ प पात करना l
न सलवाद, माओवाद और आतंकवाद का कारण है, हमारे गाँव के वकास
के लए नेताओं वारा बड़े-बड़े वादे करना पर चुनाव जीतने के बाद उन
गाव को प र य त घो षत कर देना l न सलवाद, माओवाद और
आतंकवाद का कारण है, हमारे युवाओं क श ा, वा य, रोजगार क
सम याओं को जस के तस बनाये रखने क नी तयाँ l न सलवाद,
माओवाद और आतंकवाद का कारण है, स ता म आई सरकार के कु छ
नुमाइ द वारा गर ब को लि जत करना, अपमा नत करना, ता ड़त
बोल भारत बोल Page 13
करना, उनक अि मता को लूटना l न सलवाद, माओवाद और आतंकवाद
का कारण है, सरकार और जनता के बीच सम वय क कमी l
आतंकवाद का कारण है, देश हत से बढ़कर वाथ के त यादा
लाला यत हमार देश क राजनै तक पा टयाँ और उसके नेतागण और
शासन l सं ेप म न सलवाद, माओवाद और आतंकवाद का कारण
सरकार क गलत नी तयाँ और सरकार म शा मल मु ीभर लोगो क
सांठगाँठ एवं जा त के आधार पर, धम के आधार पर, सं दाय के आधार
पर सरकार का गठन, संचालन एवं नवहन का घनौना खेल l यह सब
न सलवाद, माओवाद और आतंकवाद का कारण नह ं है तो और या है?
न सलवाद, माओवाद और आतंकवाद का हल है l हमारे वारा,
हमार सरकार के वारा, उनक नी तय के वारा, हमारे बीच के कु छ
नबल, भोले-भाले, हमारे वारा ता ड़त कये हुए, लि जत कये हुए,
लोग के यापक समूह िजनका हक हमने मारा है l उनको उनका हक
वापस लौटाकर, उनको उनका स मान लौटाकर और हर भारतीय वारा
अपने वाथ के साथ-साथ दूसरे के वाथ को यान म रख कर ह हम इस
न सलवाद, माओवाद और आतंकवाद को ख मकर मानवतावाद का
आरंभ कर सकते है l अ यथा यह चलता ह रहेगा l
बोल भारत बोल Page 14
अ ल लता l
शाल नता, एक ऐसा गुण है जो कसी भी मनु य के च र को दशाता है
और उसे मजबूत बनाता है l समाज वकास के म म शीलता का बड़ा
मह व है l बचपन से बड़े होने तक कई बार हम मयादा म रहकर बात,
यवहार करने का नदश और आदेश दया जाता है, पर तु हर एक चौराह,
गल , नु कड़, सावज नक थल पर मु त म बंट रहे अपश द, फू हड़ता,
और अ ल ल कृ य हमारे गु ओं हमारे समाज और हमारे च र का एक
अलग ह पहलू दखलाते है l आज के समय म टेल वजन, सनेमा,
इंटरनेट और सामािजक नेटव कग साइ स का नमाण और वकास लोग
को जाग क करने, मनोरंजन करने और सू चत करने के लए हुआ l पर
टेल वजन पर सा रत होने वाले ो ाम, बड़े पद क फ़ म, इंटरनेट पर
बनी हुई वेब साइ स, सामािजक नेटव कग साइ स के मा लक अपनी
ट .आर.पी. के च कर म और अपने काय म को यादा से यादा बकाऊ
बनाने क होड़ म खुद बकते जा रहे है, और भारत क सं कृ त को बेच रहे
है l और इस बकने बकाने के यवसाय म एक बाई ोड ट का ज म हो
रहा है, जो समाज के लए अ भशाप स हो रहा है और िजसके भाव से
रेप, ह या, म हलाओ के साथ छेड़खानी, लूट, गबन, गुंडागद इ या द
घटनाओं को अंजाम दया जा रहा है l और वो बाई ोड ट है "अ ल लता" l
यूँ तो अ ल लता वयं ह समाज का सवनाश करने के लए काफ है l पर
टेल वजन पर सा रत होने वाले काय म वारा घृणा, वेष, ोध,
अहंकार, ई या इ या द अमानवीय तथा असमािजक गुण का ज म हो
रहा है l यान देने यो य बात है, बचपन से ह हम कू ल म श टाचार,
आदश, परोपकार इ या द सखाया जाता है और सीखने के इस म म
कहा है क य - य हम बड़े होते जायेग, वक सत और साि वक
बोल भारत बोल Page 15
होते जायेग l क तु कसी कू ल क श ा प त के वारा ऐसा प रवतन
वरले ह देखने को मल रहा है l न यह है हमारे सामने क िजस तरह के
अ ल ल गाने, फ़ म, काय म, व ापन, अ ल ल साइ स क बाढ़ आई
हुई है, या हम उ ह पसंद करते है? या देखना चाहते ह? या यह हमारे
जीवन का ह सा बन गयी है? या हम इ ह देखने के लए े रत कया जा
रहा है? या हम इ ह अपनाने के लए उ तेिजत कया जा रहा है? या
हमारे समाज पर यह थोप जा रहा है? या हमार सं कृ त को ख़ म करने,
भुला देने का यास कया जा रहा है? या या हम अपनी सं कृ त पूणतः
भूल चुके है? या हम अपनी नै तकता खो चुके है? या हम ऐसे काय म
को देखना अपनी शान समझते है? या हम इनके च कर म फं स चुके है?
अथवा हमारे पास इनको वीकार करने के अलावा कोई और चारा नह ं
बचा है? जरा सो चये! भारत व व क ाचीन सं कृ त को मानने वाला
देश है l या भारत क कोई अपनी सं कृ त बची है अब! या उसका भी पूण
प से यवसायीकरण हो चुका है! य द ऐसा नह ं है l हमम ज़रा सी भी
नै तकता बची है, तो कौन इन अ ल ल काय म , गीत , फ म ,
व ापन , समाचार , इंटरनेट साइ स को हम पर थोप रहा है? या इसके
लए हमार सरकार िज मेदार है? कु छ मु ी भर लोग िज मेदार है?
सरकार तं िज मेदार है? या फर हम वयं िज मेदार है? अगर हमने
तुरंत इ ह नह ं यागा तो वो दन दूर नह ं जब भारत, भारतीय स कृ त,
भारतीय स यता के वल दंतक कथा ह बनकर रह जाएगी l िजसे सुनने
वाला शायद ह कोई भारतीय हो l
बोल भारत बोल Page 16
श ा
हर एक मनु य क कई इ छाएं होती है और उन इ छाओं को पूरा करने के
लए मनु य को कम करना पड़ता है l कम करने के लए ान क ज रत
होती है, स ां तक ान और यावहा रक ान l ान श ा से आता है,
जो मनु य क मूलभूत ज रत म से एक है l श ा के वारा ह मनु य का
सवागींण वकास हो सकता है l पर मनु य के वकास के लए एक ऐसी
श ा प त क आव यकता है, जो उसका पूण वकास कर सके l भारत
क मौजूदा श ा प त के वारा भारत का वकास नह ं हो सकता l
इस लए भारत क श ा प त का संशोधन ज र है l यूँ तो हमारे देश म
न तो व यालय क कमी नह ं है और ना ह व या थय क l बस कमी है
तो व यालयी श ा प त क जो सफ कताबी क ड़े पैदा कर रह है l
कमठ एवं ईमानदार मनु य नह ं l
येक वष अनुमानतः 20 करोड़ व याथ क ा थम से नातक
तक पढ़न के लए हमारे व यालय म आवेदन करते है, पर तु दुभा य
यह है क सफ दो करोड़ व याथ ह नातक तक श ा हण कर पाते
है, शेष 18 करोड़ बीच म ह पढाई छोड़ देते ह l िजसका मूल कारण हमार
श ा प त का सतह तर से कमजोर होना l व यालय म श क
व याथ अनुपात का समानुपाती ना होना, श क का असमय वेतन,
व या थय को उपल ध करायी जाने वाल पु तक का असमय वतरण
एवं व य, सरकार व यालय क जजर अव था, देश के सभी
व यालय म एक कार के पा य म का ना होना, सरकार व यालय
का गैर सरकार त व वारा संचालन इ या द है l कु छ एक अ य
सम याएँ भी है, जैसे आवेदन के समय सभी व यालय वारा अपने
व यालय म मेधावी व या थय एवं अमीर घरान के व या थय के
बोल भारत बोल Page 17
नामांकन पर वशेष जोर देना, व या थय के आवेदन और उनका
नामांकन उनके धम, स दाय,जा त के आधार पर करना इ या द l
हमार श ा प त म हमारे देश क सं कृ त क छाप होनी चा हए l
इस लए भारतीय सं कृ त क र ा हेतू येक व यालय म क ा 1 से
क ा 12 तक सं कृ त भाषा को अ नवाय करना अ यंत आव यक है l य
ना सभी सरकार नौकर करनेवाले उ च से न न दज के अफसर के
ब च को सरकार व यालय म श ा ा त करना अ नवाय कर दया
जाय? िजसम आई.पी.एस. आई.ए.एस. आई.आर.एस. के साथ-साथ अ य
सरकार अफसर भी शा मल ह l य ना भारत से बाहर श ा ा त करने
जाने वाले भारतीय को उ त श ा पूर करने के बाद 10 वष तक भारत
म काम करना अ नवाय करना देना चा हय? अब श ा प त को जानने
क को शश के म म यह देखना है क या हमारे देश के बंधन सं थान
म बंधन और यवसाय क श ा द जा रह है या श ा का सरकार
बंधन के कु छ लोग और उनके कु छ कर बय वारा बंधन श ा का
यवसाय कया जा रहा है, और यह स य भी है l उ च श ा ा त करने
वाले व या थय के लए 100% कट ऑफ ल ट, नामांकन का आधार,
जा तगत आर ण, पा रवा रक मौ क ि थ त इ या द के कारण हमार
श ा यव था एवं कॉलेज स य श त व याथ नह ं बि क मशीन
पैदा कर रहे ह l श ा का मूल काय अ ान पी अँधेरे को दूर करना है" l
तो फर कम अंक ा त करने वाले व या थय पर यादा यान न देकर
मु ी भर अ धक अंक ा त करने वाले व या थय को ो सा हत कर
भारत का शै णक वकास पूण प से कै से हो सकता है! जब तक श ा
से प पात दूर नह ं हो जाता है और बुनयाद सु वधाओं क उपल धता,
पूरे देश म एक पा य म, सं कृ त भाषा को अ नवाय कर भारतीय
बोल भारत बोल Page 18
सं कृ त का ान, एवं गाँव तथा न न तबके के लोग को उस श ा के
लए जो उनके यावहा रक ान को बढ़ा सके l तब तक भारत सफ
अपने गौरवशाल इ तहास क गाथा ह गाता नज़र आयेगा और कभी भी
मौजूदा श ा यव था एवं उसके यवसायीकरण के माहौल म
गौरवशाल नह ं बन पायेगा l
बोल भारत बोल Page 19
गर ब कहना बंद करे !
गर ब! एक ऐसा तबका, एक ऐसा समूह जो हमेशा अखबार क सु ख़य म
रहता है l जो हमेशा ता ड़त कया जाता है l हमेशा अपने मतलब के लए
इ तेमाल कया जाता है और इ तेमाल के बाद हाथ प छने वाले कागज़ के
टुकड़े के समान फ़क दया जाता है l आप जानना चाहग क कौन ऐसा
करता है? हर एक भारतवासी, जो या तो आपको गर ब समझता नह ं ह, या
अपने आपको गर ब कहलवाने से बचना चाहता है | यूँ तो गर ब सभी ह!
कु छ मं दर, मि जद, गरज , मजार , दरगाह , द तर , पाट कायालय ,
यायालय के बाहर मांगते है, तो कु छ अंदर बस फ़क इतना होता है दोन
म क इनके अ दर मांगने वालो म एक चीज़ नह ं होती, उनका “ज़मीर”
और बाहर मांगने वालो म जो चीज़ होती है वो है उनक “खुदार ” और
उनका “धैय” l जब मांगने का काय मं दर, मि जद, गरज , मजार ,
दरगाह , द तर , पाट कायालय , यायालय के अ दर और बाहर
अनवरत ग त से चलता है और जो इन मं दर, मि जद, गरज , मजार ,
दरगाह , द तर , पाट कायालय , यायालय के अ य , संचालक,
नयं क या यायधीश बने हुए है, वो भी इसके अ दर और बाहर मांगने
का ह काम करते है l तो फर सफ इनके बाहर मांगने वाल को 'गर ब'
कहने का हक कसने इ ह दे दया? यह कै से बाहर वाल को गर ब कै से कह
सकते ह? अस लयत म तो गर ब वह है, िजसे दो व त रोट नह ं मलती,
पर उस देश का राजनेता, यवसायी और देशवासी उसके वारा उगाई गयी
फसल क आमदनी से, उसके वारा क गयी मजदूर से उसके वारा साफ़
क गई सड़क पर तेज़ र तार से गाडी चलाते हुए दा क बोतल फक रहे
लोगो को रोट मलती है l गर ब वो है, िजसे ओढने को कपडे नह ं मलते,
िजसके ब चो को अ छ श ा नह ं मलती, खेलने के लए खलौन नह ं
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मलते, िजसे अपने और अपने प रवार के इलाज के लए च क सालय
नह ं मलते, अगर मलते है तो च क सा नह ं मलती, िजसे यौहार
मानने का साम य नह ं होता l सफ मलता है तो सभी पा टय के नेताओ
और बड़ी-बड़ी कं प नय और उ योग के यवसा यय वारा हर घंटे दए
जा रहे वाद और दाव का गुलद ता और उस पर चपके हुए कागज़ के
टुकड़े पर लखा एक श द “गर ब” l हर एक भारतवासी के साथ-साथ उन
उपदेशक और नेताओं को कड़े श द म मेर चेतावनी है क देश क 67%
जनता (सरकार आंकड़ो के हसाब से 22%) को जो असल म गर ब है, उसे
अगर उसका अ धकार यह नह ं दे सकते तो उ ह कम से कम गर ब
कहना बंद करे! पहले अपने अ दर-बाहर, दाए-बाए झाँक कर देखे फर
सबसे पहले अपनी आ मा को, ई वर को और त प चात देश को जवाब दे
क इसका कारण या है? कै से एक सोने क च ड़या कहे जाने वाले देश क
67% आबाद गर ब हो गयी? कै से 15 अग त 1947 को जो अमर क डॉलर
1 पये के बराबर था वो 69 पये के ऊपर चला गया? देश के लोगो को
गर ब बना कर कौन अमीर हो रहा है? कौन देश म गर ब पैदा कर रहा है?
