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NAGENDRA KUMAR SAINI
संधि
संधि शब्द का अर्थ है 'मेल'। दो निकटवर्ती वर्णों के परस्पर मेल
से जो ववकार (पररवर्तथि) होर्ता है वह संधि कहलार्ता है। जैसे -
सम् + र्तोष = संर्तोष ; देव + इंद्र = देवेंद्र ; भािु + उदय =
भािूदय।
संधि के भेद
संधि र्तीि प्रकार की होर्ती हैं – 1. स्वर संधि 2. व्यंजि संधि 3.
ववसर्थ संधि
स्वर संधि
दो स्वरों के मेल से होिे वाले ववकार
(पररवर्तथि) को स्वर-संधि कहर्ते हैं। जैसे -
ववद्या + आलय = ववद्यालय।
स्वर-संधि पााँच प्रकार की होर्ती हैं -
दीर्थ संधि
र्ुर्ण संधि
वृद्धि संधि
यर्ण संधि
अयादद संधि
दीर्थ संधि
सूत्र-अक: सवर्णे दीर्थ: अर्ाथर्त् अक् प्रत्याहार के बाद उसका सवर्णथ आये
र्तो दोिो ममलकर दीर्थ बि जार्ते हैं। ह्रस्व या दीर्थ अ, इ, उ के बाद यदद
ह्रस्व या दीर्थ अ, इ, उ आ जाएाँ र्तो दोिों ममलकर दीर्थ आ, ई और ऊ हो
जार्ते हैं। जैसे -
(क) अ/आ + अ/आ = आ
अ + अ = आ --> िमथ + अर्थ = िमाथर्थ / अ + आ = आ --> दहम +
आलय = दहमालय
आ + अ = आ --> ववद्या + अर्ी = ववद्यार्ी / आ + आ = आ -->
ववद्या + आलय = ववद्यालय
(ख) इ और ई की संधि
इ + इ = ई --> रवव + इंद्र = रवींद्र ; मुनि + इंद्र = मुिींद्र
इ + ई = ई --> धर्रर + ईश = धर्रीश ; मुनि + ईश = मुिीश
ई + इ = ई- मही + इंद्र = महींद्र ; िारी + इंदु = िारींदु
ई + ई = ई- िदी + ईश = िदीश ; मही + ईश = महीश .
(र्) उ और ऊ की संधि
उ + उ = ऊ- भािु + उदय = भािूदय ; वविु + उदय = वविूदय
उ + ऊ = ऊ- लर्ु + ऊममथ = लर्ूममथ ; मसिु + ऊममथ = मसंिूममथ
ऊ + उ = ऊ- विू + उत्सव = विूत्सव ; विू + उल्लेख =
विूल्लेख
ऊ + ऊ = ऊ- भू + ऊर्धवथ = भूर्धवथ ; विू + ऊजाथ = विूजाथ
2. र्ुर्ण संधि
इसमें अ, आ के आर्े इ, ई हो र्तो ए ; उ, ऊ हो र्तो ओ र्तर्ा ऋ हो र्तो
अर् हो जार्ता है। इसे र्ुर्ण-संधि कहर्ते हैं। जैसे -
(क) अ + इ = ए ; िर + इंद्र = िरेंद्र
अ + ई = ए ; िर + ईश = िरेश
आ + इ = ए ; महा + इंद्र = महेंद्र
(ख) अ + उ = ओ ; ज्ञाि + उपदेश = ज्ञािोपदेश ;
आ + उ = ओ महा + उत्सव = महोत्सव
अ + ऊ = ओ जल + ऊममथ = जलोममथ ;
(र्) अ + ऋ = अर् देव + ऋवष = देववषथ
(र्) आ + ऋ = अर् महा + ऋवष = महवषथ
 3. वृद्धि संधि
 अ, आ का ए, ऐ से मेल होिे पर ऐ र्तर्ा अ, आ का ओ, औ से मेल होिे पर
औ हो जार्ता है। इसे वृद्धि संधि कहर्ते हैं। जैसे -
 (क) अ + ए = ऐ ; एक + एक = एकै क ;
 अ + ऐ = ऐ मर्त + ऐक्य = मर्तैक्य
 आ + ए = ऐ ; सदा + एव = सदैव
 आ + ऐ = ऐ ; महा + ऐश्वयथ = महैश्वयथ
 (ख) अ + ओ = औ वि + औषधि = विौषधि ; आ + ओ = औ महा +
औषधि = महौषधि ;
 अ + औ = औ परम + औषि = परमौषि ; आ + औ = औ महा + औषि =
महौषि
