http://spiritualworld.co.in श्री गुरु गोबिंद सिंह जी - गुरुगद्दी मिलना:
श्री गुरु तेग बहादर जी के समय जब औरंगजेब के हुकम के अनुसार कश्मीर के जरनैल अफगान खां ने कश्मीर के पंडितो और हिंदुओं को कहा कि आप मुसलमान हो जाओ| अगर आप ऐसा नहीं करोगे तो क़त्ल कर दिया जायेगा| कश्मीरी पंडित भयभीत हो गए| उन्होंने अपना अन्न जल त्याग दिया और प्रार्थना करने लगे| कुछ दिन के बाद उन्हें आकाशवाणी के द्वारा अनुभव हुआ कि इस समय धर्म की रक्षा करने वाले श्री गुरु तेग बहादर जी हैं| आप पंजाब जाकर अपनी व्यथा बताओ| वह आपकी सहायता करने में समर्थ हैं|
आकाशवाणी के अनुसार पंडित पूछते-पूछते श्री गुरु तेग बहादर जी के पास आनंदपुर आ गए और प्रार्थना की कि महाराज! हमारा धर्म खतरे में है हमे बचाएं|
उनकी पूरी बात सुनकर गुरु जी सोच ही रहे थे कि श्री गोबिंद सिंह जी वहाँ आ गए| गुरु जी कहने लगे बेटा! इन पंडितो के धर्म की रक्षा के लिए कोई ऐसा महापुरुष चाहिए, जो इस समय अपना बलिदान दे सके|
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Shri Guru Gobind Singh Sahib Ji Guru Gaddi Milna - 101a
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2. श्री गुर तेग बहादर जी के समय जब औरंगजेब के
हुकम के अनुसार कश्मीर के जरनैल अफगान खां ने
कश्मीर के पंिडितो और िहदुओ को कहा िक आप
मुसलमान हो जाओ| अगर आप ऐसा नही करोगे
तो क़त्ल कर िदया जायेगा| कश्मीरी पंिडित
भयभीत हो गए| उन्होंने अपना अन जल त्याग
िदया और प्राथनर्थना करने लगे| कुछ िदन के बाद
उन्हे आकाशवाणी के द्वारा अनुभव हुआ िक इस
समय धर्मर्थ की रक्षा करने वाले श्री गुर तेग बहादर
जी है| आप पंजाब जाकर अपनी व्यथना बताओ| वह
आपकी सहायता करने मे समथनर्थ है|
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3. आकाशवाणी के अनुसार पंिडित पूछते-पूछते
श्री गुर तेग बहादर जी के पास आनंदपुर आ
गए और प्राथनर्थना की िक महाराज! हमारा धर्मर्थ
खतरे मे है हमे बचाएं|
उनकी पूरी बात सुनकर गुर जी सोच ही रहे
थने िक श्री गोिबद िसह जी वहाँ आ गए| गुर जी
कहने लगे बेटा! इन पंिडितो के धर्मर्थ की रक्षा के
िलए कोई ऐसा महापुरष चािहए, जो इस
समय अपना बिलदान दे सके|
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4. िपिता गुर का वह वचन सुनकर श्री गोबिबिंद जी
ने कहा िक िपिता जी! इस समय आपि से बिंड़ा
और कौन महापिुरष है, जोब इनके धर्मर िक रक्षा
कर सकता है? आपि ही इस योबग्य होब|
अपिने नौ साल के पिुत की यह बिंात सुनकर गुर
जी बिंहुत प्रसन हुए| आपिने पिंडिडितोब कोब कहा िक
जाओ अफगान खांड से कह दोब िक अगर हमारे
आनंडदपिुर वासी गुर जी मुसलमान होब जाएगे
तोब हम भी मुसलमान बिंन जाएगे|
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5. यह बिंात सुनकर औरंडगजेबिं ने गुर जी कोब
िदल्ली बिंुला िलया| गुर जी ने सन्देश वाहक
कोब कहा िक तुम चले जाओ हम अपिने आपि
बिंादशाह के पिास पिहुँच जाएगे| गुर जी ने घर
बिंाहर का प्रबिंंडधर् मामा कृपिाल चंडद कोब सौंपि कर
तथा हर बिंात अपिने सािहबिंजादे कोब समझा दी
और आपि पिांडच िसखो कोब साथ लेकर िदल्ली
की और चल िदए|
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6. जबिं गुर सािहबिं जी िकसी भी तरह ना माने
तोब औरंडगजेबिं ने गुर जी कोब डिराने के िलए भाई
मित दास कोब आरे से चीर िदया और भाई