देश म गर बी का पैमाना या है? अगर सरकार के योजना आयोग के
हसाब से 36 पये शहर म और 28 पये गाँव म कमाने वाला गर ब नह ं
है, तो य उसी योजना आयोग के अ य जो क भारत का धानमं ी है,
उसका वा त वक वेतन 160000 पये से भी अ धक है? य देश के
सरकार सं थान , कं प नय , वभाग म काय करने वाले सरकार
मुलािजम का वेतन अनुमानतः 20,200 से 160000 पये तक है? या
यह देश क 67% गर ब जनता जो क महंगाई से बुर तरह त है, उससे
साथ यह एक भ ा मजाक नह ं है? तो या है? रा य तदश सव ण
संगठन (एन.एस.एस.ओ.) क ओर से 2011-12 वष के उपभोग खपत के
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आंकड़े जार हुए ह, इसके अनुसार गाँव म 2886 पए तमाह खच करने
वाला देश के शीष 5% लोग क ेणी म आ जायेगा l शहर े के लोगो
के लए यह सं या 6383 पए तमाह है l यह आंकड़ा मुझे और आपको
भी मुके श अ बानी, रतन टाटा, नारायण मू त इ या द क ेणी म ले
आता है l है ना यह ख़ुशी मानाने का समय! भारत म 400 लोग के पास
देश क 70% स प त है l "खा य सुर ा बल" के मा यम से सरकार 67%
आबाद को राहत देना चाहती है, अगर देश म सरकार आंकड़े के हसाब से
22% आबाद ह गर ब है, तो मुझे इसम कोई तुक नजर नह ं आता क
सरकार 67% आबाद को स ते दर पर अनाज उपल ध कराएं l य द सच
म देश से गर बी दूर करनी है, तो सबसे पहले अमीर गर ब के अंतर को दूर
कया जाना आव यक है l जैसे अगर एक मा यम वग य 78 पए त
ल टर पे ोल खर दता है तो वह पे ोल एक उ च म यम वग य को म यम
वग य से डेढ़ गुना दर पर और एक उ च वग य को तीन गुना मू य पर
देना अ नवाय करना चा हए | इसके साथ-साथ उनके खाने पीने, ब चो क
श ा, रहने क जगह, उनके उपभोग क व तुओं को दोगुना मू य लेकर
ह गर बी और अमीर के फासले को कम कया जा सकता है l भारत के
67% लोग क मूलभूत ज रत को पूरा करने के लए सभी देशवा सय को
और सरकार नौकर ा त या ग़ैरसरकार रोजगार करने वाल को सरकार
छु ी के दन मलने वाले वेतन को भारत के 67% लोगो के वकास के लए
"भारत वकास कोष" म सम पत करना चा हए l िजसके एक-एक पैसे का
हसाब कताब ऑनलाइन होना चा हए l इसके अलावा 10 वष का एक
ल य लेकर भारत के वकास के लए हर एक नौकर पेश करने वाले को
चाहे वो सरकार नौकर करता हो या ग़ैरसरकार अपने हर दन के काम
से एक घंटे यादा काम कर उस घंटे का वेतन "भारत वकास कोष" म
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सम पत करना चा हए l िजसे भारत के 67% लोग के वकास म उपयोग
कया जाये l
नेताओ से न है, क जब वोट क बार आती है, जब पाट का
झंडा उठाने क बार आती है, तभी गर ब और गर बी क चचा राजनै तक
बाज़ार म गरम य हो जाती है? देश को बांटने और बेचने वाल और सोने
क च ड़या कहे जाने वाले देश क च ड़या अथात जनता के खेत को चुग
कर देश को गर ब बनाने वालो ज़रा शम करो! और देश क जनता को
"गर ब" कहना बंद करो!
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या आप व थ ह?
वा य, एक ऐसा मापदंड है, जो कसी भी मनु य के वकास को
उसक याशीलता को दशाता है l कसी भी देश क उ न त इस बात पर
नभर करती है क वहां के लोग कतने व थ ह, वहां वा य यव था
का तर कै सा है l अगर एक नजर भारत के ाचीन ंथो का अ ययन
कया जाये एवं उसे सह माना जाये तो व व म कु ल 1024 क म क
बमा रय के फै लने क बात कह गयी है l िजनम अभी तक के वल 124
क म क बमा रय क खोज हो सक है, और मा 60 क म क
बमा रय का इलाज संभव हो सका है l अगर भारत क बात क जाये तो
अनुमानतः 125 करोड़ लोग म से 90 करोड़ से अ धक लोग सद , जुकाम
से लेकर कसर तक क बीमार से त है l अगर हम ाचीन ंथ का
अ ययन करने म स म होते तो उन ंथ के अनुसार और उनम बताई
गई च क सा प त के सहारे हम वयं अपनी 80% बमा रय का इलाज
कर सकते है l पर भारत के 1200 वष तक गुलाम रहने के कारण और
हमार श ा यव था का न न तर य होने के कारण हम अपने आ द
ंथ का अ ययन कर पाने म असफल हो चुके ह l िजस कारण से हम
बमा रय का इलाज करने के लए डॉ टर क सहायता लेनी पड़ रह है l
भारत म 26 लाख के कर ब " भारतीय च क सा प रषद" (एम.सी.आई.)
से मा यता ा त डॉ टर है और 26 लाख गैरमा यता ा त डॉ टर है,
या न झोला छाप l य द एक दन म एक डॉ टर 50 मर ज का इलाज
करता है l जो क अंतररा य मापदंड के व है, तो भारत के 52 लाख
मा यता ा त और गैरमा यता ा त डॉ टर 26 करोड़ मर ज का इलाज
करते है l जब क देश म 90 करोड़ से अ धक लोग बीमार ह l िजनम
नवजात शशु से लेकर बुजुग लोग शा मल है l भारत म हर दन 100 से
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अ धक ब च क मृ यु ज म से पहले या ज म लेने के समय हो जाती है l
कसर से मरने वाल क सं या 500000 त वष है l जो लगातार बढती ह
जा रह है l इसके अलावा ट .बी.से मरनेवाल क सं या 500000 त वष,
एच.आई.वी. से मरने वाल क सं या 300000 त वष , दयघात से
मरने वाल क सं या 400000 त वष है l जो त वष अनवरत ग त से
बढती ह जा रह है l भारत के अ पताल क अगर बात क जाय तो वहां
क प रि थ त सामा य से भी ख़राब है l च क सीय यव था ऐसी है, जैसे
जानवर क च क सा क जाती हो l गाँव म तो व य सेवा क कोई
यव था ह नह ं है, जब क भारत क 60% से अ धक आबाद 7 लाख गाँव
म ब ती है l अगर कसी गाँव म च क सालय है भी तो वहां च क सक
नह ं है या च क सयी उपकरण का आभाव है l आज़ाद के 66 वष के बाद
भी हमारे देश के सरकार अ पताल क जजर अव था है, इसका
िज मेदार कौन है? या इसके िज मेदार देश के नेता नह ं ह? य हमारे
देश के नेता, देश के सरकार अ पताल क शला यास तो करते है, पर
अपनी या अपने प रवार क च क सा उन अ पताल म नह ं करवाते ह?
या देश के नेताओं म, देश के डॉ टर म ह मत ह क िजन सरकार
अ पताल के शला यास के समय वो बड़ी-बड़ी त वीर खचवात ह l उन
अ पताल के साधारण वाड म खुद क च क सा करवाने लए आय? जब
आप खुद के वारा उ घा टत कये हुए अ पताल म खुद का इलाज नह ं
करवा सकते तो देश क जनता, जो क देश क असल मा लक है उसके
इलाज के लए कै से उन अ पताल को आप उनपर थोप सकते ह? सफ
भारत क राजधानी म अ खल भारतीय आयु व ान सं थान
(ए.आई.आई.एम.एस.) खोल देने से और कु छ एक रा य क राजधा नय
या बड़े शहर म बड़े अ पताल खोल देने से पूरे भारत के लोग व थ नह ं
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हो सकते l हम भारत के कोने-कोने म, गाव म व व तर य च क सीय
सं थान को खोलने ह गे l भारत के येक कू ल म व या थय के
व थ रहने के लए शार रक यायाम क श ा का बंध करना
होगा l भारत के येक रा य म सरकार शराब क दुकान को त काल
बंद करना होगा, इसके अलावा नश के सामान जैसे बीड़ी, सगरेट, पान
मसाला, गुटका, गंजा इ या द क ब पर पूण तब ध लगाना होगा l
भारत सरकार को इससे व य से बड़ी मा म टै स तो मलता है, पर
सरकार िजतना टै स इससे कमाती है, उससे ढाई गुना अ धक भारतीय
के च क सा पर खच हो जाता है, तो भी लोग पूण व थ नह ं हो पाते ह l
हम भारतीय च क सा प त को बढ़ावा देना होगा, िजसके लए भारत क
सरकार, उधमी और जनता को एक साथ आगे आना होगा l हमारे गाँव
व थ रहगे, तभी हमारा देश व थ रहेगा l आज भारत क सरकार का
व य को लेकर जो रवैया है, वो भारत क जनता से एक मजाक है, और
यह मजाक भारत सरकार के साथ-साथ हमरे देश के डॉ टर भी कर रहे है l
आप कसी भी सरकार अ पताल म डॉ टर के पास अपनी बीमार का
इलाज करवाने के लए जाए l वो डॉ टर आपको एक सम या के प म
देखेगा और ज द से ज द आपसे अपना पंड छु ड़ाने को को शश करेगा l
पर उसी डॉ टर के पास आप च क सा के लए उसके नजी च क सा गृह
म जाएँ तो वो वहां पर वह अ त थ के जैसा आपका वागत करेगा और
िजस च क सा के लए सरकार अ पताल म कु छ पैसे लगते ह, उसी
इलाज के लए आपसे हजार पए वसूल करेगा l ऐसा य ? इस दोहरे
रवैये से कब तक देश के डॉ टर मर ज का इलाज करते रहगे l डॉ टर , जो
एक सेवा है, उसे कु छ लोग ने पैसे के लोभ म आकर यवसाय म प र णत
कर दया है, और लोग के व य से खेल रहे ह l इसे तुरंत बंद करना
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होगा l नह ं तो इनके न शे कदम पर देश के नेता तो चल ह रहे ह, देश के
पु लस वाले भी यादा पीछे नह ं ह, पर अब सेना के जवान भी मजबूर
होकर चल पड़गे, अगर सब यह करगे तो फर देश क सेवा कौन करेगा?
हम सभी को इस गंभीर सम या के बारे म तुरंत सोचना होगा और
वा य से जुडी सम याओं का समाधान करना होगा l
कु ल मलकर वा य के लहाज से भारत आज उस जगह पर
खड़ा है, जहाँ ज द से ज द अगर सरकार, डॉ टर, और भारत के
बु जी वय ने इन सबको ठ क करने का कु छ उपाय ना कया और अपना
रवैया नह ं बदला तो भारत को ख म करने के लए कसी दूसरे देश को
परमाणु बम क आव यकता नह ं पड़ेगी l वो वतः ह बमा रय और
महामा रय क चपेट म आकर ख म हो जायगा l
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झूठ सावजा नक शि त "वोट" l
सभी भारत के नाग रक जो अपने आपको य क समझते है, या िज ह ने
अपने जीवन के 18 बसंत देख लए है, वो तैयार हो जाये य क तथाक थत
"रा य दान मेला" लगने वाला है l िजसका नाम है “चुनाव””””l इस दान
मेले का एक अलग ह मज़ा है l यूँ तो इसे चुनाव कहा जाता है, पर आप कसे
चुने यह पहले से ह कु छ मु ी भर लोग वारा चुनकर आपके सर पर मढ़
दया जाता है l इस मेले म दान होता है "मत" का पर यह मत का “दान ”
अ सर ख़र दा बेचा जाता है l एक और बात, है तो यह चुनाव हमार सेवा करने
वाले नौकर का पर देश क अनुमानतः 25% आबाद जो 1 दन से 17 वष 364
दन 23 घंटे 59 मनट 59 सेकं ड क आयु सीमा के अ दर आती है, वह अपने
नौकर का चुनाव य नह ं कर सकती ह? यह समझ नह ं आता l बड़ी
वड बना है, क सरकार नौकर करने वाले सभी वभाग म ायः 60 से 65
वष क आयु म सेवा से नवृ त मल जाती है, य क समझा जाता है क 60
वष क आयु तक नौकर करने वाल क आँख, दय, हाथ और पैर जवाब देने
लगते है l ले कन इस मेले म बकने वाले सेवक क नवृ त क आयु सीमा
नधा रत नह ं है, ऐसा य ? यह भी समझ नह ं आता l यूँ तो सरकार नौकर
करने वाले सभी वभाग को यू. पी.एस.सी, एस.एस.सी, और या- या
रा य एवं रा यक य तर क पर ाएं देकर उनम उ तीण होकर काम
मलता है l िजसम उनके क ा 10 से लेकर जहां तक उ ह ने श ा ा त क
ह, वहां तक के उनके माणप , उनके पहचान प , उनक ल बाई, चौडाई,
आँख क रौशनी, उनका च र इ या द के साथ-साथ उनके ऊपर कसी तरह
का आपरा धक मामला है या नह ं यह जाँच करने के प चात सेवा करने का
मौका दया जाता है l पर इस चुनावी मेले म चुने जाने वाल को पु तक मेला,
व मेला, खा य मेला इ या द के जैसे आकषक छू ट एवं उपहार मलते है l
एक और बात भारत क जेल म बंद कै द वोट अथात मत दान नह ं दे सकता
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है, ऐसा करना गैरकानूनी ह l पर वह कै द जेल म बंद रहकर नेता का प धर
इले शन अथात चुनाव लड़ सकता है और लड़ता है ऐसा य ? भारत के
सं वधान के अनुसार यह उसका मौ लक अ धकार ह! यह बात समझ नह ं
आती l इसका मतलब यह हुआ क अगर वो सांसद या मं ी का पद हण कर
