1. अमे रक कां ेस
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यह साम ी वशेष प से श ण और सीखने को बढ़ाने के शै णक उ दे य के लए है। आ थक / वा णि यक अथवा
कसी अ य उ दे य के लए इसका उपयोग पूणत: तबंध है। साम ी के उपयोगकता इसे कसी और के साथ वत रत,
सा रत या साझा नह ं करगे और इसका उपयोग यि तगत ान क उ न त के लए ह करगे। इस ई - कं टट म जो
जानकार क गई है वह ामा णक है और मेरे ान के अनुसार सव म है।
वारा - डॉ टर ममता उपा याय
एसो सएट ोफे सर, राजनी त व ान
कु मार मायावती राजक य म हला नातको र महा व यालय ,
बादलपुर , गौतम बुध नगर, उ र देश
2. उ दे य- तुत ई - साम ी से न नां कत उ दे य क ाि त संभा वत है-
● अमे रका क संघीय यव था पका के गठन क जानकार
● अमे रक कां ेस के दोन सदन के अ धकार क तुलना मक ि थ त के व लेषण का
ान
● शि त पृथ करण क यव था के अंतगत संघीय वधा यका क नयं ण कार शि त का
ान
● अमे रका क अ य ा मक शासन यव था के अंतगत यव था पका क वतं ि थ त
एवं मह व का ान
● अ य देश क यव था पकाओं वशेषकर संसद य वधाईकाओं के गठन एवं
अ धकार संबंधी तुलना मक व लेषण क मता का वकास
संयु त रा य अमे रका क संघीय यव था पका को कां ेस के नाम से जाना जाता है
िजसके दो सदन है- त न ध सभा और सीनेट। त न ध सभा थम कं तु न न सदन
है और सीनेट वतीय एवं उ च सदन है। जॉन लॉक के उदारवाद वचार से भा वत
अमे रक सं वधान नमाताओं अमे रका म एक सी मत सरकार क थापना करते हुए
शि त पृथ करण के स धांत को अपनाया, िजसके अंतगत शासन के तीन काय को तीन
पृथक अंग के म य वभािजत कया गया और येक अंग को अपने े म सव च एवं
वतं बनाया गया। टश संसद क सं भुता के स धांत को ना अपनाने के बावजूद
अमे रक कां ेस वहां क राजनी तक यव था म क य भू मका नभाती है। संघ सरकार
क शि तय के अ य धक व तार के साथ- साथ कां ेस भी शि तशाल बनी है और
उसके नणय न के वल अमे रका के घरेलू मामल को भा वत करते ह बि क अंतरा य
े म भी मह वपूण भाव डालते ह। अमे रक सं वधान के अनु छेद 1 के अनुसार
संघीय वधा यका के प म कां ेस क थापना क गई है और उसे मह वपूण वधाई
अ धकार स पे गए ह।कां ेस का कायालय वॉ शंगटन डी .सी .म कै पटल ह स म
अवि थत है।
3. त न ध सभा
त न ध सभा अमे रक कां ेस का थम एवं लोक य सदन है जहां जनता क इ छा
य प म अ भ य त होती है। मुनरो के अनुसार, “ त न ध सदन क थापना एक
प र कृ त ढंग के लोक सदन के प म क गई थी। रा य सरकार म जनता क राय का
य ब ब उपि थत करना उसक थापना का उ दे य है।’’सं वधान के 17व
संशोधन- 1913 से पहले तक के वल त न ध सभा ह जनता वारा य प से चुनी
जाती थी, सीनेट के सद य का चुनाव रा य क वधानसभाओं के वारा कया जाता था।
गठन-
● सद य सं या-
त न ध सभा का गठन जनसं या के आधार पर होता है। इसक सद य सं या
रा य क जनसं या पर आधा रत है। व भ न रा य से सद य क सं या का
नधारण कां ेस के वारा कया जाता है और शत यह रहती है क येक रा य से
कम से कम एक सद य अव य होना चा हए। 1789 म था पत थम त न ध