4. यण संधि
(क) इ, ई के आर्े कोई ववजार्तीय (असमाि) स्वर होिे पर इ ई
को ‘य्’ हो जार्ता है।
(ख) उ, ऊ के आर्े ककसी ववजार्तीय स्वर के आिे पर उ ऊ को
‘व्’ हो जार्ता है।
(र्)‘ऋ’ के आर्े ककसी ववजार्तीय स्वर के आिे पर ऋ को ‘र्’ हो
जार्ता है। इन्हें यर्ण-संधि कहर्ते हैं।
इ + अ = य् + अ; यदद + अवप = यद्यवप
ई + आ = य् + आ ; इनर्त + आदद = इत्यादद।
(र्) उ + अ = व् + अ ; अिु + अय = अन्वय
उ + आ = व् + आ ; सु + आर्र्त = स्वार्र्त
उ + ए = व् + ए; अिु + एषर्ण = अन्वेषर्ण
5. अयादद संधि
ए, ऐ और ओ औ से परे ककसी भी स्वर के होिे पर क्रमशः अय्, आय्, अव् और आव् हो
जार्ता है। इसे अयादद संधि कहर्ते हैं।
(क) ए + अ = अय् + अ ; िे + अि = ियि
(ख) ऐ + अ = आय् + अ ; र्ै + अक = र्ायक
(ग) ओ + अ = अव् + अ ; पो + अि = पवि
(घ) औ + अ = आव् + अ ; पौ + अक = पावक
औ + इ = आव् + इ ; िौ + इक = िाववक
व्यंजि संधि
व्यंजि का व्यंजि से अर्वा ककसी स्वर से मेल होिे पर जो पररवर्तथि
होर्ता है उसे व्यंजि संधि कहर्ते हैं। जैसे-शरर्त् + चंद्र = शरच्चंद्र।
उज्जवल
(क) ककसी वर्थ के पहले वर्णथ क्, च्, ट्, र्त्, प् का मेल ककसी वर्थ के र्तीसरे
अर्वा चौर्े वर्णथ या य्, र्, ल्, व्, ह या ककसी स्वर से हो जाए र्तो क् को
र्् च् को ज ्, ट् को ड् और प् को ब् हो जार्ता है। जैसे -
क् + र् = ग्र् ददक् + र्ज = ददग्र्ज। क् + ई = र्ी वाक + ईश =
वार्ीश
(ख) यदद ककसी वर्थ के पहले वर्णथ (क्, च्, ट्, र्त्, प्) का मेल ि् या म्
वर्णथ से हो र्तो उसके स्र्ाि पर उसी वर्थ का पााँचवााँ वर्णथ हो जार्ता है।
जैसे -
क् + म = ड़् वाक + मय = वाड़्मय च् + ि = ञ् अच् + िाश =
अञ्िाश
(र्) र्त् का मेल र्, र्, द, ि, ब, भ, य, र, व या ककसी स्वर से हो जाए र्तो
द् हो जार्ता है। जैसे -
र्त् + भ = द्भ सर्त् + भाविा = सद्भाविा र्त् + ई = दी जर्र्त् + ईश
= जर्दीश
(र्) र्त् से परे च् या छ् होिे पर च, ज ् या झ् होिे पर ज ्, ट् या ठ् होिे
पर ट्, ड् या ढ् होिे पर ड् और ल होिे पर ल् हो जार्ता है। जैसे -
र्त् + च = च्च उर्त् + चारर्ण = उच्चारर्ण र्त् + ज = ज्ज सर्त् + जि =
सज्जि
र्त् + झ = ज्झ उर्त् + झदटका = उज्झदटका र्त् + ट = ट्ट र्तर्त् +
टीका = र्तट्टीका
(ड़) र्त् का मेल यदद श ् से हो र्तो र्त् को च् और श ् का छ् बि जार्ता
है। जैसे -
र्त् + श ् = च्छ उर्त् + श्वास = उच्छ्वास र्त् + श = च्छ उर्त् + मशष्ट
= उच्च्छष्ट
(च) र्त् का मेल यदद ह् से हो र्तो र्त् का द् और ह् का ि् हो जार्ता है।
जैसे -
र्त् + ह = द्ि उर्त् + हार = उद्िार र्त् + ह = द्ि उर्त् + हरर्ण =
उद्िरर्ण
(छ) स्वर के बाद यदद छ् वर्णथ आ जाए र्तो छ् से पहले च् वर्णथ बढा
ददया जार्ता है। जैसे -