गलत काम कर जेल भी चला जाता है, तो भी वो अपनी नौकर कर सकता है l
जब क दूसरे सरकार नौकर को यह सु वधा नह ं द जाती है l ऐसा य
समझने क बात ह?अब मु ी भर लोग वारा चुने हुए ा थय को जबरद ती
चुनने क या म िजतने लोग मतदान के अ धकार होते है, उनम से 50%
से 60% लोग ह मत का ‘दान’ देकर इन नेताओं को चुनते है l इस कार
अनुमानतः देश के 50% लोग वारा दए गए दान से मलकर बने संसद के
मं दर म रखे जाने वाल इन मू तय का द य प एवं कोप देश क 100%
आबाद को अगले दान मेले के इंतेजार तक अथात 5 वष तक झेलना पड़ता
है l अब बात उन बु मान क जो इस मेले म जाते है "दान" देने के लए l
उ ह उनके दान देने से पूव कई तरह के धूप, द प नेवैध से खुश करना पड़ता है
और बाकायदा हर मं के बाद अथात हर चुनावी सभा के पहले और बाद म
द णा भी देनी पड़ती है l ले कन यह चुने जानेवाले या शय वारा दया
गु त दान होता है, जो मतदान दाताओं को दया जाता ह l जो क असल धूप,
द प और नेवैध से अलग होते ह l मेरा अ भ ाय है, सगरेट, गंजा, शराब,
शबाब, ड को, नाच इ या द l और तो और इन दान देने वाल को बजरंगबल
क तरह उनक शि तय को मरण करने के लए हर एक सभा म नेताओं
वारा बार-बार उ सा हत और उतेिजत कया जाता है l कहा जाता है क
आप म ह असल शि त है l दान देने वाल को “जनता” के नाम से संबो धत
कया जाता है lिजसका उपनाम कह ं गर ब, कह ं बेरोजगार, कह ं असहाय,
कह ं शो षत, कह ं ा मण, कह ं य, कह ं छु , कह ं मुसलमान तो कह ं
अ पसं यक कहा जाता ह l चुने जाने वाले "नेता" के नाम से संबो धत होते है
और सबके पालनहार बनकर एवं सारे दुख को शव के सामान हरने का वादा
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करते हुए मेले क रौनक बढ़ाते है l ले कन इस मेले के अंत के बाद और चुने
हुए तथाक थत नेताओं के स ता ढ़ होने के बाद असल काम शु होता है l
टाचार, लूट, रेप, घोटाले, जनमानस के लए असुर त माहौल, आव यक
व तुओं के मू य म वृ , हंसा, दंगे इ या द को बढ़ावा देने का काम काम को
कया जाता है, और बड़े यापक तर पर कु छ एक को छोड़ कर हर एक वग
का शोषण कया जाता है l मेले के दौरान जनता को गणतं को समझने एवं
गणतं क ताकत को इ तेमाल करने को कहा जाता है l पर नेताओं के 5 वष
के कायकाल म वह गणतं क ताकत या न जनता जब इनके टाचार पर,
इनक करतूत पर ऊँ गल उठती है, इनसे जवाब मांगती है, आवाज़ उठती है,
तो इन नेताओं वारा उसे कु चला जाता है l तब जनता जल से नकल मछल
के सामान तड़पती हुई रह जाती है और अपने कये पर पछताती है और ऐसी
गलती दुबारा ना करने क कसम हर घर, हर गल , हर मोह ले, हर लब, हर
ऑ फस, हर सभा म खाती हुई नज़र आती है l इन सार द कत से बचने के
लए कु छ बात है, िज ह देखना, समझना, जानना और मानना ज र है l य
ना इस मेले म चुने जानेवाले ा थय क भी नयुि त और नवृ त क आयु
सीमा हो? उनक श ा, उनके माण प , शार रक मापदंड, च र क जांच
अ नवाय हो? य ना उ ह चुने जाने से पहले और उनके येक कायकाल
क समाि त पर पूरे देश के सामने दूरदशन पर उनका पॉल ाफ और नाक
टे ट का सीधा सारण कया जाये? य ना इस मेले म अ य मेल क तरह
सभी उ के देश के नाग रक को मत दान के वारा अपने नौकर को खुद
चुनने का अ धकार ा त हो? य ना इन चुने जाने वाले नेताओं वारा य द
जनता क सेवा ठ क से ना करने पर इनके कायकाल के बीच म ह जनता को
इनके पद से इ ह न का षत कर देने क शि त हो? एक और बात 15 अग त
1947 को भारत के आज़ाद के बाद ग ठत सरकार, 26 जनवर 1950 को
भारत का सं वधान लायी और उसके बाद क सरकार भारत के अ पसं यक
को बहुसं यक के बराबर वक सत करने के लए आर ण लायी l िजसम यह
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ण लया गया क 10 वष म अ पसं यक को बहुसं यक के बराबर तर
पर ला दया जायेगा l पर तय समय पर ल य क ाि त न हो पाने पर इसे
दस वष बढ़ने का फै सला कया गया और फर इसे दस-दस साल बढ़ाते हुए
1990 का ल य लया गया l फर भी ि थ त सामा य नह ं हो सक l इस लए
इसे पुनः बढ़ाकर 2000 तक और फर 2010 तक और फर और आगे बढ़ा
दया गया l इस र मक सी म अ पसं यक को तो बहुत फायदा नह ं हुआ
ले कन जो भारत के बहुसं यक थे, या न ह दू वो पछड़ गए और इसी से
समझ म आता है क इस देश क राजनै तक पा टयाँ देश के बहुसं यक और
अ पसं यक के लए कतनी फ मंद है l आज भारत का बहुसं यक वग
अपने हक क सभी सु वधाएँ जैसे श ा, रोजगार, वा य, सुर ा इ या द
सह तर के से नह ं पा रहा है l जो उसका पहला अ धकार है l भारत सरकार ने
बहुसं यक को 10 वष के लए ि थ त को सामा य करने के लए सरकार के
साथ कदम से कदम मला कर चलने को कहा था l पर पछले 50 वष से हर
बार उसे ह समझौता करने को कहा जा रहा है और इसी का फायदा राजनै तक
पा टयाँ उठा रह है और सफ अ पसं यक को रझाने के काम म जोर शोर
से जुट हुई ह और उ ह गुमराह कर उ ह सार सु वधाएँ देने का वादा और
दावा तो कर रह ह, पर पछले 50 वष से कु छ भी मुहैया नह ं करवा रह है l
भारत क उ न त तभी हो सकती है, जब भारत के बहुसं यक क उ न त हो
और बहुसं यक को सरलता से वा य, श ा, सुर ा, शां त, रोजगार, घर,
बजल , पानी इ या द आसानी से मले l ऐसा तभी होगा जब भारत के सभी
बहुसं यक अब देश के नेताओं पर आ त ना रहकर अपने हक के लए लड़े
और उनक उ न त को सु नि चत करने वाल को मत का "दान" देकर देश
को वक सत बनाय और देश के अ पसं यक क मूलभूत आव यकताओं
क पू त के लए आगे आये और उनका हक उन तक स मान के साथ
पहुचाएं l य द भारत का बहुसं यक वकास करेगा तो अ पसं यक खुद ह
वक सत हो जायगे l भारत के चुनाव म हो रहे रसमक सी और स दायवाद
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को ख म करने के लए एक ऐसा अ यादेश लाया जाए िजसके वारा देश के
अ पसं यक क सभी मूलभूत आव यकताएं पूर क जाये पर उनका इस
चुनावी मेले म वेश बंद कर दया जाये l अथात उनका मत देने का अ धकार
छ न लया जाये l तभी देश क सभी शीष रा य और े ीय पा टयाँ
बहुसं यक के पीछे भागेगी और जब देश के एक बड़े वग को इसका फायदा
मलेगा तो देश के अ पसं यक वयं वक सत हो जायंगे l जनता व त आ
रहा है, इन न का जवाब मांगने का अगर अब भी आप नह ं जागगे तो फर
आप पुनः पहले क तरह ता ड़त होते रहगे और यह नेतागण आपका शोषण
करते रहगे l आपको गर ब, बेरोजगार, भूखा, ह यारा, बदमाश, माओवाद ,
न सलवाद , आतंकवाद के साथ- साथ देश ोह बनाते रहगे और अपनी
रो टयां आपक , आपके ब च क हमार सेना के जवान क शहादत पर अपने
बेतुके बयान देकर सेकत रहग l
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आर ण कसका अ धकार !
“आर ण” िजसे सुनकर ह कमजोर तबके के लोग खुश हो जायगे और यह
श द उ ह बड़ा सुकू न पहुंचाएगा l इसी तरह क बात को समझकर
आर ण को देश म लाया गया और आर ण के नाम पर एक बड़ी
राजनी त क गयी और आज भी क जा रह है l पर या वाकई आर ण
उ ह दया गया या दया जा रहा है, जो असल म इसके हक़दार है? आर ण
है या और कनके लए इसको लागू कया गया? आइये इसे समझते ह!
पछड़े वग, पछड़ी जा त, जनजा त, अनुसू चत जा त, एवं अ पसं यक
को बहुसं यक के बराबर सामािजक धरातल पर ले आने के लए आर ण
लागू कया गया और देश के पछड़े वग एवं अ पसं यक को यह बताया
गया क आर ण ह एक मा रा ता है, िजसपर चलकर उनका क याण
हो सकता है l पर तु िजनके लए लाया गया उनका कम पर जो इसक
वकालत कर इसे लाए और िज ह ने राजनै तक तर पर इसका समथन
कया, इसका गीत गया वो खुद को आर त करने म लग गए और उनका
क याण हो गया l देखने वाल बात है क मौजूदा समय म देश क 30% से
यादा जनता गर बी रेखा के नीचे है और 40% से यादा जनता सरकार
नी तय क वजह से गर बी रेखा के नीचे जाने को कतारब है, और इन
70% म अ पसं यक, पछड़े वग, अ त पछड़े वग तो है ह पर उससे
अ धक सं या बहुसं यक क ह l अब देखने क बात है क जब देश क
70% जनता महंगाई, भुखमर , आभाव, बेरोजगार , के साथ-साथ अ य
सम याओं से त है, तो फर कु छ एक को ह रा य और रा य तर पर
आर ण कै से मल सकता है? यह तो देश के 70% मा लक का अ धकार
है, जो वगत वष म सरकार के नेताओं और पूरे तं के कारण इतना पछड़
गयी है क उनक ग त के लए, उनके तं का तं को सुचा प से काय
बोल भारत बोल Page 33
करने के लए उनको आर त करना आव यक हो गया है l एक और बात
है क आर ण के लए पछड़े वग , अ पसं यक इ या द को जो
जा तगत आधार पर आर ण दए जाने के लए जा त माण प क
अ नवायता है, ले कन उसको ा त करने म ह पछड़े वग एवं
अला सं यक को वष लग जाते है l सरकार वारा पछड़े वग, जा त,
जनजा त, अनुसू चत जा त, एवं अ पसं यक के लए आर ण क
यव था तो है पर िजन-िजन भी े म उ ह आर ण दया जाता है, उन
े तक बड़ी सं या म पहुँचाने क यव था ना के बराबर है l सफ
िज ह ने आर ण सेवा के ज रये आर ण लया है और सामािजक तर
को पा गए है, उ ह ह गलत तर के से आर ण दया जा रहा है l यह
सरकार का नंदनीय यास है और पूरे भारत म चाहे वो रा य सरकार हो
या क सरकार उसका यह काय आर ण नी त के व है, देश के
बहुसं यक से धोका है l मान ले जब एक ा मण, य या एक शु का
पु एक ह समय म श ा द ा ा त कर रोजगार के लए आवेदन करता
है, तो शु को कम अंक और कम शार रक यो यता के बावजूद चुन लया
जाता है और बहुसं यक को छांट दया जाता है l इसम उस बहुसं यक के
प रवार म ज म उस व याथ का या दोष है? जो हर पहलू पर उस पछड़े
वग के छा से आगे है l भारत म ह दू बहुसं यक है और बा क धम वाले
अ पसं यक, ह दुओं म भी ा मण, य इ या द को छोड़कर बा क
िजतने जा त के लोग है, वह कम सं या म ह, तो पहले बहुसं यक को एक
स मानजनक तर पर ना पहुंचाकर पछड़े वग, जा त, जनजा त,
अनुसू चत जा त, एवं अ पसं यक को तथा ह दुओं म न न जा त
वाल के लए या तो आर ण चुनावी टंट है, या फर उ ह सं या के
आधार पर बहुसं यक के बराबर लाना ह सरकार एवं इनके पीछे
बोल भारत बोल Page 34
राजनी त करने वाल पा टय का मकसद है l उ ह बहुसं यक के बराबर
सामािजक तर पर लाना कतई नह ं है l यह भारत क आर ण नी त से
समझ म आता है l भारत म सं वधान के अनुछेद 14 से अनुछेद 18 तक म
समानता का अ धकार के अंतगत आर ण को लाया गया है l धारा 15 क
उपधारा 4 के तहत पछड़े वग, जा त, जनजा त, अनुसू चत जा त, एवं
अ पसं यक को जा तगत आधार पर कु छ वशेष सु वधाओं और सेवाओं
को देने क यव था क गयी है l अनुसू चत जा तय के लए सरकार पद
पर एवं नौक रय के लए नवा चत होने के लए उ मीदवार के सुर त
थान का बंध ह आर ण है l यह आर ण ारंभ म 10 वष के लए था
इससे देश क आव यकता बताकर दस-दस वष बढ़ाते हुए 1990 तक
इसक अव ध नि चत कर द गयी जो और भी आगे बढ़ा कर 2000 और
फर उससे भी आगे कर दया गया l यह शम क बात ह है क अगर देश
क सरकार चाहे वो कां ेस क हो या कसी अ य पाट क हो, 10 वष क
समय सीमा के अ दर कये जाने वाले काम को 50 वष से भी अ धक
समय म भी पूरा ना कर सक l यह देश क राजनै तक पा टय एवं सरकार
क देश क जनता के त असंवेदनशीलता को दशाता है l
बोल भारत बोल Page 35
भारत का रा प त !