िदआले जी कोब पिानी की उबिंलती हुई देग मे
डिालकर आलू की तरह उबिंाल िदया| दोबनो
िसखो ने अपिने आपि कोब हँस-हँस कर पिेश
िकया| जपिुजी सािहबिं का पिाठ तथा वािह गुर
का उच्चारण करते हुए सच खंडडि जा िवराजे|
बिंाकी तीन िसख गुर जी के पिास रह गए|
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7. गुर जी ने अपना अिम न्तिम समय नजदीक
जानकर बाकी तिीन िम सखो को वचन िकया िक
तिुम अपने घरो को चले जाओ अब यहाँ रहने
का कोई लाभ नही है| उन्होने प्राथनर्थना की िक
महाराज! हमारे हाथन पैरो को बेिम डियाँ लगी हुई
है, दरवाजो पर तिाले लगे हुए है हम यहाँ से
िकस तिरह से िम नकले| गुर जी ने वचन िकया
िक आप इस शब्द का "कटी बेडिी पगहु तिे
गुरकीनी बन्द खलास" का पाठ करो| आपकी
बेिम डियाँ टूट जाएगी और दरवाजो के तिाले खुल
जाएगे और तिुम्हे कोई नही देखेगा|
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8. इसके पश्चाति गुर जी ने अपनी मातिा जी व
पिरवार को धैयर्थ देने वह प्रभु की आज्ञा को
मानने के िम लए शलोक िम लखकर भेजे –
गुन गोिबद गाइिम िओ नही जनमु अकारथन
कीन||
कहु नानक हिर भजु मना िम जिम ह िम विम ध जल कौ
मीन||१||
यहाँ से आरम्भ करके अंति मे िम लखा -
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9. राम नामु उिर मै गिम हयो जाकै सम नही
कोइिम ि||
िम जह िम समरति संकट िम मटै दरसु तिुहारो होइिम ि||
५७||
(श्री गुर ग्रंथन सािम हब पन्ना १४२६-१४२९)
इन शालोको के साथन ही गुर जी ने पांच पैसे
और नािरयल एक िम सख के हाथन आनंदपुर भेज
के गुर गद्दी अपने सुपुत श्री गोिबद राय को दे
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10. परन्तु गुरुगद्दी पर बैठने की पूरी मर्यादार्यादादा श्री
गुरु तेग बहादादर जी के अन्तिम न्तमर् संस्कादार करने के
बादाद 12 मर्घहर संवत 1232 को की गई| इस
समर्य बादाबादा बुड्डादा जी से पादांचवी पीढ़ी उनके
बड़े पोत बादाबादा रादामर् कुइर (बादाबादा गुरबक्श
िसह) जी ने आप जी को गुरुगद्दी कादा िम तलक
लगादाकर गुरु की मर्यादार्यादादा अन्तपर्याण की| इसके
पश्चादात संगत ने अन्तपनी अन्तपनी भेंट अन्तपर्याण करके
आपको नमर्स्कादार िकयादा|
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11. आपजी ने गुरुगद्दी पर बैठकर अन्तपने बादाबादा श्री गुरु
हिर गोिबद जी की तरह मर्ीरी-पीरी दोनो कादामर्ो
को अन्तपनादा िम लयादा| अन्तच्छे योद्धादा, शस व घोड़े अन्तपने
पादास इक्टठे करने शुर कर िदए| बीबी वीरो के
पादांच पुत, बादाबादा सूरज मर्ल जी के दो पौत तथादा श्री
गुरु हिरगोिबद जी के प्र्रोिम हत कादा पुत दयादानन्द
आिद योद्धे सिम तगुरु के पादास आनंदपुर रहने लगे|
सिम तगुरु जी इन से िम मर्लकर िम नत्य प्रतिम त शस िम वद्यादा
कादा और घोड़े की सवादारी कादा अन्तभ्यादास करते रहते|
इनके सादाथ ही आपजी गुरु घर की मर्यादार्यादादा के
अन्तनुसादार िम सख सेवको को सिम तनादामर् के उपदेश द्वरादा
आनिम न्दत करते|
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िम बिम चत नादाटक मर्ें आप जी िम लखते है –
रादाज सादाज हमर् पर जब आयो || जथादा शकत तब
धरमर् चलादायो ||
भादांिम त भादांिम त बन खेल िम शकादारादा || मर्रे रीछरोझ
झंखादार || १ ||
(दशमर्-ग्रंथ: िम बिम चत नादाटक: ७ वादां अन्तध्यादाय)
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