अ + छ = अच्छ स्व + छंद = स्वच्छंद आ + छ = आच्छ आ +
छादि = आच्छादि
(ज) यदद म ् के बाद क् से म ् र्तक कोई व्यंजि हो र्तो म् अिुस्वार में
बदल जार्ता है। जैसे -
म् + च् = ंं ककम् + धचर्त = ककं धचर्त म् + क = ंं ककम् + कर =
ककं कर
(झ) म ् के बाद म का द्ववत्व हो जार्ता है। जैसे -
म् + म = म्म सम ् + मनर्त = सम्मनर्त म् + म = म्म सम् + माि =
सम्माि
(ञ) म् के बाद य्, र्, ल्, व्, श ्, ष्, स्, ह् में से कोई व्यंजि होिे पर म् का
अिुस्वार हो जार्ता है। जैसे -
म् + य = ंं सम ् + योर् = संयोर् म ् + र = ंं सम् + रक्षर्ण =
संरक्षर्ण
(ट) ऋ, र्, ष् से परे ि् का र्ण् हो जार्ता है। परन्र्तु चवर्थ, टवर्थ, र्तवर्थ, श
और स का व्यविाि हो जािे पर ि् का र्ण् िहीं होर्ता। जैसे -
र् + ि = र्ण परर + िाम = पररर्णाम र् + म = र्ण प्र + माि = प्रमार्ण
(ठ) स् से पहले अ, आ से मभन्ि कोई स्वर आ जाए र्तो स् को ष हो
जार्ता है। जैसे -
भ् + स् = ष अमभ + सेक = अमभषेक नि + मसद्ि = निवषद्ि वव +
सम + ववषम
ववसर्थ-संधि
ववसर्थ के बाद स्वर या व्यंजि आिे पर ववसर्थ में जो ववकार होर्ता है
उसे ववसर्थ-संधि कहर्ते हैं। जैसे- मिः + अिुकू ल = मिोिुकू ल
(क) ववसर्थ के पहले यदद ‘अ’ और बाद में भी ‘अ’ अर्वा वर्ों के
र्तीसरे, चौर्े पााँचवें वर्णथ, अर्वा य, र, ल, व हो र्तो ववसर्थ का ओ हो जार्ता
है। जैसे –
मिः + अिुकू ल = मिोिुकू ल ; अिः + र्नर्त = अिोर्नर्त ; मिः + बल
= मिोबल
(ख) ववसर्थ से पहले अ, आ को छोड़कर कोई स्वर हो और बाद में कोई
स्वर हो, वर्थ के र्तीसरे, चौर्े, पााँचवें वर्णथ अर्वा य्, र, ल, व, ह में से कोई
हो र्तो ववसर्थ का र या र् हो जार्ता है। जैसे -
निः + आहार = निराहार ; निः + आशा = निराशा निः + िि = नििथि
(र्) ववसर्थ से पहले कोई स्वर हो और बाद में च, छ या श हो र्तो
ववसर्थ का श हो जार्ता है। जैसे -
निः + चल = निश्चल ; निः + छल = निश्छल ; दुः + शासि =
दुश्शासि
(र्) ववसर्थ के बाद यदद र्त या स हो र्तो ववसर्थ स् बि जार्ता है। जैसे -
िमः + र्ते = िमस्र्ते ; निः + संर्ताि = निस्संर्ताि ; दुः + साहस =
दुस्साहस
(ड़) ववसर्थ से पहले इ, उ और बाद में क, ख, ट, ठ, प, फ में से कोई वर्णथ
हो र्तो ववसर्थ का ष हो जार्ता है। जैसे -
निः + कलंक = निष्कलंक ; चर्तुः + पाद = चर्तुष्पाद ; निः + फल =
निष्फल
(ड) ववसर्थ से पहले अ, आ हो और बाद में कोई मभन्ि स्वर हो र्तो
ववसर्थ का लोप हो जार्ता है। जैसे -
निः + रोर् = निरोर् ; निः + रस = िीरस
(छ) ववसर्थ के बाद क, ख अर्वा प, फ होिे पर ववसर्थ में कोई पररवर्तथि
िहीं होर्ता। जैसे -
अंर्तः + करर्ण = अंर्तःकरर्ण

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Sandhi in Hindi