भारत का ' थम नाग रक', "रा प त" देश का संवैधा नक धान
कहलाता है l ले कन या भारत के रा प त को सं वधान के अनुसार चुना
जाता है? भारत का सं वधान भारत क ग त के लए बनाया गया l पर
या सच म ऐसा है? पछले रा प त चुनाव म अपने या देखा? अपने
देखा क पी.ए.संगमा और णव मुख़ज के बीच रा प त पद के लए
चुनाव हुआ, िजसम णव मुख़ज चुनाव जीत गए और उ ह देश का
रा प त बना दया गया l कहा जाता है क भारत म 'लोकतं ' है और
लोकतं के अनुसार जनता देश क ताकत है l पर या सच म जनता देश
क ताकत है, या उसे जनरेटर टाट करने वाले हडल के प म इ तेमाल
कया जा रहा है? िजस कार हडल को जनरेटर टाट करने के बाद
जनरेटर से अलग कर दया जाता है और फर उसका कोई काम नह ं रहता
है, जब तक जनरेटर चालू रहता है l और एक बात हडल क जनरेटर चालू
करने क मता तो होती है, पर जनरेटर बंद करने का साम य नह ं होता l
ठ क उसी कार हमारे देश क नवाचन प त भी हमारे रा प त को
चयन करने का काम करती है l हमारे वारा चुने गए नौकर अथात सांसद
अपना सेनाप त चुनते है l पर वा त वकता म उ ह अपना नह ं बि क देश
का सेनाप त चुनने के लए जनता भेजती है l बहरहाल आपको याद
दलाना चाहता हूँ, क पछले रा प त चुनाव म समाचार प , चैनल ,
सभाओं इ या द म आपने णव मुख़ज और पी.ए.संगमा का भाषण
रा प त चुनाव के पहले सुना होगा l पर उसके साथ एक और स य पु ष
का संदेश आया था, वो थे ए.पी.जे. अ दुल कलाम l पूरा माजरा जानते है
आइये! णव मुख़ज साहब जब वत ्मं ी थे, भारत सरकार म तब उ ह
रा प त पद के लए नामां कत कया गया जो क एक तेज-तरार नेता थे
बोल भारत बोल Page 36
और वत ् मं ी के काय को बखूबी से नभा रहे थे एवं धानमं ी पद के
लए आने वाले चुनाव म उपयु त उ मीदवार थे l पर तु राजनी त भारत
क कहाँ कसी को छोड़ती है साहब! उनसे टकराने क कसी म ह मत
नह ं थी, य क वो एक पाक साफ़ नेता के प म काम करते आ रहे थे और
कर रहे थे l यह बात उनक काय णाल के अनुसार काम न करने वालो
को अ छ नह ं लगी और उ ह बहुत बु मानी से राजनै तक वदाई दे द
गयी l एक ऐसे स मान के साथ जो वो नह ं चाहते थे और वो स मान था
"रा प त का पद" l िजसके बारे म न उ ह ने कभी भी नह ं सोचा था, और
न कभी उ ह ने रा प त बनने क इ छा जा हर क थी l जब शीशराम
ओला जी जो णब मुख़ज जी से 8 वष बड़े है, उ ह म मं ी बनाया जा
सकता है, तो णब मुख़ज जो अपने कत य का नवहन अ छ तरह से
कर रहे थे, उ ह वराम य दया गया? यह वचारणीय है! आपको पता
होगा क भारत का रा प त भारत का लोकसभा सद य, रा यसभा
सद य, धानमं ी के पद पर रहने वाला या कोई अ य भारतीय िजसक
आयु 35 वष या उससे अ धक हो वो बन सकता है, एवं पुनः नवा चत हो
सकता है, पर तु वह रा प त पद से हटने के उपरांत लोकसभा या
रा यसभा का सद य नह ं बन सकता l िजसे सोचकर ह णब मुख़ज जी
को महाम हम रा प त का पद दया गया l अब बात पी. ए. संगमा जी क
जो 11वी. लोकसभा म लोकसभा अ य रह चुके है l वह रा प त बनने
को आतुर हो गए एवं येन के न ाकरेन रा प त बनने के लए यास
करते दखे, पर तु असफल हो गए l ले कन जब ए.पी.जे. अ दुल कलाम
जी के बारे म कु छ एक राजनै तक पा टय ने और देश एक बड़े समूह ने
रा प त पद हण के लए नवाचन म शा मल होने क आवाज़ उठाई, जो
25.07.2002 से 25.07.2007 तक रा प त पद पर आसीन थे और उ ह ने
बोल भारत बोल Page 37
कई मह वपूण काय को पूरा कया एवं भारत क पहचान एवं ग रमा
व व तर पर बढाई l उ ह ने रा प त पद के लए हो रह राजनी त एवं
पद क ग रमा को तार-तार करने वाले करतब देखकर रा प त पद के
लए नवा चत होने से मना कर दया l और इस पूरे नवाचन या म
जनता जो लोकतं बनाती है, जनरेटर के हडल के सामान रह गयी और
इस शमसार करने वाल घटना को बंद नह ं कर सक l
मेर जनता से एक अपील है क कब तक आप लोग यूँ ह हडल क
भू मका अदा कर इस तरह क ओछ घटनाओं को अंजाम देते रहगे और
इनका द दार करते रहगे l जा गये और अपनी शि तय का संशोधन कर
देश को ग तशील बनाने के लए आगे आईये l
बोल भारत बोल Page 38
माधव और इ ा हम चाचा l
भारत के कतने ह नेता चाह वो राजनै तक पा टय के शीष पद पर हो,
सरकार म हो, या कसी धम के टा का प धारण कये ह , या कसी संघ
के संचालक या बोड के सं थापक अथवा नदशक हो l जब तक भारत म
"इ ा हम चाचा और माधव" ह, तबतक भारत को धम और जा त के नाम
पर बाँटने क उनक को शश कभी सफल नह ं हो सकती, जो ऐसा करना
चाहते है या ऐसा करने का यास कर रहे है l आप उ सुक ह ग क कौन ह
यह "माधव और इ ा हम चाचा"? पहले तो कभी सुना नह ं इनके बारे म?
तो आइये जानते है! भारत के एक छोटे से गाँव क घटना है l जहाँ आपके
गाँव, क ब और शहर के सामान ह दू और मुि लम एक साथ रहते थे l
उसी गाँव के एक मोह ले म माधव नाम का एक लड़का रहता था l िजसके
माँ-बाप बचपन म ह उसे छोड़ कर चले गए थे l माधव के घर के बगल
वाले घर म इ ा हम चाचा अपने चार बेटो के साथ रहते थे l माधव और
इ ा हम चाचा म खूब पटती थी और वो रोज सबेरे साथ साथ खेत म जाते
थे और शाम ढ़लते साथ ह वापस आते थे l कभी कभी ज दबाजी म
इ ा हम चाचा के वल रोट बना पाते थे तो माधव से पूछते थे क अरे
माधव! तूने स जी बनायीं है या? ज़रा मेरे लए भी डाल कर ले आ आज
म स जी नह ं बना पाया खत म चलकर साथ खा लग l मने रो टयां ले ल
ह तू सफ स जी ले आ l इसी तरह कभी माधव समय के आभाव म सफ
रो टयां बना पता, तो वह इ ा हम चाचा से स जी लेकर साथ म खा लेता
था इस कार इ ा हम चाचा और माधव बड़े यार से एक दूसरे क मदद
करते और एक दूसरे का याल रखते थे l एक दन क बात है, माधव और
इ ा हम चाचा अपने अपने खेत म काम कर रहे थे क अचानक गाँव
वालो क आवाज़े सुनाई द l मारो-मारो आज कसी को िज दा नह ं
बोल भारत बोल Page 39
छोड़गे इ या द-इ या द l जब कु छ लोग दोड़ते हुए उनके पास आये तो
इ ा हम चाचा ने पूछा l या बात है? कसे मारने क बात कर रहे ह आप
लोग? गाँव के कु छ मुि लम कसान ने उ तर दया क चाचा हमारे खेत
म ह दू कसान ने जानबूझकर अपने जानवर छोड़ दए ह, ता क हमार
फसल बबाद हो जाये l आज तो हम न उन ह दुओं को छोड़गे ना उनके
जानवर को l मारो-मारो च लाते हुए उनका एक झु ड ह दुओं के
मोह ले क तरफ बढ़ चला l जब ह दुओं को पता चला क मुसलमान का
पूरा रेला उ ह मारने के लए आ रहा है, तो उ ह ने भी अपनी कमर कस ल
और सभी इक ा होकर कहने लगे क आने दो आज उ ह एक भी अपने पैर
पर चलकर वापस नह ं जा पायेगा l इस तरह पूरे गाँव म तनाव फ़ै ल गया l
दोन ओर के कु छ लोग अपने अपने लोगो को एक दुसरे के त भड़काने
और उकसाने म लग गए l इतने म ह दुओं का झु ड भी वहां आ पंहुचा
और इ ा हम चाचा भी माधव के साथ मुसलमान के झु ड के बीच पहुँच
गए l मुसलमान ने इ ा हम चाचा को माधव के साथ देखकर कहा, चाचा
आप इस का फ़र के साथ या कर रहे ह? इ ा हम चाचा ने कहा भाइय मेरे
बेटे तो आपके दल म ह और अपनी कौम के लए लड़ने के लए तैयार ह,
पर इस माधव का अपना कोई नह ं है, इस लए म इसके साथ ह दुओं क
तरफ से लड़ने जा रहा हूँ l आप मेरे बेट का यान रखना l चाचा का इतना
कहना ह था क दोन दल के लोग ने अपने-अपने ह थयार डाल दए और
मुसलमान ने माधव को और ह दुओं ने इ ा हम चाचा को गले से लगा
लया l आप जानना चाहग क माधव और इ ा हम चाचा दखते कै से थे?
उनक तो ना कोई त वीर है? न कोई पता? तो भाइय आपक परेशानी
अभी दूर कर देते ह l माधव और इ ा हम चाचा हमारे जैसे ह दखते है,
और खुद हमम ह नवास करते है l हम ह तो है माधव और इ ा हम चाचा
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Bol bharat bol

  • 1.
  • 2. बोल भारत बोल Page 1 बोल भारत बोल थम सं करण : सत बर, 2013 कॉपीराइट © दुगश नागी लेखक दुगश नागी काशक वतं काशन आसनसोल - 713301 संपक:- 09563501808 / 09555877322 ईमेल:- bolbharatbol@live.com
  • 3. बोल भारत बोल Page 2 हर एक पाठक से कहते ह क सच बोलो तो ाण गंवाने पड़ते ह l म भी सचाई गा-गा कर शीश कटाने आया हूँ l घायल भारत माता क त वीर दखाने आया हूँ l घायल भारत माता क त वीर दखाने आया हूँ l - दुगश नागी
  • 4. बोल भारत बोल Page 3 वशेष ध यवाद ी णीत जैन एवं ी द पक नागी
  • 5. बोल भारत बोल Page 4 रचना के स ब ध म l "बोल भारत बोल" सफ मेर ह नह ं अ पतु पूरे जनमानस क आवाज़ है l िजसे आज बेवजह हर जगह अपना हक पाने के लए समझौता करना पड़ रहा है l िजसे पग-पग पर ठगा जा रहा है, जो भारत क आज़ाद के 66 वष बाद भी शो षत, अपमा नत और तर कृ त हो रहा है l इसे लखना इतना आसान नह ं था, ले कन ई वर क कृ पा से मुझे अपने जीवन म कु छ ऐसे लोग मले िज होन जीने क कला सखाई और अपनी बात पर ढ़ होकर सरल अंदाज म उसे कहना और उस पर अमल करना सखाया l "बोल भारत बोल" परम पता परमे वर, ी गु नानक देव जी महाराज, ी गु गो व द संह जी महाराज, मेरे माँ-बाबा, मेरे पता सामान गु ेय सुर ताप संह जी, ी गु रंदर संह जी (सद य भारतीय ेस प रष ), ी द पक संह जी (अ य , मॉडन इंि ट यूट ऑफ़ मैनेजमट), ी जो ग दर संह जी (पूव नदेशक सी.बी.आई.), मेरे परम आदरणीय श क ी शव राम ग र जी, वग य ी मदन मोहन संह जी, ी दयानंद मश्र जी, ी प नाथ पा डेय जी, ी राम मलन पा डेय जी, ी रणबीर संह जी, ी अशोक कु मार जी, ी श ु न रजक जी, मेरे म णीत जैन, द पक नागी, अजय यादव, मुख क व एवं सा ह यकार संत कबीर,
  • 6. बोल भारत बोल Page 5 मुंशी ेमचंद, ी रामधार संह ' दनकर', ह रवंश राय ब चन, ी गोपाल संह नेपाल , शव खेड़ा, वल जाल , मधु पू णमा क वर जी, मुके श कु मार, शव साद बमन जी, एवं अ ण शमा जी के साथ-साथ सम त भारतवा सय को सम पत ह l िज होन बचपन से आज तक मेरा मागदशन कया और जाने अनजाने म मुझे बहुत कु छ सखाया l “बोल भारत बोल” म भारत क कु छ सम याओं का वणन, उनके मूल कारण को दखलाने क को शश और उनको ठ क करने का रा ता दखाने का एक छोटा सा यास कया ह l मने अपने 23 बसंत के जीवन म िजतना अनुभव और ान ा त कया उसके तज पर इसे लखने क को शश क ह l भारत क मौजूदा ि थ त म कु छ बहुत ह खुश और कु छ अ यंत दुखी लोग को देखकर उनक इस हालत को समझने के क्रम म और उनके इस हालत के पीछे छप कारण क खोज "बोल भारत बोल" के नाम से सामने आई ह l "बोल भारत बोल" भारत के लोग क मन क बात है या उसके व यह तो उनके दय म वरािजत ई वर ह तय कर पायग l ले कन मेरे लए यह पूणतः ई वर य अनुभव है l आपका दुगश नागी
  • 7. बोल भारत बोल Page 6 वषय-सूची पृ ठ सं या • भारत के सव च यायलय से l [7] • धा मक भावनाओं क ब बंद करे! [9] • न सलवाद, माओवाद और आतंकवाद [11] कारण और समाधान l • अ ल लता l [14] • श ा l [16] • गर ब कहना बंद करे! [19] • या आप व थ ह? [23] • झूठ सावजा नक शि त "वोट" l [27] • आर ण कसका अ धकार! [32] • भारत का रा प त! [35] • माधव और इ ा हम चाचा l [38] • भारतीय शास नक सेवा के शासक कौन? [41] • भारत के बाबा! [47] • कसक रोट कतनी बड़ी! [51] • भारत के कानून! [54]
