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दवा
इंजेक्शन िक्वनी
एक एमएल के एम्प्यूलम300 िमिल ग्रा
िक्वनीन डाइहाइड्रोक्लोराइड होता
प्रचिलत ्रां–
ब
िसंकोना, रेजक्य, िक्वनारसो, कोरक्यूएस आिद 

    

िववरण

मात्

पाष्व र् प्

िक्वनी को क्रोरोक्वीन औरबह�औषध
प्रितशोधी फैलिसपैरम मले�रया के उपचा
में प्रयकरते हैं। इसे अन्य एंटीफोलेट य
एंटीबायोिटक मले�रया क� दवाओं के साथ
देना उिचत रहता है। यह मुख्यतः र� मे
शाइजोन्ट ्स को फु त� से मारती है लेिकन 
परजीवी के स्पोरोजइट ्स और
िप्रइरेथ्रोसाइिटक अवस्था पर अ
असर नहीं करती है। मले�रया के बचाव मे
इसका कोई महत्व नह है।

भारण मात्- िक्वनीन क� पहली भारण
मात्र20 िमिलग्रा/ िकलो के  िहसाब से
5% ग्लूकोज क� बोतल में िमला कर धीधीरे लगभग  4 घंटे  में िशरा माग र्म
िवलयन करना चािहये। लेिकन यिद रोगी ने
िपछले सात िदनों में मेफ्लोक्वीन
िपछले दो िदनों मे 40 िमिलग्रा/ िकलो 
िक्वनीन से अिधक मात्रा ली हो तो भा
मात्रा नहीं देना चािहये। इसके आठ घं
बाद 10 िमिलग्रा/ िकलो के  िहसाब से
% ग्लूकोज क� बोतल में िमला कर धीधीरे लगभग  4 घंटे  में िशरा माग र्में छो
जाता है। इस तरह हर आठ घंटे में िक्वनी
क� िड्रप दी जाती  , जब तक रोगी 
िक्वनीन क� गोली खाने योग्य नहीं 
जाये। यिद िक्वनीन देने के पहले12 घंटे में
रोगी ने  मेफ्लोक्वीन का सेवन िकया हो त
रोगी का रोज ई.सी.जी. करना चािहये। 
यिद िशरा में इंजेक्शन दे सम्भव नहीं 
तो िक्वनीन को सेलाइन से पतला करके
(60-100 िमिलग्र / एमएल) दोनों जांघो
क� अग्पेिशयों में भी िदया जा सकता ह

िक्वनीन के प्रमुख पाष्वर् प्रभाव क
(कानों में सनसनाहट होना य Tinnitus),
चक्क, उबकाई, वमन, पेट ददर् आिद हैं
इन ल�णों को सामुिहक �प से
िसंकोिनज़्म कहते हैं। िक्वनीन चा
नािड़यों के अंितम छोर क� उ�ेजना को
कम करती है , िजससे आठवीं कपालीय
नाड़ी  (8th Cranial Nerve) क� कायरप्रणाली बािधत होती है और रोगी को
(Confusion), बेसधी, बेचैनी और बेहोशी 
ु
हो सकती है। िक्वनीन इंसुिलन का स्र
बढ़ा सकती है , िजससे रोगी के  र�  में
शक
र्रा का स्तर कम हो जाता है। इसिल
िक्वनीन ले रहे रोगी क� र�शकर्रा पपैनी
नज़र रखना ज�री होता है। गभार्वस्थाम
िवशेष सतक रखना चािहये । यिद रोगी 
र्ता
को आवश्यकता से अिधक िक्वनीन दे द
जाये तो वक्कपात और �सनतंत्र बाि
ृ
होने के कारण मृत्युभी हो सकती है।    

एक वयस्क व्यि� को दो गाली हर आ
घंटे में दूध के साथ सात िदन तक देना
चािहये। 
बच्चों क 10 िमिलग्रा/ िकलो हर आठ 
घंटें मे 7 िदन तक देना चािहये। िक्वनीन
बह�त कड़वी होती है , इसिलए बच्चों क
शहद में िमला करया इसका शबर्तदेना ही
श्रेयस्कर।

गोली िक्वनीन
एक गोली में300 िमिलग्राम िक्वन
सल्फेट होता है
प्रचिलत ्रां–
ब
िसंकोना, रेजक्य, िक्वनारसो, कोर 
क्यूएस आिद 

गोली क्लोरोक्वी
इसक� एक गोली में150 िमिलग्रा
क्लोरोक्वीन बेस होता है।
प्रचिलत ्रां–
ब
लेराइगो, िक्वनरो, मेलाक्वीन आिद 

गोली प्राइमाक्
एक गोली में15 िमिलग्राम प्राइमाक
बेस होता है।
प्रचिलत ्रां–
ब
मेिल�रड-डीएस, प्राइमाक्वीन आ

क्लोरोक्वीन सबसे सस , सुरि�त और 
गुजरे जमाने में सबसे प्रचिलत दवा रही ह
यह 4-अमाइनोक्वीनोलोन यौिगक है और
शाइजोन्ट ्स और गेमीटोसाइट्स पर असर
करती है। 
प्रितशोध उत्पन्न होने के क
फैलिसपैरम परजीवी के  िलए क्लोरोक्वी
पूरी तरह प्रभावहीन हो चुक� है।   
क्लोरोक्वीन िसफर् वाइव, ओवेल और 
मले�रये क� इरेथ्रोसाइिटक अवस्था पर
असर करती है, और इनके  गेमीटोसाइट्स
पर आंिशक �प से असर करती है। यह 
यकृ त में सुषु� और अ�ातवास में पल रह
परजीिवयों पर पूणर्तः बेअसर ह

क्लोरोक्वीन क250 और 500 िमिलग्रा
क� गोिलयां उपलब्ध ह , िजनमें क्रम
150 और  300 िमिलग्राम बेस होता है
इसक� प्रारंिभक मात्रा एक (चार 
गोली) है। इसके  बाद 0.5 ग्राम क� मात6,
24 और  48 घंटे में देते हैं। इसे दूध य
भोजन के साथ लेना चािहये।

क्लोरोक्वीन के मुख्य पाष्वर् प्रभाव,
�ुधालोप ( Anorexia), दस्, वमन, पेट 
ददर, खुजली, बाल झड़ना, नजर में
धुधलापन (Blurred Vision), कणर्�वे
ँ
(Tinnitus), मांस-पेिशयों में कमजो ,
सुस्त, �ास क� ( dyspnoea),
अिनयिमत �दयगित (Irregular Heart
beat), दौरा आिद हैं।
यह गभार्वस्थामें दी जा सकती 