  • 2. संधि संधि शब्द का अर्थ है 'मेल'। दो निकटवर्ती वर्णों के परस्पर मेल से जो ववकार (पररवर्तथि) होर्ता है वह संधि कहलार्ता है। जैसे - सम् + र्तोष = संर्तोष ; देव + इंद्र = देवेंद्र ; भािु + उदय = भािूदय। संधि के भेद संधि र्तीि प्रकार की होर्ती हैं – 1. स्वर संधि 2. व्यंजि संधि 3. ववसर्थ संधि
  • 3. स्वर संधि दो स्वरों के मेल से होिे वाले ववकार (पररवर्तथि) को स्वर-संधि कहर्ते हैं। जैसे - ववद्या + आलय = ववद्यालय। स्वर-संधि पााँच प्रकार की होर्ती हैं - दीर्थ संधि र्ुर्ण संधि वृद्धि संधि यर्ण संधि अयादद संधि
  • 4. दीर्थ संधि सूत्र-अक: सवर्णे दीर्थ: अर्ाथर्त् अक् प्रत्याहार के बाद उसका सवर्णथ आये र्तो दोिो ममलकर दीर्थ बि जार्ते हैं। ह्रस्व या दीर्थ अ, इ, उ के बाद यदद ह्रस्व या दीर्थ अ, इ, उ आ जाएाँ र्तो दोिों ममलकर दीर्थ आ, ई और ऊ हो जार्ते हैं। जैसे - (क) अ/आ + अ/आ = आ अ + अ = आ --> िमथ + अर्थ = िमाथर्थ / अ + आ = आ --> दहम + आलय = दहमालय आ + अ = आ --> ववद्या + अर्ी = ववद्यार्ी / आ + आ = आ --> ववद्या + आलय = ववद्यालय
  • 5. (ख) इ और ई की संधि इ + इ = ई --> रवव + इंद्र = रवींद्र ; मुनि + इंद्र = मुिींद्र इ + ई = ई --> धर्रर + ईश = धर्रीश ; मुनि + ईश = मुिीश ई + इ = ई- मही + इंद्र = महींद्र ; िारी + इंदु = िारींदु ई + ई = ई- िदी + ईश = िदीश ; मही + ईश = महीश . (र्) उ और ऊ की संधि उ + उ = ऊ- भािु + उदय = भािूदय ; वविु + उदय = वविूदय उ + ऊ = ऊ- लर्ु + ऊममथ = लर्ूममथ ; मसिु + ऊममथ = मसंिूममथ ऊ + उ = ऊ- विू + उत्सव = विूत्सव ; विू + उल्लेख = विूल्लेख ऊ + ऊ = ऊ- भू + ऊर्धवथ = भूर्धवथ ; विू + ऊजाथ = विूजाथ
  • 6. 2. र्ुर्ण संधि इसमें अ, आ के आर्े इ, ई हो र्तो ए ; उ, ऊ हो र्तो ओ र्तर्ा ऋ हो र्तो अर् हो जार्ता है। इसे र्ुर्ण-संधि कहर्ते हैं। जैसे - (क) अ + इ = ए ; िर + इंद्र = िरेंद्र अ + ई = ए ; िर + ईश = िरेश आ + इ = ए ; महा + इंद्र = महेंद्र (ख) अ + उ = ओ ; ज्ञाि + उपदेश = ज्ञािोपदेश ; आ + उ = ओ महा + उत्सव = महोत्सव अ + ऊ = ओ जल + ऊममथ = जलोममथ ; (र्) अ + ऋ = अर् देव + ऋवष = देववषथ (र्) आ + ऋ = अर् महा + ऋवष = महवषथ
  • 7.  3. वृद्धि संधि  अ, आ का ए, ऐ से मेल होिे पर ऐ र्तर्ा अ, आ का ओ, औ से मेल होिे पर औ हो जार्ता है। इसे वृद्धि संधि कहर्ते हैं। जैसे -  (क) अ + ए = ऐ ; एक + एक = एकै क ;  अ + ऐ = ऐ मर्त + ऐक्य = मर्तैक्य  आ + ए = ऐ ; सदा + एव = सदैव  आ + ऐ = ऐ ; महा + ऐश्वयथ = महैश्वयथ  (ख) अ + ओ = औ वि + औषधि = विौषधि ; आ + ओ = औ महा + औषधि = महौषधि ;  अ + औ = औ परम + औषि = परमौषि ; आ + औ = औ महा + औषि = महौषि