  • 8. बोल भारत बोल Page 7 भारत के सव च यायलय से l भारत म जो भी सम याएं ह, उन सम याओं का समाधान करना आव यक है l भारत के वकास म बाधा पैदा करने वाल सम याओं क फे ह र त / कड़ी बहुत ल बी है l अ श ा, कु पोषण, बेरोज़गार , सुर ा, योन-उ पीडन, आतंकवाद इ या द l इन सम याओं को हल करने के लए ह हर देश ने गणतं को अपनाया िजस सूची म भारत ने अपना नाम 26 जनवर 1950 को दज कराया l गणतं रा होने से भारत क जनता म उ मीद जगी क अब देश एकता एवं अखंडता के साथ समानता एवं धम नरपे ता के बल पर आगे बढेगा l देश क सम याओं का समाधान करने के लए राजनै तक दल बने, िजनम कई राजनेताओं ने ज म लया l िज ह ने गर बी, भुखमर , अ श ा, बेरोजगार मु त भारत बनाने के सपने दखाए l पर आज़ाद के 66 साल होने के बावजूद अमीर और अमीर होता चला गया और गर ब कं गाल होता गया l ले कन एक बड़ा प रवतन हुआ, िज ह ने देश को सम यामु त करने का बीड़ा उठाया था, वो ह देश का मोल लगाकर माला-माल हो गए l पर माल एक जगह पड़ा रहे तो माल म क ड़ा लगता ह है l इस लए इन सम या से मुक्त करने का दावा करने वाले ह रय पर एक सम या आई और देशवा सय को फर से एक उ मीद क करण नजर आई l जब माननीय सव च यायलय का फै सला आया क दो साल से अ धक सजा काट चुके टाचार म ल त नेताओं को संसद से न का षत कर दया जायेगा एवं उ ह चुनाव लड़ने नह ं दया जायेगा l इस म म अगर देखा जाए तो सफ 2004 से 2013 के बीच अबतक
  • 9. बोल भारत बोल Page 8 62847 मामले दागी एवं ट नेताओ के ऊपर दज है l िजनम 1258 वधानसभा के सद य है, और बड़ी राजनी तक पा टयाँ जैसे भाजपा से 13% वधायक और सांसद, कां ेस से 8% वधायक और सांसद आरोपी है l रा यसभा म 17% दागी मं ी है l िजनपर टाचार, लूट, गबन, मडर इ या द के 11000 से भी अ धक अपरा धक मामले दज है l 2575 नेता गंभीर मामलो म आरोपी है, फर भी पता नह ं य उनपर यायालय के फै सले लं बत है? िजन नेताओं पर आरोप है, वो देश क अ गणी पा टय के साथ-साथ सरकार म सेवक का मुखौटा पहने बड़े-बड़े पद पर आसीन रह चुके है l और कु छ अभी भी है और इन पद क ग रमा को ताक़ पर रखकर इन कारनाम को अंजाम दे रहे ह l पर यहाँ पर भी जनता को छलने का यास इन नेताओं और पा टय के वारा कया जा रहा है l माननीय सव च यायलय सच म य द भारत का वा भमान, भारत क अि मता, भारत का धन और भारत को एक बार फर गुलाम होने से बचाना चाहता है तो 62847 मामले जो इन 41% नेताओं के ऊपर चल रहे है l उनके नपटारे के लए फ़ास ्ट ैक कोट का नमाण करे और चुनाव से पहले दा गय को सजा देने के लए देश के चु नंदा यायधीश को सुनवाई एवं कारवाई करने के लए नयु त करे और संसद पी प व थान को इन टाचा रय से मु त कर भारत नमाण के लए त काल एक मह वपूण कदम उठाये ता क भारत क जनता का भारतीय सं वधान और भारतीय याय यव था पर से व वास न उठे l
  • 10. बोल भारत बोल Page 9 धा मक भावनाओं क ब बंद करे! भारत एक ऐसा देश एक ऐसा रा जहाँ न धम क कमी है, न धम का मह व कम है और न धम के त मह वाकां ी लोग कम ह l यह बात भारत को दूसरे देश से अलग करती है l और यह भारत के लए एक ऐसी सम या बनी हुई है, िजसका इलाज असंभव सा जान पड़ता है! धम का स ब ध लोगो से होता है, उनके वकास से होता है. कोई तलक लगता है, कोई नमाज अदा करता है, कोई शीश नवाता है, तो कोई गुनगुनाता है l धम सम या नह ं है, समाधान है l चाहे वह तथाक थत सनातन धम हो, इ लाम धम हो, सख धम हो, बु धम हो, जैन धम हो या कोई अ य धम l एकता, समानता, सदभाव, भाई-चारे एवं ेम का संदेश हर धम देता है l जब धम हमारे वकास के लए ह, तो फर कौन इस धम को सम या के प म बता कर हंसा, वेष, घृणा और दंगो को करवाता ह और उनको बढ़ावा देता है? यह समझने और जानने क बात है! हर मजहब से जुड़े लोग के कु छ अपने मजहबी र त- रवाज होते है l िजनका अनुसरण हर धमानुयायी को करना चा हए और िजसको अपनाकर हर धमानुयायी शां त पाता है l कु छ धमानुयायी मू तपूजा/ साकार म क उपासना करते है, कु छ नराकार म क उपासना करते है l पर इन दोन धमानुया यय को समय-समय पर कु छ लोग अपने फायदे के लए एक दूसरे क उपासना प त को कमतर आंकने के लए े रत और उ तेिजत करते है, तब जाकर धम सम या के प म प रणत हो जाता है और यह सम या इतनी वकट हो जाती है क धमानुयायी एक दूसरे से पर पर घृणा, वेष और हंसा पर उता हो जाते है l जो आगे चलकर दंगो का प ले लेता है l यह सार सम या अपने को सव तम और शि तशाल स करने के च कर म पैदा होती है l यह कु छ लोग नजी वाथ क पू त के लए करते है और अपनी गलत सोच के कारण अपने पूरे धम को बदनाम करते है l कसी भी धम को या उस धम को मानने वाले को कोई अ धकार नह ं है क वह दूसरे
  • 11. बोल भारत बोल Page 10 धमानुया यय का अपमान करे या उनके र त- रवाज पर ट का ट पणी करे l जो धम नाचता हुआ नह ं है, जो ख़ुशी ना दे सके , हँसी न दे सके और िजससे व वेष पैदा हो वह धम, धम कहलाये जाने के लायक नह ं है l अब बात उन संक ण मि त क के आलसी, नक म , नठ लो और अमानवीय मानवीय संरचनाओं क जो मानव कहलाये जाने के लायक नह ं है और जो मूख के समान जरा सा ान ा त कर लोग को बहकाकर अपना उ लू सीधा करने म लगे है l जो सयार क तरह चालाक म पूंछ कटा कर दूसर को भी पूंछ कटाने के लए उतेिजत करते है l उनको जड़ता म जड़े रहने को मजबूर करते है l प ट श द म चेतावनी है क लोग म य द ेम, शां त और म ता का बीज नह ं बो सकते है, तो कम से कम नफरत का बीज बोने का काम न करे l पहले धम के शाि दक एवं ताि वक अथ को समझे एवं जब तक समझ ना आए और को समझाने क जुररत न कर l बि क अपने धम क मयादा म रहकर लोग के धम और उनक ध मक भावनाओं क क करे l ई वर एक है, कु छ उसे साकार प और कु छ नराकार प म उसका मरण करते है, उसे पूजते है, जो साकार प म पूजते है, उनको वैसा करने म शां त मलती है और जो नराकार प म उनका वंदन करते है, उ ह वैसा करने से शां त मलती है l अगर इन दोन म से कसी को भी अपनी उपासना प त से अगर शां त नह ं मलेगी तो वतः ह वह अपने इ वर य उपासना प त के मापदंड म प रवतन कर लग l वेद म भी वणन है :- ई वर एक ह, उसके मरण और उपासना का तर का अलग अलग है l इस लए भारत के पूण वकास के लए भारत के लोग क धा मक भावनाओं को बेचने का काम बंद करे, और जो ऐसा करते हुए दख रहे है, उनको त काल ऐसा करने से रोककर ह भारत का वतमान ग तशील और भ व य उ जवल हो सकता है l
  • 12. बोल भारत बोल Page 11 न सलवाद, माओवाद और आतंकवाद कारण और समाधान l आतंकवाद, एक ऐसा श द िजसे सुनकर आ मा काँप जाती है, दल सहर उठता है और जब इसके साथ माओवाद और न सलवाद सुनाने म आता है तो भय अपने चरम पर होता है l भारतीय सं कृ त म के वल दो ह वाद च लत थे, वैतवाद और अ वैतवाद l फर उसक जगह न सलवाद, माओवाद और आतंकवाद ने कै से ले ल यह समझना ज र है l या है यह? और कौन है इसके ज मदाता? या सखलाता है यह आतंकवाद? या है िजहाद क प रभाषा? और या मकसद है इसका? कह यह कु छ व ु द क बोल तो नह ं? या कु छ अपमा नत, तर कृ त, अघो षत समूह का समूह तो नह ं? आ खर यह न सलवाद , माओवाद और आतंकवाद हमारे बीच म से ह तो पैदा हुए है! भारत म हर एक मजहब के लोग कहते ह क हमारे मजहब का न सलवाद, माओवाद और आतंकवाद से कोई लेना देना नह ं है l ले कन यह हमारे वारा माने जानेवाले मजहब म ह तो पैदा हुए ह? फर य इ होन िजस मजहब म ज म लया उसे छोड़ कर अपना एक अलग रा ता बना लया? या इ होन िजस मजहब म ज म लया वो उनके मुता बक नह ं था? या उसम कु छ खामी थी? या उस मजहब के ह कु छ लोग ने उ ह उकसा कर ऐसा करने को तैयार कया? आ खर य यह अपने मजहब के रा ते को छोड़कर एक नए पथ पर चल नकले? या यह अपने मजहब क र ा एक अलग तर के से करना चाहते ह और अपने मजहब को आतंकवाद के ज रये फै लाना चाहते ह य इ होन इस पथ को चुना? या आपको आतंकवाद क जो प रभाषा बताई गयी वह ं तक आतंकवाद सी मत है? या इसक जड़े यापक है l जो समाज के एक वग वशेष वारा दूसरे वग से कया गया?
  • 13. बोल भारत बोल Page 12 कौन िज मदार है, आतंकवाद के लए? कौन बढ़ावा दे रहा है इसे? या सच म कसी मजहब का इससे कोई लेना देना नह ं है, या मजहब ह एक कारण है? न कई है और इनके उ तर भी सहज ह है l पर या हम उन न का उ तर अपने आपको देने क ह मत रखते है? या आतंकवाद, माओवाद और न सलवाद कु छ और नह ं बि क हमारे वारा, हमार सरकार वारा, उनक नी तय वारा, हमारे बीच के कु छ नबल, भोले भाले, हमारे वारा ता ड़त कये हुए, लि जत कये हुए, िजनका हक हमने मारा, उनका एक ऐसा यापक समूह है l जो आज हमारे गले क फांस बन चुका है? हमारे नेताओं, सरकार , धा मक कमकांड , नी तय , मसोद , योजनओं क देन है न सलवाद, माओवाद और आतंकवाद l जो सभी के स पूण वकास के सपने तो दखाती है, पर तु कसी एक वग के वकास के लए ह काय करती है l आतंकवाद का कारण है, हमारे देश का अपने आपको धम नरपे घो षत करना, पर देश के येक वग के बीच धम क दवार खड़ी कर देना l न सलवाद, माओवाद और आतंकवाद का कारण है, हमारे गणतं म झूठा व वास रखने वाल सरकार का नमाण करना और उस सरकार म शा मल नेताओं का अपने-अपने देश के कु छ एक मुठ भर लोग को छोड़कर एक बड़े वग के साथ प पात करना l न सलवाद, माओवाद और आतंकवाद का कारण है, हमारे गाँव के वकास के लए नेताओं वारा बड़े-बड़े वादे करना पर चुनाव जीतने के बाद उन गाव को प र य त घो षत कर देना l न सलवाद, माओवाद और आतंकवाद का कारण है, हमारे युवाओं क श ा, वा य, रोजगार क सम याओं को जस के तस बनाये रखने क नी तयाँ l न सलवाद, माओवाद और आतंकवाद का कारण है, स ता म आई सरकार के कु छ नुमाइ द वारा गर ब को लि जत करना, अपमा नत करना, ता ड़त
  • 14. बोल भारत बोल Page 13 करना, उनक अि मता को लूटना l न सलवाद, माओवाद और आतंकवाद का कारण है, सरकार और जनता के बीच सम वय क कमी l आतंकवाद का कारण है, देश हत से बढ़कर वाथ के त यादा लाला यत हमार देश क राजनै तक पा टयाँ और उसके नेतागण और शासन l सं ेप म न सलवाद, माओवाद और आतंकवाद का कारण सरकार क गलत नी तयाँ और सरकार म शा मल मु ीभर लोगो क सांठगाँठ एवं जा त के आधार पर, धम के आधार पर, सं दाय के आधार पर सरकार का गठन, संचालन एवं नवहन का घनौना खेल l यह सब न सलवाद, माओवाद और आतंकवाद का कारण नह ं है तो और या है? न सलवाद, माओवाद और आतंकवाद का हल है l हमारे वारा, हमार सरकार के वारा, उनक नी तय के वारा, हमारे बीच के कु छ नबल, भोले-भाले, हमारे वारा ता ड़त कये हुए, लि जत कये हुए, लोग के यापक समूह िजनका हक हमने मारा है l उनको उनका हक वापस लौटाकर, उनको उनका स मान लौटाकर और हर भारतीय वारा अपने वाथ के साथ-साथ दूसरे के वाथ को यान म रख कर ह हम इस न सलवाद, माओवाद और आतंकवाद को ख मकर मानवतावाद का आरंभ कर सकते है l अ यथा यह चलता ह रहेगा l
  • 15. बोल भारत बोल Page 14 अ ल लता l शाल नता, एक ऐसा गुण है जो कसी भी मनु य के च र को दशाता है और उसे मजबूत बनाता है l समाज वकास के म म शीलता का बड़ा मह व है l बचपन से बड़े होने तक कई बार हम मयादा म रहकर बात, यवहार करने का नदश और आदेश दया जाता है, पर तु हर एक चौराह, गल , नु कड़, सावज नक थल पर मु त म बंट रहे अपश द, फू हड़ता, और अ ल ल कृ य हमारे गु ओं हमारे समाज और हमारे च र का एक अलग ह पहलू दखलाते है l आज के समय म टेल वजन, सनेमा, इंटरनेट और सामािजक नेटव कग साइ स का नमाण और वकास लोग को जाग क करने, मनोरंजन करने और सू चत करने के लए हुआ l पर टेल वजन पर सा रत होने वाले ो ाम, बड़े पद क फ़ म, इंटरनेट पर बनी हुई वेब साइ स, सामािजक नेटव कग साइ स के मा लक अपनी ट .आर.पी. के च कर म और अपने काय म को यादा से यादा बकाऊ बनाने क होड़ म खुद बकते जा रहे है, और भारत क सं कृ त को बेच रहे है l और इस बकने बकाने के यवसाय म एक बाई ोड ट का ज म हो रहा है, जो समाज के लए अ भशाप स हो रहा है और िजसके भाव से रेप, ह या, म हलाओ के साथ छेड़खानी, लूट, गबन, गुंडागद इ या द घटनाओं को अंजाम दया जा रहा है l और वो बाई ोड ट है "अ ल लता" l यूँ तो अ ल लता वयं ह समाज का सवनाश करने के लए काफ है l पर टेल वजन पर सा रत होने वाले काय म वारा घृणा, वेष, ोध, अहंकार, ई या इ या द अमानवीय तथा असमािजक गुण का ज म हो रहा है l यान देने यो य बात है, बचपन से ह हम कू ल म श टाचार, आदश, परोपकार इ या द सखाया जाता है और सीखने के इस म म कहा है क य - य हम बड़े होते जायेग, वक सत और साि वक