सदन म 65 सद य ह थे। जनसं या वृ ध के साथ इसक सद य सं या म
वृ ध होती गई। 1941 म पा रत एक कानून के वारा इसक सद य सं या थाई
प से 435 नि चत कर द गई है। छः अ य सद य कोलं बया और कु छ अ य
मह वपूण िजल के वारा चुने जाते ह।
● सद य के लए यो यताएं-
1. कम से कम 7 वष से अमे रका का नाग रक होना
2. 25 वष क आयु का होना
4. 3. उस रा य का नाग रक और नवासी होना जहां का त न ध व करना
चाहता है। कानूनी आधार पर रा य से बाहर का भी कोई यि त चुना जा
सकता है ‘ िजसे झोल वाला भखार ’[carpet Beggar]कहा जाता है
य क वह थानीय लोग के व ध चुनाव म उतरता है और इस लए
उनके कोप का भाजन बनता है।
● नवाचन- सं वधान के अनु छेद 1 के अनुसार कां ेस के सद य के चुनाव के
लए समय, थान और व ध के नधारण का अ धकार कां ेस को दान कया
गया है। कां ेस वारा नधा रत व ध के अनुसार त न ध सभा के सद य का
चुनाव अमे रका के वय क मतदाताओं के वारा ‘ एकल सद य चुनाव े ’ एवं
सामा य बहुमत णाल के आधार पर कया जाता है। अमे रका म नवाचन े
को नवाचन िजला कहा जाता है येक जनगणना के बाद यथासंभव कां ेस
येक रा य के लए त न धय क सं या नि चत कर देती है औररा य को
इस बात क वतं ता है क वे जैसे भी चाहे िजल का सीमांकन कर दे। रा य
वधान मंडल वारा िजल का सीमांकन करते समय दल य वाथ को यान म
रखा जाता है। यह एक बुराई है, िजसे ‘गेर मांड रंग’कहते ह। स ाधार दल इस
बात का यास करता है क उसके समथक व भ न िजल म इस तरह फै ल जाए
ता क चुनावी वजय उनके लए आसान हो जाए, जब क वप ी दल के समथक
कु छ िजल तक क त हो जाएं ता क उ ह कम से कम सीट ा त हो।
● कायकाल- त न ध सभा के सद य 2 वष के लए चुने जाते ह। नवंबर के चुनाव
के बाद 3 जनवर से उनका कायकाल ारंभ होता है। 2 वष से पूव इसे भंग नह ं
कया जा सकता और न ह इसका कायकाल बढ़ाया जा सकता है। कायकाल 2 वष
रखने के पीछे सं वधान नमाताओं क मा यता यह थी क सद य अपने े क
जनता से नकट संपक बनाए रख और स चे अथ म एक त न ध सरकार क
थापना हो सके । हालां क आलोचक यह मानते ह
5. क 2 वष का समय बहुत कम होता है और नव नवा चत त न ध के लए अपने
काय को समझने म ह बहुत समय लग जाता है।
● वशेषा धकार एवं उ मुि तयाँ -
1. सदन के सद य को भाषण क पूण वतं ता होती है और उनके वारा सदन म
दए गए भाषण के लए उ ह कारावास दंड नह ं दया जा सकता और न ह उ ह
बंद बनाया जा सकता है।
2. कसी सद य को कसी मामले म गवाह देने के लए ववश नह ं कया जा
सकता है।
3. सदन के सद य को अनुशा सत रखने का अ धकार वयं सदन को ा त है।
अ य के वारा यव था बनाए रखने के लए उ ह नदश दया जा सकता है और
सदन वारा नयु त स म त क जांच के आधार पर उ ह दं डत भी कया जा
सकता है।
● स एवं गणपू त -
1933 म हुए 20 वे संशोधन के अनुसार येक वष 3 जनवर को त न ध सदन का
स सेनेट के साथ ारंभ होता है। 1 वष म एक ह स होता है जो लगभग 6 मह ने तक
चलता है। रा प त आव यकता पड़ने पर वशेष स बुला सकता है। कोई भी स तभी
वैध माना जाता है जब उसके सद य का बहुमत उपि थत हो अथात त न ध सदन क