  • 8. 4. यण संधि (क) इ, ई के आर्े कोई ववजार्तीय (असमाि) स्वर होिे पर इ ई को ‘य्’ हो जार्ता है। (ख) उ, ऊ के आर्े ककसी ववजार्तीय स्वर के आिे पर उ ऊ को ‘व्’ हो जार्ता है। (र्)‘ऋ’ के आर्े ककसी ववजार्तीय स्वर के आिे पर ऋ को ‘र्’ हो जार्ता है। इन्हें यर्ण-संधि कहर्ते हैं। इ + अ = य् + अ; यदद + अवप = यद्यवप ई + आ = य् + आ ; इनर्त + आदद = इत्यादद। (र्) उ + अ = व् + अ ; अिु + अय = अन्वय उ + आ = व् + आ ; सु + आर्र्त = स्वार्र्त उ + ए = व् + ए; अिु + एषर्ण = अन्वेषर्ण
  • 9. 5. अयादद संधि ए, ऐ और ओ औ से परे ककसी भी स्वर के होिे पर क्रमशः अय्, आय्, अव् और आव् हो जार्ता है। इसे अयादद संधि कहर्ते हैं। (क) ए + अ = अय् + अ ; िे + अि = ियि (ख) ऐ + अ = आय् + अ ; र्ै + अक = र्ायक (ग) ओ + अ = अव् + अ ; पो + अि = पवि (घ) औ + अ = आव् + अ ; पौ + अक = पावक औ + इ = आव् + इ ; िौ + इक = िाववक
  • 10. व्यंजि संधि व्यंजि का व्यंजि से अर्वा ककसी स्वर से मेल होिे पर जो पररवर्तथि होर्ता है उसे व्यंजि संधि कहर्ते हैं। जैसे-शरर्त् + चंद्र = शरच्चंद्र। उज्जवल
  • 11. (क) ककसी वर्थ के पहले वर्णथ क्, च्, ट्, र्त्, प् का मेल ककसी वर्थ के र्तीसरे अर्वा चौर्े वर्णथ या य्, र्, ल्, व्, ह या ककसी स्वर से हो जाए र्तो क् को र्् च् को ज ्, ट् को ड् और प् को ब् हो जार्ता है। जैसे - क् + र् = ग्र् ददक् + र्ज = ददग्र्ज। क् + ई = र्ी वाक + ईश = वार्ीश (ख) यदद ककसी वर्थ के पहले वर्णथ (क्, च्, ट्, र्त्, प्) का मेल ि् या म् वर्णथ से हो र्तो उसके स्र्ाि पर उसी वर्थ का पााँचवााँ वर्णथ हो जार्ता है। जैसे - क् + म = ड़् वाक + मय = वाड़्मय च् + ि = ञ् अच् + िाश = अञ्िाश
  • 12. (र्) र्त् का मेल र्, र्, द, ि, ब, भ, य, र, व या ककसी स्वर से हो जाए र्तो द् हो जार्ता है। जैसे - र्त् + भ = द्भ सर्त् + भाविा = सद्भाविा र्त् + ई = दी जर्र्त् + ईश = जर्दीश (र्) र्त् से परे च् या छ् होिे पर च, ज ् या झ् होिे पर ज ्, ट् या ठ् होिे पर ट्, ड् या ढ् होिे पर ड् और ल होिे पर ल् हो जार्ता है। जैसे - र्त् + च = च्च उर्त् + चारर्ण = उच्चारर्ण र्त् + ज = ज्ज सर्त् + जि = सज्जि र्त् + झ = ज्झ उर्त् + झदटका = उज्झदटका र्त् + ट = ट्ट र्तर्त् + टीका = र्तट्टीका (ड़) र्त् का मेल यदद श ् से हो र्तो र्त् को च् और श ् का छ् बि जार्ता है। जैसे - र्त् + श ् = च्छ उर्त् + श्वास = उच्छ्वास र्त् + श = च्छ उर्त् + मशष्ट = उच्च्छष्ट