  • 16. बोल भारत बोल Page 15 होते जायेग l क तु कसी कू ल क श ा प त के वारा ऐसा प रवतन वरले ह देखने को मल रहा है l न यह है हमारे सामने क िजस तरह के अ ल ल गाने, फ़ म, काय म, व ापन, अ ल ल साइ स क बाढ़ आई हुई है, या हम उ ह पसंद करते है? या देखना चाहते ह? या यह हमारे जीवन का ह सा बन गयी है? या हम इ ह देखने के लए े रत कया जा रहा है? या हम इ ह अपनाने के लए उ तेिजत कया जा रहा है? या हमारे समाज पर यह थोप जा रहा है? या हमार सं कृ त को ख़ म करने, भुला देने का यास कया जा रहा है? या या हम अपनी सं कृ त पूणतः भूल चुके है? या हम अपनी नै तकता खो चुके है? या हम ऐसे काय म को देखना अपनी शान समझते है? या हम इनके च कर म फं स चुके है? अथवा हमारे पास इनको वीकार करने के अलावा कोई और चारा नह ं बचा है? जरा सो चये! भारत व व क ाचीन सं कृ त को मानने वाला देश है l या भारत क कोई अपनी सं कृ त बची है अब! या उसका भी पूण प से यवसायीकरण हो चुका है! य द ऐसा नह ं है l हमम ज़रा सी भी नै तकता बची है, तो कौन इन अ ल ल काय म , गीत , फ म , व ापन , समाचार , इंटरनेट साइ स को हम पर थोप रहा है? या इसके लए हमार सरकार िज मेदार है? कु छ मु ी भर लोग िज मेदार है? सरकार तं िज मेदार है? या फर हम वयं िज मेदार है? अगर हमने तुरंत इ ह नह ं यागा तो वो दन दूर नह ं जब भारत, भारतीय स कृ त, भारतीय स यता के वल दंतक कथा ह बनकर रह जाएगी l िजसे सुनने वाला शायद ह कोई भारतीय हो l
  • 17. बोल भारत बोल Page 16 श ा हर एक मनु य क कई इ छाएं होती है और उन इ छाओं को पूरा करने के लए मनु य को कम करना पड़ता है l कम करने के लए ान क ज रत होती है, स ां तक ान और यावहा रक ान l ान श ा से आता है, जो मनु य क मूलभूत ज रत म से एक है l श ा के वारा ह मनु य का सवागींण वकास हो सकता है l पर मनु य के वकास के लए एक ऐसी श ा प त क आव यकता है, जो उसका पूण वकास कर सके l भारत क मौजूदा श ा प त के वारा भारत का वकास नह ं हो सकता l इस लए भारत क श ा प त का संशोधन ज र है l यूँ तो हमारे देश म न तो व यालय क कमी नह ं है और ना ह व या थय क l बस कमी है तो व यालयी श ा प त क जो सफ कताबी क ड़े पैदा कर रह है l कमठ एवं ईमानदार मनु य नह ं l येक वष अनुमानतः 20 करोड़ व याथ क ा थम से नातक तक पढ़न के लए हमारे व यालय म आवेदन करते है, पर तु दुभा य यह है क सफ दो करोड़ व याथ ह नातक तक श ा हण कर पाते है, शेष 18 करोड़ बीच म ह पढाई छोड़ देते ह l िजसका मूल कारण हमार श ा प त का सतह तर से कमजोर होना l व यालय म श क व याथ अनुपात का समानुपाती ना होना, श क का असमय वेतन, व या थय को उपल ध करायी जाने वाल पु तक का असमय वतरण एवं व य, सरकार व यालय क जजर अव था, देश के सभी व यालय म एक कार के पा य म का ना होना, सरकार व यालय का गैर सरकार त व वारा संचालन इ या द है l कु छ एक अ य सम याएँ भी है, जैसे आवेदन के समय सभी व यालय वारा अपने व यालय म मेधावी व या थय एवं अमीर घरान के व या थय के
  • 18. बोल भारत बोल Page 17 नामांकन पर वशेष जोर देना, व या थय के आवेदन और उनका नामांकन उनके धम, स दाय,जा त के आधार पर करना इ या द l हमार श ा प त म हमारे देश क सं कृ त क छाप होनी चा हए l इस लए भारतीय सं कृ त क र ा हेतू येक व यालय म क ा 1 से क ा 12 तक सं कृ त भाषा को अ नवाय करना अ यंत आव यक है l य ना सभी सरकार नौकर करनेवाले उ च से न न दज के अफसर के ब च को सरकार व यालय म श ा ा त करना अ नवाय कर दया जाय? िजसम आई.पी.एस. आई.ए.एस. आई.आर.एस. के साथ-साथ अ य सरकार अफसर भी शा मल ह l य ना भारत से बाहर श ा ा त करने जाने वाले भारतीय को उ त श ा पूर करने के बाद 10 वष तक भारत म काम करना अ नवाय करना देना चा हय? अब श ा प त को जानने क को शश के म म यह देखना है क या हमारे देश के बंधन सं थान म बंधन और यवसाय क श ा द जा रह है या श ा का सरकार बंधन के कु छ लोग और उनके कु छ कर बय वारा बंधन श ा का यवसाय कया जा रहा है, और यह स य भी है l उ च श ा ा त करने वाले व या थय के लए 100% कट ऑफ ल ट, नामांकन का आधार, जा तगत आर ण, पा रवा रक मौ क ि थ त इ या द के कारण हमार श ा यव था एवं कॉलेज स य श त व याथ नह ं बि क मशीन पैदा कर रहे ह l श ा का मूल काय अ ान पी अँधेरे को दूर करना है" l तो फर कम अंक ा त करने वाले व या थय पर यादा यान न देकर मु ी भर अ धक अंक ा त करने वाले व या थय को ो सा हत कर भारत का शै णक वकास पूण प से कै से हो सकता है! जब तक श ा से प पात दूर नह ं हो जाता है और बुनयाद सु वधाओं क उपल धता, पूरे देश म एक पा य म, सं कृ त भाषा को अ नवाय कर भारतीय
  • 19. बोल भारत बोल Page 18 सं कृ त का ान, एवं गाँव तथा न न तबके के लोग को उस श ा के लए जो उनके यावहा रक ान को बढ़ा सके l तब तक भारत सफ अपने गौरवशाल इ तहास क गाथा ह गाता नज़र आयेगा और कभी भी मौजूदा श ा यव था एवं उसके यवसायीकरण के माहौल म गौरवशाल नह ं बन पायेगा l
  • 20. बोल भारत बोल Page 19 गर ब कहना बंद करे ! गर ब! एक ऐसा तबका, एक ऐसा समूह जो हमेशा अखबार क सु ख़य म रहता है l जो हमेशा ता ड़त कया जाता है l हमेशा अपने मतलब के लए इ तेमाल कया जाता है और इ तेमाल के बाद हाथ प छने वाले कागज़ के टुकड़े के समान फ़क दया जाता है l आप जानना चाहग क कौन ऐसा करता है? हर एक भारतवासी, जो या तो आपको गर ब समझता नह ं ह, या अपने आपको गर ब कहलवाने से बचना चाहता है | यूँ तो गर ब सभी ह! कु छ मं दर, मि जद, गरज , मजार , दरगाह , द तर , पाट कायालय , यायालय के बाहर मांगते है, तो कु छ अंदर बस फ़क इतना होता है दोन म क इनके अ दर मांगने वालो म एक चीज़ नह ं होती, उनका “ज़मीर” और बाहर मांगने वालो म जो चीज़ होती है वो है उनक “खुदार ” और उनका “धैय” l जब मांगने का काय मं दर, मि जद, गरज , मजार , दरगाह , द तर , पाट कायालय , यायालय के अ दर और बाहर अनवरत ग त से चलता है और जो इन मं दर, मि जद, गरज , मजार , दरगाह , द तर , पाट कायालय , यायालय के अ य , संचालक, नयं क या यायधीश बने हुए है, वो भी इसके अ दर और बाहर मांगने का ह काम करते है l तो फर सफ इनके बाहर मांगने वाल को 'गर ब' कहने का हक कसने इ ह दे दया? यह कै से बाहर वाल को गर ब कै से कह सकते ह? अस लयत म तो गर ब वह है, िजसे दो व त रोट नह ं मलती, पर उस देश का राजनेता, यवसायी और देशवासी उसके वारा उगाई गयी फसल क आमदनी से, उसके वारा क गयी मजदूर से उसके वारा साफ़ क गई सड़क पर तेज़ र तार से गाडी चलाते हुए दा क बोतल फक रहे लोगो को रोट मलती है l गर ब वो है, िजसे ओढने को कपडे नह ं मलते, िजसके ब चो को अ छ श ा नह ं मलती, खेलने के लए खलौन नह ं
  • 21. बोल भारत बोल Page 20 मलते, िजसे अपने और अपने प रवार के इलाज के लए च क सालय नह ं मलते, अगर मलते है तो च क सा नह ं मलती, िजसे यौहार मानने का साम य नह ं होता l सफ मलता है तो सभी पा टय के नेताओ और बड़ी-बड़ी कं प नय और उ योग के यवसा यय वारा हर घंटे दए जा रहे वाद और दाव का गुलद ता और उस पर चपके हुए कागज़ के टुकड़े पर लखा एक श द “गर ब” l हर एक भारतवासी के साथ-साथ उन उपदेशक और नेताओं को कड़े श द म मेर चेतावनी है क देश क 67% जनता (सरकार आंकड़ो के हसाब से 22%) को जो असल म गर ब है, उसे अगर उसका अ धकार यह नह ं दे सकते तो उ ह कम से कम गर ब कहना बंद करे! पहले अपने अ दर-बाहर, दाए-बाए झाँक कर देखे फर सबसे पहले अपनी आ मा को, ई वर को और त प चात देश को जवाब दे क इसका कारण या है? कै से एक सोने क च ड़या कहे जाने वाले देश क 67% आबाद गर ब हो गयी? कै से 15 अग त 1947 को जो अमर क डॉलर 1 पये के बराबर था वो 69 पये के ऊपर चला गया? देश के लोगो को गर ब बना कर कौन अमीर हो रहा है? कौन देश म गर ब पैदा कर रहा है? देश म गर बी का पैमाना या है? अगर सरकार के योजना आयोग के हसाब से 36 पये शहर म और 28 पये गाँव म कमाने वाला गर ब नह ं है, तो य उसी योजना आयोग के अ य जो क भारत का धानमं ी है, उसका वा त वक वेतन 160000 पये से भी अ धक है? य देश के सरकार सं थान , कं प नय , वभाग म काय करने वाले सरकार मुलािजम का वेतन अनुमानतः 20,200 से 160000 पये तक है? या यह देश क 67% गर ब जनता जो क महंगाई से बुर तरह त है, उससे साथ यह एक भ ा मजाक नह ं है? तो या है? रा य तदश सव ण संगठन (एन.एस.एस.ओ.) क ओर से 2011-12 वष के उपभोग खपत के
  • 22. बोल भारत बोल Page 21 आंकड़े जार हुए ह, इसके अनुसार गाँव म 2886 पए तमाह खच करने वाला देश के शीष 5% लोग क ेणी म आ जायेगा l शहर े के लोगो के लए यह सं या 6383 पए तमाह है l यह आंकड़ा मुझे और आपको भी मुके श अ बानी, रतन टाटा, नारायण मू त इ या द क ेणी म ले आता है l है ना यह ख़ुशी मानाने का समय! भारत म 400 लोग के पास देश क 70% स प त है l "खा य सुर ा बल" के मा यम से सरकार 67% आबाद को राहत देना चाहती है, अगर देश म सरकार आंकड़े के हसाब से 22% आबाद ह गर ब है, तो मुझे इसम कोई तुक नजर नह ं आता क सरकार 67% आबाद को स ते दर पर अनाज उपल ध कराएं l य द सच म देश से गर बी दूर करनी है, तो सबसे पहले अमीर गर ब के अंतर को दूर कया जाना आव यक है l जैसे अगर एक मा यम वग य 78 पए त ल टर पे ोल खर दता है तो वह पे ोल एक उ च म यम वग य को म यम वग य से डेढ़ गुना दर पर और एक उ च वग य को तीन गुना मू य पर देना अ नवाय करना चा हए | इसके साथ-साथ उनके खाने पीने, ब चो क श ा, रहने क जगह, उनके उपभोग क व तुओं को दोगुना मू य लेकर ह गर बी और अमीर के फासले को कम कया जा सकता है l भारत के 67% लोग क मूलभूत ज रत को पूरा करने के लए सभी देशवा सय को और सरकार नौकर ा त या ग़ैरसरकार रोजगार करने वाल को सरकार छु ी के दन मलने वाले वेतन को भारत के 67% लोगो के वकास के लए "भारत वकास कोष" म सम पत करना चा हए l िजसके एक-एक पैसे का हसाब कताब ऑनलाइन होना चा हए l इसके अलावा 10 वष का एक ल य लेकर भारत के वकास के लए हर एक नौकर पेश करने वाले को चाहे वो सरकार नौकर करता हो या ग़ैरसरकार अपने हर दन के काम से एक घंटे यादा काम कर उस घंटे का वेतन "भारत वकास कोष" म
  • 23. बोल भारत बोल Page 22 सम पत करना चा हए l िजसे भारत के 67% लोग के वकास म उपयोग कया जाये l नेताओ से न है, क जब वोट क बार आती है, जब पाट का झंडा उठाने क बार आती है, तभी गर ब और गर बी क चचा राजनै तक बाज़ार म गरम य हो जाती है? देश को बांटने और बेचने वाल और सोने क च ड़या कहे जाने वाले देश क च ड़या अथात जनता के खेत को चुग कर देश को गर ब बनाने वालो ज़रा शम करो! और देश क जनता को "गर ब" कहना बंद करो!