गणपू त 50% से अ धक सद य क उपि थ त है। त न ध सदन क अ य ता एक
अ य के वारा क जाती है िजसका चुनाव सदन के सद य के वारा ह अपने म से
कया जाता है। टश पीकर के समान त न ध सभा का अ य दल य ि ट से
न प नह ं होता, कं तु पद क संवैधा नक यव था म रा प त और उपरा प त के
बाद उसका तीसरा थान है। कसी कारण से रा प त और उपरा प त का पद र त होने
पर पीकर रा प त बन जाता है। सदन क कायवाह को संचा लत करने और
अनुशासन यव था बनाए रखने का दा य व उसी का है। सदन व भ न थाई और
अ थाई स म तय के मा यम से काय करता है।
अ धकार एवं शि तयां-
6. एक सदन के प म त न ध सभा क शि तय पर पृथक प से वचार करने पर हम
यह पाते ह क यह न के वल दु नया के अ य थम सदन क तुलना म एक कमजोर सदन
है, बि क वयं अमे रका क संघीय यव था पका के दूसरे सदन सीनेट के मुकाबले म भी
कमजोर सं था है। इस क शि तय क ववेचना न नवत है-
● वधाई शि तयां-
अमे रक सं वधान के अनुसार कां ेस को सभी संघीय वषय पर कानून नमाण का
अ धकार ा त है और कानून नमाण के संबंध म कां ेस के दोन सदन को समान
अ धकार ा त है । कोई भी वधेयक जब तक दोन सदन से पा रत नह ं हो जाता,
कानून नह ं बन सकता।
● सं वधान संशोधन क शि त-
अमे रक कां ेस के दोन सदन के वारा अपने दो तहाई बहुमत से ताव पा रत कर
सं वधान म संशोधन ता वत करने का काय कया जाता है। संवैधा नक संशोधन तब
संभव होता है जब कां ेस वारा पा रत संशोधन ताव को आधे से अ धक रा य क
वधान सभाओं क वीकृ त मल जाती है।
● व ीय अ धकार-
व ीय ि ट से त न ध सभा क ि थ त सीनेट क तुलना म ाथ मक तौर पर उ च हो
जाती है य क कोई भी व वधेयक पहले त न ध सभा म ह ता वत कया जा
सकता है, सीनेट म नह ं। कं तु सीनेट को व ीय ताव म संशोधन का पूरा अ धकार
है।वा षक बजट बजट यूरो के वारा रा प त के नदशन म तैयार कया जाता है, ले कन
बजट कां ेस के वारा ह पा रत कया जाता है। अपनी इस शि त के आधार पर कॉ ेस
कायपा लका के काय संचालन को भा वत कर सकती है।
● रा प त के नवाचन का अ धकार-
अमे रक रा प त का चुनाव एक नवाचक मंडल के वारा कया जाता
है कं तु य द कसी उ मीदवार को नवाचक मंडल का बहुमत ा त नह ं
7. होता, तो थम तीन उ मीद वार मे से रा प त का चुनाव त न ध
सभा के वारा कया जाता है।
● काय पा लका संबंधी शि तयां-
त न ध सभा सीनेट के साथ मलकर यु ध क घोषणा करती है। साथ ह
वह अपनी थाई तथा वशेष स म तय के वारा संघीय सरकार के शासन
तथा संघीय यायपा लका के काय क जांच कर सकती है।
● या यक शि तयां -
त न ध सभा रा प त उपरा प त और अ य संघीय अ धका रय के
व ध महा भयोग का ताव ता वत करती है िजसे सीनेट वारा
नि चत या के आधार पर वीकार कर लए जाने पर संबं धत
अ धकार पद युत हो जाता है।
● अ य शि तयां-
त न ध सभा अपने सद य के व ध अनुशासना मक कायवाह कर
सकती है और ऐसे कसी यि त को दं डत कर सकती है िजससे सदन क
कायवाह म बाधा पहुंचती हो। उसे अपनी काय णाल के वषय म वयं
नयम बनाने का अ धकार है। वह अपने सद य क यो यताएं नधा रत