  • 13. (च) र्त् का मेल यदद ह् से हो र्तो र्त् का द् और ह् का ि् हो जार्ता है। जैसे - र्त् + ह = द्ि उर्त् + हार = उद्िार र्त् + ह = द्ि उर्त् + हरर्ण = उद्िरर्ण (छ) स्वर के बाद यदद छ् वर्णथ आ जाए र्तो छ् से पहले च् वर्णथ बढा ददया जार्ता है। जैसे - अ + छ = अच्छ स्व + छंद = स्वच्छंद आ + छ = आच्छ आ + छादि = आच्छादि (ज) यदद म ् के बाद क् से म ् र्तक कोई व्यंजि हो र्तो म् अिुस्वार में बदल जार्ता है। जैसे - म् + च् = ंं ककम् + धचर्त = ककं धचर्त म् + क = ंं ककम् + कर = ककं कर (झ) म ् के बाद म का द्ववत्व हो जार्ता है। जैसे - म् + म = म्म सम ् + मनर्त = सम्मनर्त म् + म = म्म सम् + माि = सम्माि
  • 14. (ञ) म् के बाद य्, र्, ल्, व्, श ्, ष्, स्, ह् में से कोई व्यंजि होिे पर म् का अिुस्वार हो जार्ता है। जैसे - म् + य = ंं सम ् + योर् = संयोर् म ् + र = ंं सम् + रक्षर्ण = संरक्षर्ण (ट) ऋ, र्, ष् से परे ि् का र्ण् हो जार्ता है। परन्र्तु चवर्थ, टवर्थ, र्तवर्थ, श और स का व्यविाि हो जािे पर ि् का र्ण् िहीं होर्ता। जैसे - र् + ि = र्ण परर + िाम = पररर्णाम र् + म = र्ण प्र + माि = प्रमार्ण (ठ) स् से पहले अ, आ से मभन्ि कोई स्वर आ जाए र्तो स् को ष हो जार्ता है। जैसे - भ् + स् = ष अमभ + सेक = अमभषेक नि + मसद्ि = निवषद्ि वव + सम + ववषम
  • 15. ववसर्थ-संधि ववसर्थ के बाद स्वर या व्यंजि आिे पर ववसर्थ में जो ववकार होर्ता है उसे ववसर्थ-संधि कहर्ते हैं। जैसे- मिः + अिुकू ल = मिोिुकू ल
  • 16. (क) ववसर्थ के पहले यदद ‘अ’ और बाद में भी ‘अ’ अर्वा वर्ों के र्तीसरे, चौर्े पााँचवें वर्णथ, अर्वा य, र, ल, व हो र्तो ववसर्थ का ओ हो जार्ता है। जैसे – मिः + अिुकू ल = मिोिुकू ल ; अिः + र्नर्त = अिोर्नर्त ; मिः + बल = मिोबल (ख) ववसर्थ से पहले अ, आ को छोड़कर कोई स्वर हो और बाद में कोई स्वर हो, वर्थ के र्तीसरे, चौर्े, पााँचवें वर्णथ अर्वा य्, र, ल, व, ह में से कोई हो र्तो ववसर्थ का र या र् हो जार्ता है। जैसे - निः + आहार = निराहार ; निः + आशा = निराशा निः + िि = नििथि (र्) ववसर्थ से पहले कोई स्वर हो और बाद में च, छ या श हो र्तो ववसर्थ का श हो जार्ता है। जैसे - निः + चल = निश्चल ; निः + छल = निश्छल ; दुः + शासि = दुश्शासि
  • 17. (र्) ववसर्थ के बाद यदद र्त या स हो र्तो ववसर्थ स् बि जार्ता है। जैसे - िमः + र्ते = िमस्र्ते ; निः + संर्ताि = निस्संर्ताि ; दुः + साहस = दुस्साहस (ड़) ववसर्थ से पहले इ, उ और बाद में क, ख, ट, ठ, प, फ में से कोई वर्णथ हो र्तो ववसर्थ का ष हो जार्ता है। जैसे - निः + कलंक = निष्कलंक ; चर्तुः + पाद = चर्तुष्पाद ; निः + फल = निष्फल (ड) ववसर्थ से पहले अ, आ हो और बाद में कोई मभन्ि स्वर हो र्तो ववसर्थ का लोप हो जार्ता है। जैसे - निः + रोर् = निरोर् ; निः + रस = िीरस (छ) ववसर्थ के बाद क, ख अर्वा प, फ होिे पर ववसर्थ में कोई पररवर्तथि िहीं होर्ता। जैसे - अंर्तः + करर्ण = अंर्तःकरर्ण