  • 24. बोल भारत बोल Page 23 या आप व थ ह? वा य, एक ऐसा मापदंड है, जो कसी भी मनु य के वकास को उसक याशीलता को दशाता है l कसी भी देश क उ न त इस बात पर नभर करती है क वहां के लोग कतने व थ ह, वहां वा य यव था का तर कै सा है l अगर एक नजर भारत के ाचीन ंथो का अ ययन कया जाये एवं उसे सह माना जाये तो व व म कु ल 1024 क म क बमा रय के फै लने क बात कह गयी है l िजनम अभी तक के वल 124 क म क बमा रय क खोज हो सक है, और मा 60 क म क बमा रय का इलाज संभव हो सका है l अगर भारत क बात क जाये तो अनुमानतः 125 करोड़ लोग म से 90 करोड़ से अ धक लोग सद , जुकाम से लेकर कसर तक क बीमार से त है l अगर हम ाचीन ंथ का अ ययन करने म स म होते तो उन ंथ के अनुसार और उनम बताई गई च क सा प त के सहारे हम वयं अपनी 80% बमा रय का इलाज कर सकते है l पर भारत के 1200 वष तक गुलाम रहने के कारण और हमार श ा यव था का न न तर य होने के कारण हम अपने आ द ंथ का अ ययन कर पाने म असफल हो चुके ह l िजस कारण से हम बमा रय का इलाज करने के लए डॉ टर क सहायता लेनी पड़ रह है l भारत म 26 लाख के कर ब " भारतीय च क सा प रषद" (एम.सी.आई.) से मा यता ा त डॉ टर है और 26 लाख गैरमा यता ा त डॉ टर है, या न झोला छाप l य द एक दन म एक डॉ टर 50 मर ज का इलाज करता है l जो क अंतररा य मापदंड के व है, तो भारत के 52 लाख मा यता ा त और गैरमा यता ा त डॉ टर 26 करोड़ मर ज का इलाज करते है l जब क देश म 90 करोड़ से अ धक लोग बीमार ह l िजनम नवजात शशु से लेकर बुजुग लोग शा मल है l भारत म हर दन 100 से
  • 25. बोल भारत बोल Page 24 अ धक ब च क मृ यु ज म से पहले या ज म लेने के समय हो जाती है l कसर से मरने वाल क सं या 500000 त वष है l जो लगातार बढती ह जा रह है l इसके अलावा ट .बी.से मरनेवाल क सं या 500000 त वष, एच.आई.वी. से मरने वाल क सं या 300000 त वष , दयघात से मरने वाल क सं या 400000 त वष है l जो त वष अनवरत ग त से बढती ह जा रह है l भारत के अ पताल क अगर बात क जाय तो वहां क प रि थ त सामा य से भी ख़राब है l च क सीय यव था ऐसी है, जैसे जानवर क च क सा क जाती हो l गाँव म तो व य सेवा क कोई यव था ह नह ं है, जब क भारत क 60% से अ धक आबाद 7 लाख गाँव म ब ती है l अगर कसी गाँव म च क सालय है भी तो वहां च क सक नह ं है या च क सयी उपकरण का आभाव है l आज़ाद के 66 वष के बाद भी हमारे देश के सरकार अ पताल क जजर अव था है, इसका िज मेदार कौन है? या इसके िज मेदार देश के नेता नह ं ह? य हमारे देश के नेता, देश के सरकार अ पताल क शला यास तो करते है, पर अपनी या अपने प रवार क च क सा उन अ पताल म नह ं करवाते ह? या देश के नेताओं म, देश के डॉ टर म ह मत ह क िजन सरकार अ पताल के शला यास के समय वो बड़ी-बड़ी त वीर खचवात ह l उन अ पताल के साधारण वाड म खुद क च क सा करवाने लए आय? जब आप खुद के वारा उ घा टत कये हुए अ पताल म खुद का इलाज नह ं करवा सकते तो देश क जनता, जो क देश क असल मा लक है उसके इलाज के लए कै से उन अ पताल को आप उनपर थोप सकते ह? सफ भारत क राजधानी म अ खल भारतीय आयु व ान सं थान (ए.आई.आई.एम.एस.) खोल देने से और कु छ एक रा य क राजधा नय या बड़े शहर म बड़े अ पताल खोल देने से पूरे भारत के लोग व थ नह ं
  • 26. बोल भारत बोल Page 25 हो सकते l हम भारत के कोने-कोने म, गाव म व व तर य च क सीय सं थान को खोलने ह गे l भारत के येक कू ल म व या थय के व थ रहने के लए शार रक यायाम क श ा का बंध करना होगा l भारत के येक रा य म सरकार शराब क दुकान को त काल बंद करना होगा, इसके अलावा नश के सामान जैसे बीड़ी, सगरेट, पान मसाला, गुटका, गंजा इ या द क ब पर पूण तब ध लगाना होगा l भारत सरकार को इससे व य से बड़ी मा म टै स तो मलता है, पर सरकार िजतना टै स इससे कमाती है, उससे ढाई गुना अ धक भारतीय के च क सा पर खच हो जाता है, तो भी लोग पूण व थ नह ं हो पाते ह l हम भारतीय च क सा प त को बढ़ावा देना होगा, िजसके लए भारत क सरकार, उधमी और जनता को एक साथ आगे आना होगा l हमारे गाँव व थ रहगे, तभी हमारा देश व थ रहेगा l आज भारत क सरकार का व य को लेकर जो रवैया है, वो भारत क जनता से एक मजाक है, और यह मजाक भारत सरकार के साथ-साथ हमरे देश के डॉ टर भी कर रहे है l आप कसी भी सरकार अ पताल म डॉ टर के पास अपनी बीमार का इलाज करवाने के लए जाए l वो डॉ टर आपको एक सम या के प म देखेगा और ज द से ज द आपसे अपना पंड छु ड़ाने को को शश करेगा l पर उसी डॉ टर के पास आप च क सा के लए उसके नजी च क सा गृह म जाएँ तो वो वहां पर वह अ त थ के जैसा आपका वागत करेगा और िजस च क सा के लए सरकार अ पताल म कु छ पैसे लगते ह, उसी इलाज के लए आपसे हजार पए वसूल करेगा l ऐसा य ? इस दोहरे रवैये से कब तक देश के डॉ टर मर ज का इलाज करते रहगे l डॉ टर , जो एक सेवा है, उसे कु छ लोग ने पैसे के लोभ म आकर यवसाय म प र णत कर दया है, और लोग के व य से खेल रहे ह l इसे तुरंत बंद करना
  • 27. बोल भारत बोल Page 26 होगा l नह ं तो इनके न शे कदम पर देश के नेता तो चल ह रहे ह, देश के पु लस वाले भी यादा पीछे नह ं ह, पर अब सेना के जवान भी मजबूर होकर चल पड़गे, अगर सब यह करगे तो फर देश क सेवा कौन करेगा? हम सभी को इस गंभीर सम या के बारे म तुरंत सोचना होगा और वा य से जुडी सम याओं का समाधान करना होगा l कु ल मलकर वा य के लहाज से भारत आज उस जगह पर खड़ा है, जहाँ ज द से ज द अगर सरकार, डॉ टर, और भारत के बु जी वय ने इन सबको ठ क करने का कु छ उपाय ना कया और अपना रवैया नह ं बदला तो भारत को ख म करने के लए कसी दूसरे देश को परमाणु बम क आव यकता नह ं पड़ेगी l वो वतः ह बमा रय और महामा रय क चपेट म आकर ख म हो जायगा l
  • 28. बोल भारत बोल Page 27 झूठ सावजा नक शि त "वोट" l सभी भारत के नाग रक जो अपने आपको य क समझते है, या िज ह ने अपने जीवन के 18 बसंत देख लए है, वो तैयार हो जाये य क तथाक थत "रा य दान मेला" लगने वाला है l िजसका नाम है “चुनाव””””l इस दान मेले का एक अलग ह मज़ा है l यूँ तो इसे चुनाव कहा जाता है, पर आप कसे चुने यह पहले से ह कु छ मु ी भर लोग वारा चुनकर आपके सर पर मढ़ दया जाता है l इस मेले म दान होता है "मत" का पर यह मत का “दान ” अ सर ख़र दा बेचा जाता है l एक और बात, है तो यह चुनाव हमार सेवा करने वाले नौकर का पर देश क अनुमानतः 25% आबाद जो 1 दन से 17 वष 364 दन 23 घंटे 59 मनट 59 सेकं ड क आयु सीमा के अ दर आती है, वह अपने नौकर का चुनाव य नह ं कर सकती ह? यह समझ नह ं आता l बड़ी वड बना है, क सरकार नौकर करने वाले सभी वभाग म ायः 60 से 65 वष क आयु म सेवा से नवृ त मल जाती है, य क समझा जाता है क 60 वष क आयु तक नौकर करने वाल क आँख, दय, हाथ और पैर जवाब देने लगते है l ले कन इस मेले म बकने वाले सेवक क नवृ त क आयु सीमा नधा रत नह ं है, ऐसा य ? यह भी समझ नह ं आता l यूँ तो सरकार नौकर करने वाले सभी वभाग को यू. पी.एस.सी, एस.एस.सी, और या- या रा य एवं रा यक य तर क पर ाएं देकर उनम उ तीण होकर काम मलता है l िजसम उनके क ा 10 से लेकर जहां तक उ ह ने श ा ा त क ह, वहां तक के उनके माणप , उनके पहचान प , उनक ल बाई, चौडाई, आँख क रौशनी, उनका च र इ या द के साथ-साथ उनके ऊपर कसी तरह का आपरा धक मामला है या नह ं यह जाँच करने के प चात सेवा करने का मौका दया जाता है l पर इस चुनावी मेले म चुने जाने वाल को पु तक मेला, व मेला, खा य मेला इ या द के जैसे आकषक छू ट एवं उपहार मलते है l एक और बात भारत क जेल म बंद कै द वोट अथात मत दान नह ं दे सकता
  • 29. बोल भारत बोल Page 28 है, ऐसा करना गैरकानूनी ह l पर वह कै द जेल म बंद रहकर नेता का प धर इले शन अथात चुनाव लड़ सकता है और लड़ता है ऐसा य ? भारत के सं वधान के अनुसार यह उसका मौ लक अ धकार ह! यह बात समझ नह ं आती l इसका मतलब यह हुआ क अगर वो सांसद या मं ी का पद हण कर गलत काम कर जेल भी चला जाता है, तो भी वो अपनी नौकर कर सकता है l जब क दूसरे सरकार नौकर को यह सु वधा नह ं द जाती है l ऐसा य समझने क बात ह?अब मु ी भर लोग वारा चुने हुए ा थय को जबरद ती चुनने क या म िजतने लोग मतदान के अ धकार होते है, उनम से 50% से 60% लोग ह मत का ‘दान’ देकर इन नेताओं को चुनते है l इस कार अनुमानतः देश के 50% लोग वारा दए गए दान से मलकर बने संसद के मं दर म रखे जाने वाल इन मू तय का द य प एवं कोप देश क 100% आबाद को अगले दान मेले के इंतेजार तक अथात 5 वष तक झेलना पड़ता है l अब बात उन बु मान क जो इस मेले म जाते है "दान" देने के लए l उ ह उनके दान देने से पूव कई तरह के धूप, द प नेवैध से खुश करना पड़ता है और बाकायदा हर मं के बाद अथात हर चुनावी सभा के पहले और बाद म द णा भी देनी पड़ती है l ले कन यह चुने जानेवाले या शय वारा दया गु त दान होता है, जो मतदान दाताओं को दया जाता ह l जो क असल धूप, द प और नेवैध से अलग होते ह l मेरा अ भ ाय है, सगरेट, गंजा, शराब, शबाब, ड को, नाच इ या द l और तो और इन दान देने वाल को बजरंगबल क तरह उनक शि तय को मरण करने के लए हर एक सभा म नेताओं वारा बार-बार उ सा हत और उतेिजत कया जाता है l कहा जाता है क आप म ह असल शि त है l दान देने वाल को “जनता” के नाम से संबो धत कया जाता है lिजसका उपनाम कह ं गर ब, कह ं बेरोजगार, कह ं असहाय, कह ं शो षत, कह ं ा मण, कह ं य, कह ं छु , कह ं मुसलमान तो कह ं अ पसं यक कहा जाता ह l चुने जाने वाले "नेता" के नाम से संबो धत होते है और सबके पालनहार बनकर एवं सारे दुख को शव के सामान हरने का वादा
  • 30. बोल भारत बोल Page 29 करते हुए मेले क रौनक बढ़ाते है l ले कन इस मेले के अंत के बाद और चुने हुए तथाक थत नेताओं के स ता ढ़ होने के बाद असल काम शु होता है l टाचार, लूट, रेप, घोटाले, जनमानस के लए असुर त माहौल, आव यक व तुओं के मू य म वृ , हंसा, दंगे इ या द को बढ़ावा देने का काम काम को कया जाता है, और बड़े यापक तर पर कु छ एक को छोड़ कर हर एक वग का शोषण कया जाता है l मेले के दौरान जनता को गणतं को समझने एवं गणतं क ताकत को इ तेमाल करने को कहा जाता है l पर नेताओं के 5 वष के कायकाल म वह गणतं क ताकत या न जनता जब इनके टाचार पर, इनक करतूत पर ऊँ गल उठती है, इनसे जवाब मांगती है, आवाज़ उठती है, तो इन नेताओं वारा उसे कु चला जाता है l तब जनता जल से नकल मछल के सामान तड़पती हुई रह जाती है और अपने कये पर पछताती है और ऐसी गलती दुबारा ना करने क कसम हर घर, हर गल , हर मोह ले, हर लब, हर ऑ फस, हर सभा म खाती हुई नज़र आती है l इन सार द कत से बचने के लए कु छ बात है, िज ह देखना, समझना, जानना और मानना ज र है l य ना इस मेले म चुने जानेवाले ा थय क भी नयुि त और नवृ त क आयु सीमा हो? उनक श ा, उनके माण प , शार रक मापदंड, च र क जांच अ नवाय हो? य ना उ ह चुने जाने से पहले और उनके येक कायकाल क समाि त पर पूरे देश के सामने दूरदशन पर उनका पॉल ाफ और नाक टे ट का सीधा सारण कया जाये? य ना इस मेले म अ य मेल क तरह सभी उ के देश के नाग रक को मत दान के वारा अपने नौकर को खुद चुनने का अ धकार ा त हो? य ना इन चुने जाने वाले नेताओं वारा य द जनता क सेवा ठ क से ना करने पर इनके कायकाल के बीच म ह जनता को इनके पद से इ ह न का षत कर देने क शि त हो? एक और बात 15 अग त 1947 को भारत के आज़ाद के बाद ग ठत सरकार, 26 जनवर 1950 को भारत का सं वधान लायी और उसके बाद क सरकार भारत के अ पसं यक को बहुसं यक के बराबर वक सत करने के लए आर ण लायी l िजसम यह
  • 31. बोल भारत बोल Page 30 ण लया गया क 10 वष म अ पसं यक को बहुसं यक के बराबर तर पर ला दया जायेगा l पर तय समय पर ल य क ाि त न हो पाने पर इसे दस वष बढ़ने का फै सला कया गया और फर इसे दस-दस साल बढ़ाते हुए 1990 का ल य लया गया l फर भी ि थ त सामा य नह ं हो सक l इस लए इसे पुनः बढ़ाकर 2000 तक और फर 2010 तक और फर और आगे बढ़ा दया गया l इस र मक सी म अ पसं यक को तो बहुत फायदा नह ं हुआ ले कन जो भारत के बहुसं यक थे, या न ह दू वो पछड़ गए और इसी से समझ म आता है क इस देश क राजनै तक पा टयाँ देश के बहुसं यक और अ पसं यक के लए कतनी फ मंद है l आज भारत का बहुसं यक वग अपने हक क सभी सु वधाएँ जैसे श ा, रोजगार, वा य, सुर ा इ या द सह तर के से नह ं पा रहा है l जो उसका पहला अ धकार है l भारत सरकार ने बहुसं यक को 10 वष के लए ि थ त को सामा य करने के लए सरकार के साथ कदम से कदम मला कर चलने को कहा था l पर पछले 50 वष से हर बार उसे ह समझौता करने को कहा जा रहा है और इसी का फायदा राजनै तक पा टयाँ उठा रह है और सफ अ पसं यक को रझाने के काम म जोर शोर से जुट हुई ह और उ ह गुमराह कर उ ह सार सु वधाएँ देने का वादा और दावा तो कर रह ह, पर पछले 50 वष से कु छ भी मुहैया नह ं करवा रह है l भारत क उ न त तभी हो सकती है, जब भारत के बहुसं यक क उ न त हो और बहुसं यक को सरलता से वा य, श ा, सुर ा, शां त, रोजगार, घर, बजल , पानी इ या द आसानी से मले l ऐसा तभी होगा जब भारत के सभी बहुसं यक अब देश के नेताओं पर आ त ना रहकर अपने हक के लए लड़े और उनक उ न त को सु नि चत करने वाल को मत का "दान" देकर देश को वक सत बनाय और देश के अ पसं यक क मूलभूत आव यकताओं क पू त के लए आगे आये और उनका हक उन तक स मान के साथ पहुचाएं l य द भारत का बहुसं यक वकास करेगा तो अ पसं यक खुद ह वक सत हो जायगे l भारत के चुनाव म हो रहे रसमक सी और स दायवाद