प्राइमाक्व8-अमाइनोक्वीनोलोन यौिगक इसे 15 िमिलग्राम रोजाना य 0.25
है और यकृ त में सुषु� और अ�ातवास मे िमिलग्रा/ िकलो के  िहसाब से 14 िदन 
पल रहे सभी प्रजाितयों क� परजी
तक देते है।
अवस्थाओं का उन्मूलन करनेमें समथर् 
यह मले�रया परजीवी क�
जननाणु
(Gametocytes) अवस्था को भी मारने
में  स�म है।

प्राइमाक्वीन के प्रमुख पाष्वर
उबकाई, वमन, छाती में कमजोर , र�अल्पत, पेटददर, मांस-पेिशयों में ऐं ,
चक्क, उबकाई, वमन, पेट ददर् और
�ेतर� कणों का कम होना
(Granulocytopenia) आिद हैं।
eysfj;k
दवा

िववरण

के स्सू डोक्सीसाइक्ल 100 िम ग् डोक्सीसाइक्लीनटेट्रासाइक्ली व्युत्प है। यह

मात्

पाष्व र् प्

िक्वनीन शु� करने के2-3 िदन बाद
200 िमिलग्राम डोक्सीसाइक्लीन
भारण मात्रादेक100 िमिलग्रा
रोजाना 7 िदन तक देना चािहये। यह
गभार ्वस्था और आठ वषर् से छो
बच्चों में विजर्त

डोक्सीसाइक्लीनके प्रमुख पा
प्रभाव दांतों के एनामेल और अि
,
के िवकास का बािधत होना
उबकाई, वमन(Vomiting), प्रकसंवेदनशीलता ( photosensitivity)
आिद हैं।

प्रचिलत ्रां–
ब
बायोडोक्स, डोक्स-1 आिद

संक्रमणरोधी है और मले�रया परजीवीक30
राइबोजोम उपइकाई जुड़ती है, फलस्व�प उपइकाई
50 को 30 से जुड़ने से रोकती है और इस तरह
प्रोट-िनमार ्ण को बािधत करती है। सस्ती औ
प्रभावशाली होनेके कारण बह�त प्रचिलत है।
प्रितशोधी फैल्सीपैरममले�रया के उपचार में िक्
के साथ देने का प्रचलनहैं। जहाँ प्रितशोध उ
होने के कारण क्लोरोक्वीनबेअसर हो चुक� , वहीं
यह मले�रया के बचाव के िलए प्रयोग में ली जाती है

के स्सूल टेट्रासाइक

टेट्रासाइक्लीन को फैलिसपैरममले�रया के उपचार
िक्वनीन आिद प्रभावशाली दवा के साथ िदया जा
है।

िक्वनीन शु� करने के2-3 िदन बाद
टेट्रासाइक्ल250 िमिलग्रा
रोजाना 7 िदन तक देना चािहये। यह
गभार ्वस्था और आठ वषर् से छो
बच्चों में विजर्त है।

टेट्रासाइक्लीन के प्रमुख पाष्वर
भोजन नली में छाले हो जान , पाचन
िवकार, दांतों के एनामेल और अिस्
के िवकास का बािधत होना आिद हैं

िक्लंडामाइिसन िलंकोमाइिसन का व्युत्पात है
शाइजोंट ्स पर असर करता है। इसे हमेशा प्रितशो
फै ल्सीपैरम मले�रया में िक्वनीन के साथ िदया जा
है। गभार ्वस्था औ8 वषर् से बड़े बच्चों को भी दी
सकती है।

िक्लंडामाइिसन िक्वनीनदेनेक2-3
िदन बाद दी जाती है। वयस् रोगी
को 300 िमिलग्राम िदन में चार ब5
िदन तक देते हैं।

िक्लंडामाइिसन के प्रमुख पाष
प्रभाव उबक, वमन, पेटददर, मांसपेिशयों में एंठन आिदहै

इस युग्म को अजिटल फैलिसपैरम मले�रया के
क्लोरोक्वीन प्रितशोधी प्रजाित के उपचार मे
जाता है। पाइ�रिमथेमीन परजीवी के डाइहाइड्रोफोले
�रडक्टेज एंजाइम को बािधत करता ह , फलस्व�प
प्यूरीन तथा पाइ�रिमडीन का िनमार् थम जाता है
और डी.एन.ए. बनना तथा कोिशका िवभाजन �क
जाता है। सल्फाडोक्सीन परजीवीक
टेट्राहाइड्रोफोलेट िन-पथ में सहायक एँजाइम
डाइहाइड्रोटेरोएट का बािधत करता है। इस तरहय
दोनों इ�रथ्रोसाइट अवस्था में शाइजोंट्स को मारते

वयस् रोगी में इसक� तीन गोिलयां
(पाइ�रिमथेमीन 75 िमिलग्रा+
सल्फाडोक्सी1500 िमिलग्र)
एक ही बार में दू या खाने के साथ
दी जाती हैं।

प्राइमाक्वीन के प्रमुख पाष्वर
उबकाई, वमन, छाती में कमजोर ,
र�-अल्पत, पेटददर, मांस-पेिशयों मे
ऐ ंठन, चक्क, उबकाई, वमन, पेट
ददर ् और �ेतर� कणों का कम होन
(Granulocytopenia) आिद हैं।


यह बाइगुनाइड है जो पाइ�रिमडीन का व्युत्पाद है
इसका सिक्रय चयापचय उत्पाद साइक्लोगोिनल
यह परजीवी के डाइहाइड्राफोलेट �रडक्टेज एंजा
को िनिष्क्रय करती है और  इस तरह.एन.ए. के
िनमार ्ण में व्यवधान पैदा करती है। यह शाइजोन्ट्स
मारती है , लेिकन िहप्नोजोइट ्स पर बेअसर है अतः
आवत� मले�रया में इसका प्रयोग िनरथर्क है।
फै लिसपैरम मले�रया बचाव और उपचार हेतु बेहतर
दवा है। यह मले�रया के ती�ण ज्वर में प्रभावशाली
और संक्रमण का उन्मूलन भी करती है।  प्रितशो
बचने के िलए इसे अन्य दवा(ऐटोवेकोन) के साथ देना
चािहये। इसे भोजन के साथ लेना चािहये।
इसे
मले�रया के कारण बढ़ी ह�ई ितल्ली के उपचार में भ
िदया जाता है।