कर सकती है और उनके चुनाव संबंधी ववाद का नणय कर सकती है।
सदन वारा दो तहाई बहुमत से कसी यि त को दोषी ठहराये जाने पर
उसक सद यता समा त हो जाती है।
प ट है क त न ध सभा शि तय क ि ट से न के वल सीनेट क तुलना म
कमजोर सदन है, बि क दु नया के सभी वधान मंडल के थम सदन क तुलना
म कमजोर है। भारत, टेन, कनाडा, जापान, ि व जरलड, पूव सो वयत संघ आ द देश
क यव था पकाओं के थम सदन क तुलना म यह बहुत नबल है। टेन म तो
संसद क भुता यवहार म थम सदन क भुता बन गई है और भारत म भी संसद का
8. ता पय लोकसभा हो गया है। ि व जरलड म य य प सं वधान के वारा दोन सदन को
समान शि तयां दान क गई है, ले कन यवहार म थम सदन दूसरे सदन से अ धक
शि तशाल बन गया है। अतः ला क के श द म कहा जा सकता है क ‘’ त न ध सभा
उन काय को करने म, जो उससे अपे त है, नतांत असफल रह है ।’’ त न ध सभा
क दुबलता के लए अमे रका क अ य ा मक यव था, व ीय े म थम सदन को
एका धकार ा त न होना, कानून- नमाण म दूसरे सदन को बराबर का मह व, सीनेट क
वशेष कायपा लका शि तयां, त न ध सभा का छोटा कायकाल,उसका वशाल आकार
आ द कारण उ रदाई है।
सीनेट
गठन-
सीनेट अमे रक कां ेस का दूसरा सदन है, जो अमे रका क संघीय यव था म संघ क
इकाइय का त न ध व करती है । अमे रक संघ म शा मल येक रा य को 2
त न ध चुनकर सीनेट म भेजने का अ धकार है और इस अ धकार से कसी भी रा य को
उसके इ छा के बना वं चत नह ं कया जा सकता। सं वधान के अनु छेद 5 म कहा गया
है क “ कसी रा य को उसक सहम त के बना सीनेट म त न ध व क समानता से
वं चत नह ं कया जा सकता।” इकाइय को यह
त न ध व समानता के स धांत के आधार पर दया गया है। कोई रा य चाहे कतना
ह छोटा या बड़ा हो, उसे 2 त न ध सीनेट के लए चुनने का अ धकार है। जब अमे रक
संघ का गठन हुआ था उस समय 13 रा य अमे रक संघ म शा मल थे, इस लए सीनेट
9. क सद य सं या के वल 26 थी। अब अमे रक संघ म 50 रा य शा मल है और सीनेट क
सद य सं या 100 है।
● सद य के लए यो यताएं -सीनेट का सद य बनने के लए न नां कत यो यताएं
रखी गई है-
1. कम से कम 30 वष क आयु का होना
2. उस रा य का नवासी होना िजसका त न ध व सीनेट म करना चाहता है।
3. कम से कम 9 वष से संयु त रा य अमे रका का नाग रक एवं नवासी हो।
● सद य का चुनाव-
दु नया के अ य देश के समान अमे रका म भी ारंभ म दूसरे सदन का नवाचन
अ य ढंग से होता था और रा य के वधान मंडल सीनेट के सद य को
नवा चत करके भेजते थे, कं तु कालांतर म इस यव था म कई दोष उ प न हो
गए। रा य क वधान सभाओं के सद य म आपसी झगड़े और मतभेद इतने बढ़
गए क कई बार वे कसी भी सद य को सीनेट के लए नह ं चुन सके । इन
ि थ तय म 1913 म सं वधान म 17 वाँ संशोधन कया गया िजसके मा यम से
सीनेट के सद य का य प से जनता वारा नवाचन होने लगा। य
नवाचन के कारण ह सीनेट का मह व बढ़ गया है और अब यह जनता क वैसी ह
त न ध बन गई है, जैसी त न ध सभा है।
● कायकाल-
सीनेट एक थाई सदन है िजसके सद य 6 वष क अव ध के लए नवा चत कए