  • 32. बोल भारत बोल Page 31 को ख म करने के लए एक ऐसा अ यादेश लाया जाए िजसके वारा देश के अ पसं यक क सभी मूलभूत आव यकताएं पूर क जाये पर उनका इस चुनावी मेले म वेश बंद कर दया जाये l अथात उनका मत देने का अ धकार छ न लया जाये l तभी देश क सभी शीष रा य और े ीय पा टयाँ बहुसं यक के पीछे भागेगी और जब देश के एक बड़े वग को इसका फायदा मलेगा तो देश के अ पसं यक वयं वक सत हो जायंगे l जनता व त आ रहा है, इन न का जवाब मांगने का अगर अब भी आप नह ं जागगे तो फर आप पुनः पहले क तरह ता ड़त होते रहगे और यह नेतागण आपका शोषण करते रहगे l आपको गर ब, बेरोजगार, भूखा, ह यारा, बदमाश, माओवाद , न सलवाद , आतंकवाद के साथ- साथ देश ोह बनाते रहगे और अपनी रो टयां आपक , आपके ब च क हमार सेना के जवान क शहादत पर अपने बेतुके बयान देकर सेकत रहग l
  • 33. बोल भारत बोल Page 32 आर ण कसका अ धकार ! “आर ण” िजसे सुनकर ह कमजोर तबके के लोग खुश हो जायगे और यह श द उ ह बड़ा सुकू न पहुंचाएगा l इसी तरह क बात को समझकर आर ण को देश म लाया गया और आर ण के नाम पर एक बड़ी राजनी त क गयी और आज भी क जा रह है l पर या वाकई आर ण उ ह दया गया या दया जा रहा है, जो असल म इसके हक़दार है? आर ण है या और कनके लए इसको लागू कया गया? आइये इसे समझते ह! पछड़े वग, पछड़ी जा त, जनजा त, अनुसू चत जा त, एवं अ पसं यक को बहुसं यक के बराबर सामािजक धरातल पर ले आने के लए आर ण लागू कया गया और देश के पछड़े वग एवं अ पसं यक को यह बताया गया क आर ण ह एक मा रा ता है, िजसपर चलकर उनका क याण हो सकता है l पर तु िजनके लए लाया गया उनका कम पर जो इसक वकालत कर इसे लाए और िज ह ने राजनै तक तर पर इसका समथन कया, इसका गीत गया वो खुद को आर त करने म लग गए और उनका क याण हो गया l देखने वाल बात है क मौजूदा समय म देश क 30% से यादा जनता गर बी रेखा के नीचे है और 40% से यादा जनता सरकार नी तय क वजह से गर बी रेखा के नीचे जाने को कतारब है, और इन 70% म अ पसं यक, पछड़े वग, अ त पछड़े वग तो है ह पर उससे अ धक सं या बहुसं यक क ह l अब देखने क बात है क जब देश क 70% जनता महंगाई, भुखमर , आभाव, बेरोजगार , के साथ-साथ अ य सम याओं से त है, तो फर कु छ एक को ह रा य और रा य तर पर आर ण कै से मल सकता है? यह तो देश के 70% मा लक का अ धकार है, जो वगत वष म सरकार के नेताओं और पूरे तं के कारण इतना पछड़ गयी है क उनक ग त के लए, उनके तं का तं को सुचा प से काय
  • 34. बोल भारत बोल Page 33 करने के लए उनको आर त करना आव यक हो गया है l एक और बात है क आर ण के लए पछड़े वग , अ पसं यक इ या द को जो जा तगत आधार पर आर ण दए जाने के लए जा त माण प क अ नवायता है, ले कन उसको ा त करने म ह पछड़े वग एवं अला सं यक को वष लग जाते है l सरकार वारा पछड़े वग, जा त, जनजा त, अनुसू चत जा त, एवं अ पसं यक के लए आर ण क यव था तो है पर िजन-िजन भी े म उ ह आर ण दया जाता है, उन े तक बड़ी सं या म पहुँचाने क यव था ना के बराबर है l सफ िज ह ने आर ण सेवा के ज रये आर ण लया है और सामािजक तर को पा गए है, उ ह ह गलत तर के से आर ण दया जा रहा है l यह सरकार का नंदनीय यास है और पूरे भारत म चाहे वो रा य सरकार हो या क सरकार उसका यह काय आर ण नी त के व है, देश के बहुसं यक से धोका है l मान ले जब एक ा मण, य या एक शु का पु एक ह समय म श ा द ा ा त कर रोजगार के लए आवेदन करता है, तो शु को कम अंक और कम शार रक यो यता के बावजूद चुन लया जाता है और बहुसं यक को छांट दया जाता है l इसम उस बहुसं यक के प रवार म ज म उस व याथ का या दोष है? जो हर पहलू पर उस पछड़े वग के छा से आगे है l भारत म ह दू बहुसं यक है और बा क धम वाले अ पसं यक, ह दुओं म भी ा मण, य इ या द को छोड़कर बा क िजतने जा त के लोग है, वह कम सं या म ह, तो पहले बहुसं यक को एक स मानजनक तर पर ना पहुंचाकर पछड़े वग, जा त, जनजा त, अनुसू चत जा त, एवं अ पसं यक को तथा ह दुओं म न न जा त वाल के लए या तो आर ण चुनावी टंट है, या फर उ ह सं या के आधार पर बहुसं यक के बराबर लाना ह सरकार एवं इनके पीछे
  • 35. बोल भारत बोल Page 34 राजनी त करने वाल पा टय का मकसद है l उ ह बहुसं यक के बराबर सामािजक तर पर लाना कतई नह ं है l यह भारत क आर ण नी त से समझ म आता है l भारत म सं वधान के अनुछेद 14 से अनुछेद 18 तक म समानता का अ धकार के अंतगत आर ण को लाया गया है l धारा 15 क उपधारा 4 के तहत पछड़े वग, जा त, जनजा त, अनुसू चत जा त, एवं अ पसं यक को जा तगत आधार पर कु छ वशेष सु वधाओं और सेवाओं को देने क यव था क गयी है l अनुसू चत जा तय के लए सरकार पद पर एवं नौक रय के लए नवा चत होने के लए उ मीदवार के सुर त थान का बंध ह आर ण है l यह आर ण ारंभ म 10 वष के लए था इससे देश क आव यकता बताकर दस-दस वष बढ़ाते हुए 1990 तक इसक अव ध नि चत कर द गयी जो और भी आगे बढ़ा कर 2000 और फर उससे भी आगे कर दया गया l यह शम क बात ह है क अगर देश क सरकार चाहे वो कां ेस क हो या कसी अ य पाट क हो, 10 वष क समय सीमा के अ दर कये जाने वाले काम को 50 वष से भी अ धक समय म भी पूरा ना कर सक l यह देश क राजनै तक पा टय एवं सरकार क देश क जनता के त असंवेदनशीलता को दशाता है l
  • 36. बोल भारत बोल Page 35 भारत का रा प त ! भारत का ' थम नाग रक', "रा प त" देश का संवैधा नक धान कहलाता है l ले कन या भारत के रा प त को सं वधान के अनुसार चुना जाता है? भारत का सं वधान भारत क ग त के लए बनाया गया l पर या सच म ऐसा है? पछले रा प त चुनाव म अपने या देखा? अपने देखा क पी.ए.संगमा और णव मुख़ज के बीच रा प त पद के लए चुनाव हुआ, िजसम णव मुख़ज चुनाव जीत गए और उ ह देश का रा प त बना दया गया l कहा जाता है क भारत म 'लोकतं ' है और लोकतं के अनुसार जनता देश क ताकत है l पर या सच म जनता देश क ताकत है, या उसे जनरेटर टाट करने वाले हडल के प म इ तेमाल कया जा रहा है? िजस कार हडल को जनरेटर टाट करने के बाद जनरेटर से अलग कर दया जाता है और फर उसका कोई काम नह ं रहता है, जब तक जनरेटर चालू रहता है l और एक बात हडल क जनरेटर चालू करने क मता तो होती है, पर जनरेटर बंद करने का साम य नह ं होता l ठ क उसी कार हमारे देश क नवाचन प त भी हमारे रा प त को चयन करने का काम करती है l हमारे वारा चुने गए नौकर अथात सांसद अपना सेनाप त चुनते है l पर वा त वकता म उ ह अपना नह ं बि क देश का सेनाप त चुनने के लए जनता भेजती है l बहरहाल आपको याद दलाना चाहता हूँ, क पछले रा प त चुनाव म समाचार प , चैनल , सभाओं इ या द म आपने णव मुख़ज और पी.ए.संगमा का भाषण रा प त चुनाव के पहले सुना होगा l पर उसके साथ एक और स य पु ष का संदेश आया था, वो थे ए.पी.जे. अ दुल कलाम l पूरा माजरा जानते है आइये! णव मुख़ज साहब जब वत ्मं ी थे, भारत सरकार म तब उ ह रा प त पद के लए नामां कत कया गया जो क एक तेज-तरार नेता थे
  • 37. बोल भारत बोल Page 36 और वत ् मं ी के काय को बखूबी से नभा रहे थे एवं धानमं ी पद के लए आने वाले चुनाव म उपयु त उ मीदवार थे l पर तु राजनी त भारत क कहाँ कसी को छोड़ती है साहब! उनसे टकराने क कसी म ह मत नह ं थी, य क वो एक पाक साफ़ नेता के प म काम करते आ रहे थे और कर रहे थे l यह बात उनक काय णाल के अनुसार काम न करने वालो को अ छ नह ं लगी और उ ह बहुत बु मानी से राजनै तक वदाई दे द गयी l एक ऐसे स मान के साथ जो वो नह ं चाहते थे और वो स मान था "रा प त का पद" l िजसके बारे म न उ ह ने कभी भी नह ं सोचा था, और न कभी उ ह ने रा प त बनने क इ छा जा हर क थी l जब शीशराम ओला जी जो णब मुख़ज जी से 8 वष बड़े है, उ ह म मं ी बनाया जा सकता है, तो णब मुख़ज जो अपने कत य का नवहन अ छ तरह से कर रहे थे, उ ह वराम य दया गया? यह वचारणीय है! आपको पता होगा क भारत का रा प त भारत का लोकसभा सद य, रा यसभा सद य, धानमं ी के पद पर रहने वाला या कोई अ य भारतीय िजसक आयु 35 वष या उससे अ धक हो वो बन सकता है, एवं पुनः नवा चत हो सकता है, पर तु वह रा प त पद से हटने के उपरांत लोकसभा या रा यसभा का सद य नह ं बन सकता l िजसे सोचकर ह णब मुख़ज जी को महाम हम रा प त का पद दया गया l अब बात पी. ए. संगमा जी क जो 11वी. लोकसभा म लोकसभा अ य रह चुके है l वह रा प त बनने को आतुर हो गए एवं येन के न ाकरेन रा प त बनने के लए यास करते दखे, पर तु असफल हो गए l ले कन जब ए.पी.जे. अ दुल कलाम जी के बारे म कु छ एक राजनै तक पा टय ने और देश एक बड़े समूह ने रा प त पद हण के लए नवाचन म शा मल होने क आवाज़ उठाई, जो 25.07.2002 से 25.07.2007 तक रा प त पद पर आसीन थे और उ ह ने
  • 38. बोल भारत बोल Page 37 कई मह वपूण काय को पूरा कया एवं भारत क पहचान एवं ग रमा व व तर पर बढाई l उ ह ने रा प त पद के लए हो रह राजनी त एवं पद क ग रमा को तार-तार करने वाले करतब देखकर रा प त पद के लए नवा चत होने से मना कर दया l और इस पूरे नवाचन या म जनता जो लोकतं बनाती है, जनरेटर के हडल के सामान रह गयी और इस शमसार करने वाल घटना को बंद नह ं कर सक l मेर जनता से एक अपील है क कब तक आप लोग यूँ ह हडल क भू मका अदा कर इस तरह क ओछ घटनाओं को अंजाम देते रहगे और इनका द दार करते रहगे l जा गये और अपनी शि तय का संशोधन कर देश को ग तशील बनाने के लए आगे आईये l
  • 39. बोल भारत बोल Page 38 माधव और इ ा हम चाचा l भारत के कतने ह नेता चाह वो राजनै तक पा टय के शीष पद पर हो, सरकार म हो, या कसी धम के टा का प धारण कये ह , या कसी संघ के संचालक या बोड के सं थापक अथवा नदशक हो l जब तक भारत म "इ ा हम चाचा और माधव" ह, तबतक भारत को धम और जा त के नाम पर बाँटने क उनक को शश कभी सफल नह ं हो सकती, जो ऐसा करना चाहते है या ऐसा करने का यास कर रहे है l आप उ सुक ह ग क कौन ह यह "माधव और इ ा हम चाचा"? पहले तो कभी सुना नह ं इनके बारे म? तो आइये जानते है! भारत के एक छोटे से गाँव क घटना है l जहाँ आपके गाँव, क ब और शहर के सामान ह दू और मुि लम एक साथ रहते थे l उसी गाँव के एक मोह ले म माधव नाम का एक लड़का रहता था l िजसके माँ-बाप बचपन म ह उसे छोड़ कर चले गए थे l माधव के घर के बगल वाले घर म इ ा हम चाचा अपने चार बेटो के साथ रहते थे l माधव और इ ा हम चाचा म खूब पटती थी और वो रोज सबेरे साथ साथ खेत म जाते थे और शाम ढ़लते साथ ह वापस आते थे l कभी कभी ज दबाजी म इ ा हम चाचा के वल रोट बना पाते थे तो माधव से पूछते थे क अरे माधव! तूने स जी बनायीं है या? ज़रा मेरे लए भी डाल कर ले आ आज म स जी नह ं बना पाया खत म चलकर साथ खा लग l मने रो टयां ले ल ह तू सफ स जी ले आ l इसी तरह कभी माधव समय के आभाव म सफ रो टयां बना पता, तो वह इ ा हम चाचा से स जी लेकर साथ म खा लेता था इस कार इ ा हम चाचा और माधव बड़े यार से एक दूसरे क मदद करते और एक दूसरे का याल रखते थे l एक दन क बात है, माधव और इ ा हम चाचा अपने अपने खेत म काम कर रहे थे क अचानक गाँव वालो क आवाज़े सुनाई द l मारो-मारो आज कसी को िज दा नह ं
  • 40. बोल भारत बोल Page 39 छोड़गे इ या द-इ या द l जब कु छ लोग दोड़ते हुए उनके पास आये तो इ ा हम चाचा ने पूछा l या बात है? कसे मारने क बात कर रहे ह आप लोग? गाँव के कु छ मुि लम कसान ने उ तर दया क चाचा हमारे खेत म ह दू कसान ने जानबूझकर अपने जानवर छोड़ दए ह, ता क हमार फसल बबाद हो जाये l आज तो हम न उन ह दुओं को छोड़गे ना उनके जानवर को l मारो-मारो च लाते हुए उनका एक झु ड ह दुओं के मोह ले क तरफ बढ़ चला l जब ह दुओं को पता चला क मुसलमान का पूरा रेला उ ह मारने के लए आ रहा है, तो उ ह ने भी अपनी कमर कस ल और सभी इक ा होकर कहने लगे क आने दो आज उ ह एक भी अपने पैर पर चलकर वापस नह ं जा पायेगा l इस तरह पूरे गाँव म तनाव फ़ै ल गया l दोन ओर के कु छ लोग अपने अपने लोगो को एक दुसरे के त भड़काने और उकसाने म लग गए l इतने म ह दुओं का झु ड भी वहां आ पंहुचा और इ ा हम चाचा भी माधव के साथ मुसलमान के झु ड के बीच पहुँच गए l मुसलमान ने इ ा हम चाचा को माधव के साथ देखकर कहा, चाचा आप इस का फ़र के साथ या कर रहे ह? इ ा हम चाचा ने कहा भाइय मेरे बेटे तो आपके दल म ह और अपनी कौम के लए लड़ने के लए तैयार ह, पर इस माधव का अपना कोई नह ं है, इस लए म इसके साथ ह दुओं क तरफ से लड़ने जा रहा हूँ l आप मेरे बेट का यान रखना l चाचा का इतना कहना ह था क दोन दल के लोग ने अपने-अपने ह थयार डाल दए और मुसलमान ने माधव को और ह दुओं ने इ ा हम चाचा को गले से लगा लया l आप जानना चाहग क माधव और इ ा हम चाचा दखते कै से थे? उनक तो ना कोई त वीर है? न कोई पता? तो भाइय आपक परेशानी अभी दूर कर देते ह l माधव और इ ा हम चाचा हमारे जैसे ह दखते है, और खुद हमम ह नवास करते है l हम ह तो है माधव और इ ा हम चाचा