वयस् रोगी को 2-3 गोली रोज तीन
िदन तक दी जाती है। 11-20 िकलो
के बच्चे को रोज एक गोली और 2130 िकलो के बच्चे को रोज दो
गोिलयां तीन िदन तक देते हैं।
मेलेरोन (ऐटोवेकोन 250 िमिलग्रा+
प्रोगोिन 100 िमिलग्र) क� चार
गोली रोज तीन िदन तक देते हैं।

प्रोगोिनलके प्रमुख पाष्वर्
उबकाई, वमन, मुँह में छाल , बाल
झड़ना आिद हैं। यह गभार्वस्था
सुरि�त है।

इसे आट�सुनेट के साथ फै लिसपैरम और अजिटल
वाइवेक्स मले�रया मे10 िमिलग्र/ िकलो तीन िदन
तक दी जाती है। वाइवेक्स मले�रया में प्राइमाक
भी उन्मूलक(Radical) उपचार हेत ु दी जाती है।

इसे आट�सुनेट के साथ फै लिसपैरम
और अजिटल वाइवेक्स मले�रया मे
10 िमिलग्र / िकलो तीन िदन तक
दी जाती है। वाइवेक्स मले�रया मे
प्राइमाक्वीन भी उन्मूलक उपचार ह
दी जाती है।

एमोडाक्वीन के पाष्वर् प्रभाव ,
वमन, खुजली, पेटददर, चक्क,
िद्व�ि( diplopia), �दयगित कम
होना (bradycardia), र�चाप कम
होना आिद हैं।

प्रचिलत ्रां–
ब
एक्रोमाइि, रेस्टेिक्लन आि

के स्सूलिक्लंडामाइिस
इसक� एक केप्स्य में150 िमिलग्रा
क्लोरोक्वीनबेस होता है।
प्रचिलत ्रां–
ब
डालािसन-सी आिद

पाइ�रिमथेमीन और सल्फाडोक्स
इसक� एक गोली में पाइ�रिमथेमीन25
िमिलग्राम और सल्फाडोक्500
िमिलग्राम होता है
प्रचिलत ्रां–
ब
अमलार, फेन्सीडार आिद

प्रोगोिनल100 िमिलग्र
प्रचिलत ्रां–
ब
लवेरान आिद

एमोडाक्वी
इसक� एक गोली में200 िमिलग्रा
एमोडाक्वीन बेस होता है।
कोआसुर ्कम में आट�सुने50 िमिलग्रा
एमोडाक्वीन153 िमिलग्राम होता ह
eysfj;k
दवा
आट�सुनेट
इसक� इसक� एक गोली में
50 िमिलग्राम और ए
वायल में60 िमिलग्रा
आट�सुनेट होता है।
प्रचिलत ्रां–
ब
मेिलनाटर , आरटीसन,
जुनाटा, लेरीनेट, फे लिसगो,
ऐिटला आिद

आट�मीथर
इसके एक एम.एल. एम्प्यू
में80 िमिलग्राम और ए
के प्स्यूल म40 िमिलग्रा
आट�मीथर होता है।
प्रचिलत ्रां–
ब
लेरीथर, पेल्यूथर आिद

इंजेक्शन आट�थर
इसके 2 एम.एल. एम्प्यूल म
150 िमिलग्राम आट�थ
होता है। ।
प्रचिलत ्रां–
ब
मेच, ईमेल आिद

िववरण

मात्

पाष्व र् प्

िचंघाऊसू (अथार ्त आट�िमिसिन) एक चीनी जड़ी-बूटी है , जो वहाँ 1000
से भी अिधक वष� से मले�रया के उपचार में प्रयोग में ली जा रही है। अथ
िक्वनीन क� खोज से भी पहले चीन मले�रया के इलाज में िचंघाऊसू प्र
कर रहा था। इसे 340 AD में जी होंग नाम के चीनी िचिकत्सक
आट�िमिसया ऐनुआ नामक पौधे से िवकिसत िकया था और इसका िजक्
अपनी पुस्तक झाओ हाओ बेई जी फ ैंग (Zhou Hou Bei Ji Fang) में
िकया था। सन् 1971 में पहली बार इस जड़-बूटी से मुख्य सिक्रय त
िनकाला गया और आट�िमिसिनन नाम रखा गया। यह सेसिक्वटप�न लेक्टो
प्रजाित का दुलर्भ रसायन है। डब.एच.ओ. द्वारा क� गई शोध में इ
बह�औषधीय प्रितशोधी फैलिसपैरम क� सभी अवस्थाओं में ब
ही
प्रभावशाली पाया गया है। इसिलए इसके अनुपालन और अवलम्बन में प
सततार ् बरती गई है और पूरी कौिशश क� जा रही है िक मले�रया क� इस
महान औषिध से प्रितशोध उत्पन्न नहीं हो प इसिलए इसे हमेशा अन्य
औषिधयों के साथ िदया जाता है इसका एक जलीय व्युत्पाद आट�सुने
(Hemisuccinate) और दो तेलीय व्युत्पाद आट�थ( Ethyl Ether) और
आट�मीथर (Methyl Ether) िवकिसत िकये गये हैं
आट�िमिसिनन यौिगक फै लिसपैरम के एनकोडेड साक�प्लािज्एंडेप्लािज्मक रेिटकुलम कैिल्शयम एटीपेज एंजाइम को बािधत करते ह
आट�िमिसिनन चयापिचत होकर सिक्रय और अिस्थर डाइहाआट�िमिसिनन (जैिवक अधर ्जीवन लगभग45 िमनट) में प�रवितर्त होता है
सभी प्रजाित के मले�रया परजीवी के िलए यह सबसे तेज और शि�शाल
काितल है। यह ट्रोफोजोइट्स के िवकास को बािधत करता है अतः रोग क
प्रगमन को रोक देती है। साथ ही र� में िवचरण कर रहे नन्हें परजीिवय
यकृ त के सघन र�-जाल में छुपने से पहले ही मार देती है। आट�िमिसिनन
12 घंटें के भीतर अपना काम शु� कर देती है। इसिलए यह जिटल
फै लिसपैरम मले�रया के उपचार में बह�त उपयोगी सािबत हो रही है।
आट�मीथर और आट�सुनेट उपचार िक्वनीन क� अपे�ा सरल और सुरि�त
है और र�शक्रा कम होने का खतरा भी नहीं रहता ह
र
आट�िमिसिनन व्युत्प ( Derivative) गेमीटोसाइट् स िनमार ्ण
(gametocytogenesis) में भी व्यवधान पैदा करते  , अतः मले�रया के
संचारण को बािधत करते हैं और परजीवी क� प्रितशोधी प्रजाित को फैलन
रोकते हैं।।