जाते ह। त 2 वष बाद एक तहाई सद य अवकाश हण करते ह और उनके
थान पर उतने ह नए सद य नवा चत होते ह। सद य के नवाचन पर कोई
तबंध नह ं है, इस लए कई सद य लंबे समय तक सदन के सद य बने रहते ह।
10. ● गणपू त एवं अ धवेशन- सीनेट क बैठक के लए कु ल सद य के बहुमत क
उपि थ त आव यक है। 1933 म पा रत सं वधान के 20 व संशोधन के अनुसार
सीनेट का अ धवेशन 3 जनवर को त न ध सभा के साथ ह ारंभ होता है और
तब तक चलता रहता है जब तक दोन सदन अ धवेशन समाि त के लए ताव
पा रत न कर द। य द अ धवेशन थगन के वषय म दोन सदन म मतभेद क
ि थ त बनती है जो रा प त थगन क त थ नि चत करता है।
● पदा धकार -
अमे रका का उपरा प त सीनेट का पदेन सभाप त होता है। उपरा प त सीनेट का
सद य नह ं होता और उसके वारा सीनेट क कायवाह का संचालन पूर
न प ता के साथ कया जाता है। वह सदन म मतदान म भाग नह ं लेता है,
क तु कसी वषय पर प और वप म बराबर मत पड़ने पर नणायक मत का
योग करता है। सीनेट के सद य अमे रक राजनी त के व र ठ सद य होते ह
तथा सीनेट क कायवाह के सु नि चत नयम है, अतः ऐसे अवसर सामा यतः नह ं
आते ह क सभाप त को यव था था पत करने के लए अपनी शि तय का
योग करना पड़े। सीनेट को अपना एक साम यक अ य भी चुनने का अ धकार
होता है जो बहुमत दल का मनोनीत सद य होता है। सीनेट के सभाप त और
उपसभाप त क अनुपि थ त म यह सदन क बैठक क अ य ता करता है।
● फल ब टर -
सीनेट क कायवाह का एक दोष फल ब टर है। सीनेट के सद य को मनचाहे
समय तक बोलने क वतं ता है िजस पर के वल इतना ह तबंध है क कोई
सद य 1 दन म एक ह वषय पर 2 से अ धक बार नह ं बोल सकता। संशोधन
पर बोलने म यह तबंध भी नह ं होता। सद य को यह अ धकार इस लए दया
गया था ता क कसी वषय पर पूण वाद - ववाद हो सके और वधेयक म न हत
क मय को दूर कया जा सके , कं तु बाद म सद य के वारा इसका दु पयोग
11. कया जाने लगा और वे इसका योग सरकार कामकाज म कावट डालने क
ि ट से करने लगे । उनके वारा ऐसे लंबे लंबे भाषण दए जाने लगे जो
वचाराधीन वषय से ब कु ल भी संबं धत नह ं थे। सदन क कायवाह म कावट
डालने क ि ट से अनाव यक प से कए जा रहे वाद- ववाद को ह ‘ फल ब टर’
कहा जाता है । 1917 से 1937 तक के काल म इस बुराई को भीषण प से देखा
गया। 1937 म द ण के 20 सेनेटर ने मलकर “एंट लं चंग वधेयक”के
व ध फल ब टर का योग कया गया और डेढ़ मह ने तक सीनेट कोई काय
नह ं कर पाई। 1917 म समापन नयम बनाया गया िजसे 1949 म संशो धत करते
हुए यह नयम बना दया गया य द कु ल सं या के दो तहाई सद य वाद- ववाद
बंद करने के लए ताव पा रत कर द तो वाद- ववाद समा त हो जाएगा। क तु
दो- तहाई बहुमत क ाि त क ठन होती है इस लए बाद म भी फल ब टर क
वृ को अपनाया जाता रहा। 1953 म सीनेटर मौ रस ने 22 घंटे 6 मनट तक
भाषण देकर इसी वृ को अपनाया।
सीनेट क शि तयां एवं काय
एक वधाई सदन के प म अमे रक राजनी तक यव था म सीनेट क ि थ त
मूलतःएक नयं ण एवं संतुलन कार सं था क है । जैसा क पाटर ने लखा है क