इंजेक्श (Parentral)
पहला इंजेक्शन2.4 िमिलग्र/िकलो
के सूत्र से नस या पेशी में िदया जा
है। इसके बाद दूसरा इंजेक्शन12
घंटे बाद और िफर रोज एक इंजेक्शन
अिधकतम 7 िदन तक या जब रोगी
गोली खाने योग्य न हो जाये तब तक
िदया जाता है।
आट�सुनेट इंजेक्शन क� वायल मे1
एस.एल. सोिडयम बाइकाब�नेट 5%
डाल कर अच्छी तरह2-3 िमनट तक
िहला लेते हैं।  िफर इंजेक्शन को5
एस.एल. सेलाइन से पतला करके नस
में धीर-धीरे िवलयन करते हैं।
खाने क� गोिलयां 
पहले िदन 50 िमिलग्राम क� दो गोल
सुबह शाम और दसरे िदन से एक
ू
गोली सुबह शाम कु ल 5 िदन तक देते
हैं

अन्य औषिधयों क� अपे�
आट�िमिसिनन के पाष्वर
प्रभाव िसिमत हैं। मुख्य पा
प्रभाव उबक , वमन, भूख
न लगना , चक्कर आिद हैं
र�-अल्पत, र�अपघटन
(hemolysis), यकृ त के
एंजाइम्स का स्तर बढ़ ,
लड़खड़ाना या अन्य नाड़ी
िवकार आिद अन्य कुप्रभ
है। यह गभर ्वती ि�यों में भ
को �ित पह�चा सकते हैं
ँ
और िशशु में जन्मजा
िवकार या गभर ्पात हो
सकता है। इसिलए इसे
गभार ्वस्था में नहीं देना
श्रेयस्कर है।

इंजेक्श (Parentral)
पहले िदन इसक� भारण मात्रा गणन
3.2 िमिलग्र/िकलो के सूत्र से क
जाती है। इंट्रामस्कूलर इंजेक्शन द
दी जाती है। अगले िदन से मात्रा घट
कर 1.6 िमिलग्र/िकलो कर दी
जाती है, िजसे अिधकतम 7 िदन तक
या जब रोगी के प्स्यूल खाने लगे त
तक देते हैं।
गोिलयां 
पहले िदन 40 िमिलग्राम के द
के प्स्यूल सुबह शाम और दूसरे िद
से एक के प्स्यूल सुबह शाम कु5
िदन तक देते हैं
इसक� मात्र3 िमिलग्र / िकलो है।
वयस्क व्यि� में इसका एक इंजेक
रोजाना कू ल्हे क� पेशी में तीन िद
तक िदया जाता है।
eysfj;k
दवा
मेफ्लोक्वीन
इसक� एक गोली में250
िमिलग्राममेफ्लोक्वीन होता
प्रचिलत ्रां–
ब
मेफ्लोटा, ले�रयम आिद

आट�मीथर और
ल्यूमेैन्ट
फ
इसक� एक गोली में आट�मीथर
80 िमिलग्राम और ल्यूमेफैन्
480 िमिलग्राम होता है।
प्रचिलत ्रां–
ब
माल्वीथ, आसुर्ल, ल्यूमा�रया
फे लबेन, ल्यूिमरेक्स आि

आट�रोलेन और
िपपरेक्वीन
िसन�रयम (आट�रोलेन 150
िमिलग्राम और िपपरेक्व750
िमिलग्र)

िववरण

मात्

पाष्व र् प्

इसे िवयतनाम युद्धके दौरान अमरीक� सैिनकों
बह�औषधीय प्रतशोधी मले�रयाके उपचारहेतु िवकिस
िकया गया था। यह िक्वनीन से िमलत-जुलती दवा है। यह
टॉिक्सक हीम कॉम्प्लेक्स बनात , जो परजीवी के भोजन
वेकु वोल को न� करते हैं। यह सभी प्रजाित के परजीवी
इरेथ्रोसाइिटक अवस्था पर असर करती, लेिकन यकृ त में
पल रहे सुष� अवस्था पर पूणर्तः प्रभावहीन होता है।
ु
तरह यह बह�त प्रभावशालीढंगसे शाइजो ंट्स को तब
करती है। इसे िसफ
र् क्लोरोक्वीन और बह�औषध
प्रतशोधी फैलिसपैरम मले�रयाके उपचार और बचावहेत
िदया जाता है।

वयस् व्यि� मेंमेफ्लोक्वीन क�
मात्र1250 िमिलग्राम है750
िमिलग्रा(तीन गोिलयां) क� भारण
मात्रा भोजनके साथ तथाशे500
िमिलग्रा(दो गोिलयां) 12 घंटे बाद दी
जाती है। बच्चों में मा25 िमिलग्र/
िकलो है।

मेफ्लोक्वीनके पाष्वर् प्रभाव,
वमन, दस्, पेटददर, चक्क,
िसरददर, कणर्�वे (कानों मे
सनसनाहट होना या Tinnitus),
िद्व�ि( diplopia), अिनद्,
अवसाद, तनाव, मनोिवकार, बाल
झड़ना, �दयगित कम होना
(bradycardia), ऐ�रिद्म, �ि� या
श्रवण द, खुजली, थकावट, जोड़ों
में दद , �ेतर� कण तथा िबंबाणु कम
होना, दौरा, एनके फे लोपेथी, बेसधी,
ु
मूछार् आिद हैं
इसके कु प्रभावों केमद्देनजर
हेतु 6 महीने से ज्यादा नहींदेन
चािहये। इसे गभार्वस्था में िदया
सकता है।

यह मले�रया क� शि�शाली औषिध है जो शाइजोन्ट्स को इसक� एक गोली सुबह और एक गोली
बुरी तरह तहस-नहस करती है। इसे क्लोरोक्वीन प्रितश शोम को भोजन के साथ तीन िदन तक
फै लिसपैरम और जिटल फै लिसपैरम मले�रया के उपचार
देते हैं।
िदया जाता है।

इसके पाष्वर् प्रभाव उ , वमन,
दस्, अपच, चक्क, कणर्�वे,
भूख न लगना, हाथ कांपना, जोड़ों मे
ददर , िदल क� गित कम होना , फस्टर
िडग्री हाटर्ब , यकृ त के एंजाइम्स
का बढ़ना , �ेतर� कण कम होना
आिद हैं

यह दवा रेनबेक्सी ने हाल ही मे िवकिसत क� है।आट�रोलेन वयस्क व्यि� कइसक� एक गोली रोज
और िपपरेक्वीन दोनों ही शाइजोन्ट्स
मारक प्रहा तीन िदन तक देते हैं यह िसफ
र् तीन
करती हैं।  आट�रोलेन फैलिसपैरम के
PfATP6 गोली का उपचार है।
(साक�प्लािज्मकएंडोप्लािज्मक रेिटकुलम कैिल
एटीपेज) को बािधत करती है।

Dr. O.P.Verma
MBBS, MRSH (London)
Flax Awareness Society
http://flaxindia.blogspot.com
+919460816360

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Treatment of Malaria in Hindi

  • 1. eysfj;k dk mipkj दवा इंजेक्शन िक्वनी एक एमएल के एम्प्यूलम300 िमिल ग्रा िक्वनीन डाइहाइड्रोक्लोराइड होता प्रचिलत ्रां– ब िसंकोना, रेजक्य, िक्वनारसो, कोरक्यूएस आिद िववरण मात् पाष्व र् प् िक्वनी को क्रोरोक्वीन औरबह�औषध प्रितशोधी फैलिसपैरम मले�रया के उपचा में प्रयकरते हैं। इसे अन्य एंटीफोलेट य एंटीबायोिटक मले�रया क� दवाओं के साथ देना उिचत रहता है। यह मुख्यतः र� मे शाइजोन्ट ्स को फु त� से मारती है लेिकन परजीवी के स्पोरोजइट ्स और िप्रइरेथ्रोसाइिटक अवस्था पर अ असर नहीं करती है। मले�रया के बचाव मे इसका कोई महत्व नह है। भारण मात्- िक्वनीन क� पहली भारण मात्र20 िमिलग्रा/ िकलो के िहसाब से 5% ग्लूकोज क� बोतल में िमला कर धीधीरे लगभग 4 घंटे में िशरा माग र्म िवलयन करना चािहये। लेिकन यिद रोगी ने िपछले सात िदनों में मेफ्लोक्वीन िपछले दो िदनों मे 40 िमिलग्रा/ िकलो िक्वनीन से अिधक मात्रा ली हो तो भा मात्रा नहीं देना चािहये। इसके आठ घं बाद 10 िमिलग्रा/ िकलो के िहसाब से % ग्लूकोज क� बोतल में िमला कर धीधीरे लगभग 4 घंटे में िशरा माग र्में छो जाता है। इस तरह हर आठ घंटे में िक्वनी क� िड्रप दी जाती , जब तक रोगी िक्वनीन क� गोली खाने योग्य नहीं जाये। यिद िक्वनीन देने के पहले12 घंटे में रोगी ने मेफ्लोक्वीन का सेवन िकया हो त रोगी का रोज ई.सी.जी. करना चािहये। यिद िशरा में इंजेक्शन दे सम्भव नहीं तो िक्वनीन को सेलाइन से पतला करके (60-100 िमिलग्र / एमएल) दोनों जांघो क� अग्पेिशयों में भी िदया जा सकता ह िक्वनीन के प्रमुख पाष्वर् प्रभाव क (कानों में सनसनाहट होना य Tinnitus), चक्क, उबकाई, वमन, पेट ददर् आिद हैं इन ल�णों को सामुिहक �प से िसंकोिनज़्म कहते हैं। िक्वनीन चा नािड़यों के अंितम छोर क� उ�ेजना को कम करती है , िजससे आठवीं कपालीय नाड़ी (8th Cranial Nerve) क� कायरप्रणाली बािधत होती है और रोगी को (Confusion), बेसधी, बेचैनी और बेहोशी ु हो सकती है। िक्वनीन इंसुिलन का स्र बढ़ा सकती है , िजससे रोगी के र� में शक र्रा का स्तर कम हो जाता है। इसिल िक्वनीन ले रहे रोगी क� र�शकर्रा पपैनी नज़र रखना ज�री होता है। गभार्वस्थाम िवशेष सतक रखना चािहये । यिद रोगी र्ता को आवश्यकता से अिधक िक्वनीन दे द जाये तो वक्कपात और �सनतंत्र बाि ृ होने के कारण मृत्युभी हो सकती है। एक वयस्क व्यि� को दो गाली हर आ घंटे में दूध के साथ सात िदन तक देना चािहये। बच्चों क 10 िमिलग्रा/ िकलो हर आठ घंटें मे 7 िदन तक देना चािहये। िक्वनीन बह�त कड़वी होती है , इसिलए बच्चों क शहद में िमला करया इसका शबर्तदेना ही श्रेयस्कर। गोली िक्वनीन एक गोली में300 िमिलग्राम िक्वन सल्फेट होता है प्रचिलत ्रां– ब िसंकोना, रेजक्य, िक्वनारसो, कोर क्यूएस आिद गोली क्लोरोक्वी इसक� एक गोली में150 िमिलग्रा क्लोरोक्वीन बेस होता है। प्रचिलत ्रां– ब लेराइगो, िक्वनरो, मेलाक्वीन आिद गोली प्राइमाक् एक गोली में15 िमिलग्राम प्राइमाक बेस होता है। प्रचिलत ्रां– ब मेिल�रड-डीएस, प्राइमाक्वीन आ क्लोरोक्वीन सबसे सस , सुरि�त और गुजरे जमाने में सबसे प्रचिलत दवा रही ह यह 4-अमाइनोक्वीनोलोन यौिगक है और शाइजोन्ट ्स और गेमीटोसाइट्स पर असर करती है। प्रितशोध उत्पन्न होने के क फैलिसपैरम परजीवी के िलए क्लोरोक्वी पूरी तरह प्रभावहीन हो चुक� है। क्लोरोक्वीन िसफर् वाइव, ओवेल और मले�रये क� इरेथ्रोसाइिटक अवस्था पर असर करती है, और इनके गेमीटोसाइट्स पर आंिशक �प से असर करती है। यह यकृ त में सुषु� और अ�ातवास में पल रह परजीिवयों पर पूणर्तः बेअसर ह क्लोरोक्वीन क250 और 500 िमिलग्रा क� गोिलयां उपलब्ध ह , िजनमें क्रम 150 और 300 िमिलग्राम बेस होता है इसक� प्रारंिभक मात्रा एक (चार गोली) है। इसके बाद 0.5 ग्राम क� मात6, 24 और 48 घंटे में देते