“मूलतः इसे इस ि ट से बनाया गया था क छोटे रा य के हत क र ा के लए यह
परामश देने वाल स म त के प म काय कर और लोक यता के आधार पर ग ठत
त न ध सदन के ज दबाजी म लए गए नणय पर अंकु श रख सके । साथ ह अमे रका
क अ य ा मक यव था म रा प त क शि तय पर अंकु श लगाने का काय भी इसे ह
स पा गया ता क वह नरंकु श न बन सके । ाइस के श द म, ‘’ सीनेट शासन म
गु वाकषण का क है । एक ओर तो वह त न ध सभा क लोकतं ा मक असावधानी
और धृ टता पर तथा दूसर और रा प त क राजनी तक मह वाकां ाओं पर रोक
12. लगाने वाल एक स ा है । सीनेट क शि तय क ववेचना न नां कत प म क जा
सकती है-
वधाई शि तयां-
एक वधाई सं था के प म सीनेट के वारा कानून- नमाण क या म मह वपूण
भू मका का नवाह कया जाता है।आमतौर पर व भ न जातां क देश म वधा यका के
दूसरे सदन क ि थ त कानून नमाण के े म गौड़ होती है और थम सदन को
मह वपूण भू मका ा त होती है। अमे रक सीनेट के साथ ऐसा नह ं है और जैसा क
मुनरो ने लखा है क “ यह कां ेस क समान पद शाखा है, अधीन नह ं है और न न
सदन के साथ रा य कानून- नमाण के काय म साझीदार है।’’
साधारण और सं वधान संशोधन संबंधी कोई भी वधेयक तभी कानून का प ले सकता है,
जब दोन सदन के वारा पा रत कर दया जाए । उ लेखनीय है क टश लॉड सभा
और भारतीय रा य सभा दोन क ि थ त कानून नमाण क शि तय क ि ट से
कमजोर है य क ये कानून- नमाण के काय म के वल वलंब ह कर सकते ह, इससे
यादा कु छ नह ं । य द कसी वधेयक पर त न ध सभा और सीनेट के म य मतभेद क
ि थ त उ प न होती है ऐसी ि थ त म सं वधान
‘’ स मेलन स म त’’ का ावधान करता है िजसम दोन सदन के बराबर सं या म
सद य सि म लत होते ह और यह स म त दोन सदन म समझौता कराने का यास
करती है। यवहार म सीनेट के सद य अ धक यो य, अनुभवी और कु शल होते ह,
अतः समझौता बहुत कु छ सीनेट क इ छा अनुसार ह संप न होता है। इस कार कानून
नमाण के े म सीनेट के अ धकार नणायक हो गए ह और त न ध सभा पीछे छू ट
गई है।
● व ीय अ धकार-
व के े म सं वधान ाथ मक तौर पर त न ध सभा को कु छ उ च ि थ त दान
करता है य क सं वधान के अनुसार व वधेयक क तु त त न ध सभा म ह हो
सकती है, सीनेट म नह ं , कं तु सीनेट को व वधेयक म संशोधन का पूण अ धकार है
और बना उसक वीकृ त के व वधेयक पा रत नह ं हो सकता। सीनेट अपने संशोधन
13. के अ धकार का योग करते हुए कभी-कभी तो व वधेयक के शीषक के अ त र त सब
कु छ प रव तत कर देती है । प ट है क इस संबंध म सीनेट क ि थ त स धांत के प
म ह गौड़ है, यवहार म नह ं। भारत और टेन म तो ि थ त यह है क एक नि चत
अव ध के बाद थम सदन दूसरे सदन क वीकृ त के बना ह व वधेयक को कानून
का प दे देता है।
कायपा लका संबंधी शि तयां-
कायपा लका संबंधी शि तय क ि ट से भी सीनेट त न ध सभा के
मुकाबले बहुत यादा शि तशाल है। इन शि तय के मा यम से वह कायपा लका को
नयं त करती है। ये शि तयां तीन कार क है-
1. सीनेट रा प त वारा व भ न मह वपूण पद पर क गई नयुि तय को पुि ट दान
करने का काय करती है । रा प त दो कार क नयुि तयां करता है। थम कार के