हैं। इसे दूध य भोजन के साथ लेना चािहये। क्लोरोक्वीन के मुख्य पाष्वर् प्रभाव, �ुधालोप ( Anorexia), दस्, वमन, पेट ददर, खुजली, बाल झड़ना, नजर में धुधलापन (Blurred Vision), कणर्�वे ँ (Tinnitus), मांस-पेिशयों में कमजो , सुस्त, �ास क� ( dyspnoea), अिनयिमत �दयगित (Irregular Heart beat), दौरा आिद हैं। यह गभार्वस्थामें दी जा सकती प्राइमाक्व8-अमाइनोक्वीनोलोन यौिगक इसे 15 िमिलग्राम रोजाना य 0.25 है और यकृ त में सुषु� और अ�ातवास मे िमिलग्रा/ िकलो के िहसाब से 14 िदन पल रहे सभी प्रजाितयों क� परजी तक देते है। अवस्थाओं का उन्मूलन करनेमें समथर् यह मले�रया परजीवी क� जननाणु (Gametocytes) अवस्था को भी मारने में स�म है। प्राइमाक्वीन के प्रमुख पाष्वर उबकाई, वमन, छाती में कमजोर , र�अल्पत, पेटददर, मांस-पेिशयों में ऐं , चक्क, उबकाई, वमन, पेट ददर् और �ेतर� कणों का कम होना (Granulocytopenia) आिद हैं।
  • 2. eysfj;k दवा िववरण के स्सू डोक्सीसाइक्ल 100 िम ग् डोक्सीसाइक्लीनटेट्रासाइक्ली व्युत्प है। यह मात् पाष्व र् प् िक्वनीन शु� करने के2-3 िदन बाद 200 िमिलग्राम डोक्सीसाइक्लीन भारण मात्रादेक100 िमिलग्रा रोजाना 7 िदन तक देना चािहये। यह गभार ्वस्था और आठ वषर् से छो बच्चों में विजर्त डोक्सीसाइक्लीनके प्रमुख पा प्रभाव दांतों के एनामेल और अि , के िवकास का बािधत होना उबकाई, वमन(Vomiting), प्रकसंवेदनशीलता ( photosensitivity) आिद हैं। प्रचिलत ्रां– ब बायोडोक्स, डोक्स-1 आिद संक्रमणरोधी है और मले�रया परजीवीक30 राइबोजोम उपइकाई जुड़ती है, फलस्व�प उपइकाई 50 को 30 से जुड़ने से रोकती है और इस तरह प्रोट-िनमार ्ण को बािधत करती है। सस्ती औ प्रभावशाली होनेके कारण बह�त प्रचिलत है। प्रितशोधी फैल्सीपैरममले�रया के उपचार में िक् के साथ देने का प्रचलनहैं। जहाँ प्रितशोध उ होने के कारण क्लोरोक्वीनबेअसर हो चुक� , वहीं यह मले�रया के बचाव के िलए प्रयोग में ली जाती है के स्सूल टेट्रासाइक टेट्रासाइक्लीन को फैलिसपैरममले�रया के उपचार िक्वनीन आिद प्रभावशाली दवा के साथ िदया जा है। िक्वनीन शु� करने के2-3 िदन बाद टेट्रासाइक्ल250 िमिलग्रा रोजाना 7 िदन तक देना चािहये। यह गभार ्वस्था और आठ वषर् से छो बच्चों में विजर्त है। टेट्रासाइक्लीन के प्रमुख पाष्वर भोजन नली में छाले हो जान , पाचन िवकार, दांतों के एनामेल और अिस् के िवकास का बािधत होना आिद हैं िक्लंडामाइिसन िलंकोमाइिसन का व्युत्पात है शाइजोंट ्स पर असर करता है। इसे हमेशा प्रितशो फै ल्सीपैरम मले�रया में िक्वनीन के साथ िदया जा है। गभार ्वस्था औ8 वषर् से बड़े बच्चों को भी दी सकती है। िक्लंडामाइिसन िक्वनीनदेनेक2-3 िदन बाद दी जाती है। वयस् रोगी को 300 िमिलग्राम िदन में चार ब5 िदन तक देते हैं। िक्लंडामाइिसन के प्रमुख पाष प्रभाव उबक, वमन, पेटददर, मांसपेिशयों में एंठन आिदहै इस युग्म को अजिटल फैलिसपैरम मले�रया के क्लोरोक्वीन प्रितशोधी प्रजाित के उपचार मे जाता है। पाइ�रिमथेमीन परजीवी के डाइहाइड्रोफोले �रडक्टेज एंजाइम को बािधत करता ह , फलस्व�प प्यूरीन तथा पाइ�रिमडीन का िनमार् थम जाता है और डी.एन.ए. बनना तथा कोिशका िवभाजन �क जाता है। सल्फाडोक्सीन परजीवीक टेट्राहाइड्रोफोलेट िन-पथ में सहायक एँजाइम डाइहाइड्रोटेरोएट का बािधत करता है। इस तरहय दोनों इ�रथ्रोसाइट अवस्था में शाइजोंट्स को मारते वयस् रोगी में इसक� तीन गोिलयां (पाइ�रिमथेमीन 75 िमिलग्रा+ सल्फाडोक्सी1500 िमिलग्र) एक ही बार में दू या खाने के साथ दी जाती हैं। प्राइमाक्वीन के प्रमुख पाष्वर उबकाई, वमन, छाती में कमजोर , र�-अल्पत, पेटददर, मांस-पेिशयों मे ऐ ंठन, चक्क, उबकाई, वमन, पेट ददर ् और �ेतर� कणों का कम होन (Granulocytopenia) आिद हैं। यह बाइगुनाइड है जो पाइ�रिमडीन का व्युत्पाद है इसका सिक्रय चयापचय उत्पाद साइक्लोगोिनल यह परजीवी के डाइहाइड्राफोलेट �रडक्टेज एंजा को िनिष्क्रय करती है और इस तरह.एन.ए. के िनमार ्ण में व्यवधान पैदा करती है। यह शाइजोन्ट्स मारती है , लेिकन िहप्नोजोइट ्स पर बेअसर है अतः आवत� मले�रया में इसका प्रयोग िनरथर्क है। फै लिसपैरम मले�रया बचाव और उपचार हेतु बेहतर दवा है। यह मले�रया के ती�ण ज्वर में प्रभावशाली और संक्रमण का उन्मूलन भी करती है। प्रितशो बचने के िलए इसे अन्य दवा(ऐटोवेकोन) के साथ देना चािहये। इसे भोजन के साथ लेना चािहये। इसे मले�रया के कारण बढ़ी ह�ई ितल्ली के उपचार में भ िदया जाता है। वयस् रोगी को 2-3 गोली रोज तीन िदन तक दी जाती है। 11-20 िकलो के बच्चे को रोज एक गोली और 2130 िकलो के बच्चे को रोज दो गोिलयां तीन िदन तक देते हैं। मेलेरोन (ऐटोवेकोन 250 िमिलग्रा+ प्रोगोिन 100 िमिलग्र) क� चार गोली रोज तीन िदन तक देते हैं। प्रोगोिनलके प्रमुख पाष्वर् उबकाई, वमन, मुँह में छाल , बाल झड़ना आिद हैं। यह गभार्वस्था सुरि�त है। इसे आट�सुनेट के साथ फै लिसपैरम और अजिटल वाइवेक्स मले�रया मे10 िमिलग्र/ िकलो तीन िदन तक दी जाती है। वाइवेक्स मले�रया में प्राइमाक भी उन्मूलक(Radical) उपचार हेत ु दी जाती है। इसे आट�सुनेट के साथ फै लिसपैरम और अजिटल वाइवेक्स मले�रया मे 10 िमिलग्र / िकलो तीन िदन तक दी जाती है। वाइवेक्स मले�रया मे प्राइमाक्वीन भी उन्मूलक उपचार ह दी जाती है। एमोडाक्वीन के पाष्वर् प्रभाव , वमन, खुजली, पेटददर, चक्क, िद्व�ि( diplopia), �दयगित कम होना (bradycardia), र�चाप कम होना आिद हैं। प्रचिलत ्रां– ब एक्रोमाइि, रेस्टेिक्लन आि के स्सूलिक्लंडामाइिस इसक� एक केप्स्य में150 िमिलग्रा क्लोरोक्वीनबेस होता है। प्रचिलत ्रां– ब डालािसन-सी आिद पाइ�रिमथेमीन और सल्फाडोक्स इसक� एक गोली में पाइ�रिमथेमीन25 िमिलग्राम और सल्फाडोक्500 िमिलग्राम होता है प्रचिलत ्रां– ब अमलार, फेन्सीडार आिद प्रोगोिनल100 िमिलग्र प्रचिलत ्रां– ब लवेरान आिद एमोडाक्वी इसक� एक गोली में200 िमिलग्रा एमोडाक्वीन बेस होता है। कोआसुर ्कम में आट�सुने50 िमिलग्रा एमोडाक्वीन153 िमिलग्राम होता ह
  • 3. eysfj;k दवा आट�सुनेट इसक� इसक� एक गोली में 50 िमिलग्राम और ए वायल में60 िमिलग्रा आट�सुनेट होता है। प्रचिलत ्रां– ब मेिलनाटर , आरटीसन, जुनाटा, लेरीनेट, फे लिसगो, ऐिटला आिद आट�मीथर इसके एक एम.एल. एम्प्यू में80 िमिलग्राम और ए के प्स्यूल म40 िमिलग्रा आट�मीथर होता है। प्रचिलत ्रां– ब लेरीथर, पेल्यूथर आिद इंजेक्शन आट�थर इसके 2 एम.एल. एम्प्यूल म 150 िमिलग्राम आट�थ होता है। । प्रचिलत ्रां– ब मेच, ईमेल आिद िववरण मात् पाष्व र् प् िचंघाऊसू (अथार ्त आट�िमिसिन) एक चीनी जड़ी-बूटी है , जो वहाँ 1000 से भी अिधक वष� से मले�रया के उपचार में प्रयोग में ली जा रही है। अथ िक्वनीन क� खोज से भी पहले चीन मले�रया के इलाज में िचंघाऊसू प्र कर रहा था। इसे 340 AD में जी होंग नाम के चीनी िचिकत्सक आट�िमिसया ऐनुआ नामक पौधे से िवकिसत िकया था और इसका िजक् अपनी पुस्तक झाओ हाओ बेई जी फ ैंग (Zhou Hou Bei Ji Fang) में िकया था। सन् 1971 में पहली बार इस जड़-बूटी से मुख्य सिक्रय त िनकाला गया और आट�िमिसिनन नाम रखा गया। यह सेसिक्वटप�न लेक्टो प्रजाित का दुलर्भ रसायन है। डब.एच.ओ. द्वारा क� गई शोध में इ बह�औषधीय प्रितशोधी फैलिसपैरम क� सभी अवस्थाओं में ब ही प्रभावशाली पाया गया है। इसिलए इसके अनुपालन और अवलम्बन में प सततार ् बरती गई है और पूरी कौिशश क� जा रही है िक मले�रया क� इस महान औषिध से प्रितशोध उत्पन्न नहीं हो प इसिलए इसे हमेशा अन्य औषिधयों के साथ िदया जाता है इसका एक जलीय व्युत्पाद आट�सुने (Hemisuccinate) और दो तेलीय व्युत्पाद आट�थ( Ethyl Ether) और आट�मीथर (Methyl Ether) िवकिसत िकये गये हैं आट�िमिसिनन यौिगक फै लिसपैरम के एनकोडेड साक�प्लािज्एंडेप्लािज्मक रेिटकुलम कैिल्शयम एटीपेज एंजाइम को बािधत करते ह आट�िमिसिनन चयापिचत होकर सिक्रय और अिस्थर डाइहाआट�िमिसिनन (जैिवक अधर ्जीवन लगभग45 िमनट) में प�रवितर्त होता है सभी प्रजाित के मले�रया परजीवी के िलए यह सबसे तेज और शि�शाल काितल है। यह ट्रोफोजोइट्स के िवकास को बािधत करता है अतः रोग क प्रगमन को रोक देती है। साथ ही र� में िवचरण कर रहे नन्हें परजीिवय यकृ त के सघन र�-जाल में छुपने से पहले ही मार देती है। आट�िमिसिनन 12 घंटें के भीतर अपना काम शु� कर देती है। इसिलए यह जिटल फै लिसपैरम मले�रया के उपचार में बह�त उपयोगी सािबत हो रही है। आट�मीथर और आट�सुनेट उपचार िक्वनीन क� अपे�ा सरल और सुरि�त है और र�शक्रा कम होने का खतरा भी नहीं रहता ह र आट�िमिसिनन व्युत्प ( Derivative) गेमीटोसाइट् स िनमार ्ण (gametocytogenesis) में भी व्यवधान पैदा करते , अतः मले�रया के संचारण को बािधत करते हैं और परजीवी क� प्रितशोधी प्रजाित को फैलन रोकते हैं।। इंजेक्श (Parentral) पहला इंजेक्शन2.4 िमिलग्र/िकलो के सूत्र से नस या पेशी में िदया जा है। इसके बाद दूसरा इंजेक्शन12 घंटे बाद और िफर रोज एक इंजेक्शन अिधकतम 7 िदन तक या जब रोगी गोली खाने योग्य न हो जाये तब तक िदया जाता है। आट�सुनेट इंजेक्शन क� वायल मे1 एस.एल. सोिडयम बाइकाब�नेट 5% डाल कर अच्छी तरह2-3 िमनट तक िहला लेते हैं। िफर इंजेक्शन को5 एस.एल. सेलाइन से पतला करके नस में धीर-धीरे िवलयन करते हैं। खाने क� गोिलयां पहले िदन 50 िमिलग्राम क� दो गोल सुबह शाम और दसरे िदन से एक ू गोली सुबह शाम कु ल 5 िदन तक देते हैं अन्य औषिधयों क� अपे� आट�िमिसिनन के पाष्वर प्रभाव िसिमत हैं। मुख्य पा प्रभाव उबक , वमन, भूख न लगना , चक्कर आिद हैं र�-अल्पत, र�अपघटन (hemolysis), यकृ त के एंजाइम्स का स्तर बढ़ , लड़खड़ाना या अन्य नाड़ी िवकार आिद अन्य कुप्रभ है। यह गभर ्वती ि�यों में भ को �ित पह�चा सकते हैं ँ और िशशु में जन्मजा िवकार या गभर ्पात हो सकता है। इसिलए इसे गभार ्वस्था में नहीं देना श्रेयस्कर है। इंजेक्श (Parentral) पहले िदन इसक� भारण मात्रा गणन 3.2 िमिलग्र/िकलो के सूत्र से क जाती है। इंट्रामस्कूलर इंजेक्शन द दी जाती है। अगले िदन से मात्रा घट कर 1.6 िमिलग्र/िकलो कर दी जाती है, िजसे अिधकतम 7 िदन तक या जब रोगी के प्स्यूल खाने लगे त तक देते हैं। गोिलयां पहले िदन 40 िमिलग्राम के द के प्स्यूल सुबह शाम और दूसरे िद से एक के प्स्यूल सुबह शाम कु5 िदन तक देते हैं इसक� मात्र3 िमिलग्र / िकलो है। वयस्क व्यि� में इसका एक इंजेक रोजाना कू ल्हे क� पेशी में तीन िद तक िदया जाता है।
  • 4. eysfj;k दवा मेफ्लोक्वीन इसक� एक गोली में250 िमिलग्राममेफ्लोक्वीन होता प्रचिलत ्रां– ब मेफ्लोटा, ले�रयम आिद आट�मीथर और ल्यूमेैन्ट फ इसक� एक गोली में आट�मीथर 80 िमिलग्राम और ल्यूमेफैन् 480 िमिलग्राम होता है। प्रचिलत ्रां– ब माल्वीथ, आसुर्ल, ल्यूमा�रया फे लबेन, ल्यूिमरेक्स आि आट�रोलेन और िपपरेक्वीन िसन�रयम (आट�रोलेन 150 िमिलग्राम और िपपरेक्व750 िमिलग्र) िववरण मात् पाष्व र् प् इसे िवयतनाम युद्धके दौरान अमरीक� सैिनकों बह�औषधीय प्रतशोधी मले�रयाके उपचारहेतु िवकिस िकया गया था। यह िक्वनीन से िमलत-जुलती दवा है। यह टॉिक्सक हीम कॉम्प्लेक्स बनात , जो परजीवी के भोजन वेकु वोल को न� करते हैं। यह सभी प्रजाित के परजीवी इरेथ्रोसाइिटक अवस्था पर असर करती, लेिकन यकृ त में पल रहे सुष� अवस्था पर पूणर्तः प्रभावहीन होता है। ु तरह यह बह�त प्रभावशालीढंगसे शाइजो ंट्स को तब करती है। इसे िसफ र् क्लोरोक्वीन और बह�औषध प्रतशोधी फैलिसपैरम मले�रयाके उपचार और बचावहेत िदया जाता है। वयस् व्यि� मेंमेफ्लोक्वीन क� मात्र1250 िमिलग्राम है750 िमिलग्रा(तीन गोिलयां) क� भारण मात्रा भोजनके साथ तथाशे500 िमिलग्रा(दो गोिलयां) 12 घंटे बाद दी जाती है। बच्चों में मा25 िमिलग्र/ िकलो है। मेफ्लोक्वीनके पाष्वर् प्रभाव, वमन, दस्, पेटददर, चक्क, िसरददर, कणर्�वे (कानों मे सनसनाहट होना या Tinnitus), िद्व�ि( diplopia), अिनद्, अवसाद, तनाव, मनोिवकार, बाल झड़ना, �दयगित कम होना (bradycardia), ऐ�रिद्म, �ि� या श्रवण द, खुजली, थकावट, जोड़ों में दद , �ेतर� कण तथा िबंबाणु कम होना, दौरा, एनके फे लोपेथी, बेसधी, ु मूछार् आिद हैं इसके कु प्रभावों केमद्देनजर हेतु 6 महीने से ज्यादा नहींदेन चािहये। इसे गभार्वस्था में िदया सकता है। यह मले�रया क� शि�शाली औषिध है जो शाइजोन्ट्स को इसक� एक गोली सुबह और एक गोली बुरी तरह तहस-नहस करती है। इसे क्लोरोक्वीन प्रितश शोम को भोजन के साथ तीन िदन तक फै लिसपैरम और जिटल फै लिसपैरम मले�रया के उपचार देते हैं। िदया जाता है। इसके पाष्वर् प्रभाव उ , वमन, दस्, अपच, चक्क, कणर्�वे, भूख न लगना, हाथ कांपना, जोड़ों मे ददर , िदल क� गित कम होना , फस्टर िडग्री हाटर्ब , यकृ त के एंजाइम्स का बढ़ना , �ेतर� कण कम होना आिद हैं यह दवा रेनबेक्सी ने हाल ही मे िवकिसत क� है।आट�रोलेन वयस्क व्यि� कइसक� एक गोली रोज और िपपरेक्वीन दोनों ही शाइजोन्ट्स मारक प्रहा तीन िदन तक देते हैं यह िसफ र् तीन करती हैं। आट�रोलेन फैलिसपैरम के PfATP6 गोली का उपचार है। (साक�प्लािज्मकएंडोप्लािज्मक रेिटकुलम कैिल एटीपेज) को बािधत करती है। Dr. O.P.Verma MBBS, MRSH (London) Flax Awareness Society http://flaxindia.blogspot.com +919460816360