अंतगत वह उन पद पर नयुि तयां करता है, िजनका संबंध पूरे रा से होता है। जैसे-
राजदूत, मं मंडल के सद य, सव च यायालय के यायाधीश और सै य अ धकार ।
दूसरे कार क नयुि तयां उन संघीय अ धका रय क होती है जो कसी रा य म क
जाती है। जैसे -संघीय िजला यायाधीश, िजला यायवाद आ द। यह नयुि तयां तभी
वैध मानी जाती है, जब सीनेट अपने साधारण बहुमत से उ ह वीकृ त दान कर देती है।
इस संबंध म अमे रका म ‘सीनेट य श टाचार’ च लत
है िजसके अनुसार रा प त कसी रा य म नयुि तयां करने से पहले उस रा य के
व र ठ सीनेटर से परामश लेता है । 1938 म रा प त जवे ट ने वज नया म एक
संघीय यायाधीश क नयुि त वहां के सीनेटर क सलाह के बना ह कर द थी,
प रणामतः सीनेट ने 72 के व ध 6 के मत से इस नयुि त को र द कर दया।
2. सीनेट का दूसरा मह वपूण काय पा लका संबंधी अ धकार सं धय को पुि ट दान
करने के संबंध म है। रा प त वारा वदेश से क गई सं धयाँ तभी वैध मानी जाती है ,
जब सीनेट अपने दो तहाई बहुमत से उ ह वीकृ त दान करती है। इस अ धकार के
मा यम से वह वैदे शक संबंध के संचालन को नयं त करती है। सीनेट वारा ‘ वसाय
14. क सं ध’ क अ वीकृ त व व स ध है। हालां क कई बार यह कहा जाता है क सं धय
के थान पर शास नक समझौत क था के कारण सीनेट क इस शि त का मह व
कम हो गया है, कं तु वा त वकता यह है क शास नक समझौत का योग सी मत प
म ह कया जा सकता है और इस कार जैसा क ला क का कहना है,” अंतररा य
मामल म भाव रखने क ि ट से व व का कोई भी वधाई सदन सीनेट का मुकाबला
नह ं कर सकता।’’
3. सीनेट क तीसर मह वपूण कायकार शि त यु ध क घोषणा के वषय म है।
सं वधान के अनुसार यु ध क घोषणा कां ेस के वारा ह क जा सकती है। इस शि त का
योग सीनेट के वारा त न ध सभा के साथ मलकर कया जाता है।
● अ वेषण क शि त-
सीनेट क एक अ य मह वपूण शि त अ वेषण के संबंध म है। सं वधान ने उसे
वधायी काय के संबंध म अ वेषण क शि त दान क थी, कई बार अपनी शि त
का योग करते हुए सीनेट ने शास नक वभाग के काय क जांच भी क है और
शास नक टाचार सामने आया है। रा प त हा डगज के समय ‘तेल ष यं ’
सीनेट क जांच के फल व प ह काश म आया रा प त न सन के कायकाल म
‘वॉटरगेट कांड’ के स य को काश म लाने के लए सीनेटर जे स इर वन क
अ य ता म सीनेट क या यक स म त ने जांच काय कया,िजसने वाइट हाउस
एवं रा प त को हला कर रख दया।
● या यक शि त-
या यक े म सीनेट को महा भयोग ताव क जांच का अ धकार ा त है।
त न ध सभा वारा रा प त, उपरा प त, सै य अ धका रय तथा यायाधीश
पर देश ोह, टाचार, सं वधान का उ लंघन एवं अ य गंभीर अपराध के लए
महा भयोग लगाया जा सकता है िजसक सुनवाई सीनेट म होती है और वह उस
पर नणय देती है। महा भयोग क सुनवाई करते समय सीनेट या यक या-
जैसे आदेश जार करना, गवाह को बुलाना और उ ह शपथ दलाना, का अनुसरण
करती है और महा भयोग ताव क जांच के समय सव च यायालय का मु य
15. यायाधीश सीनेट क अ य ता करता है। महा भयोग ताव पा रत होने के
लए दो तहाई बहुमत क आव यकता होती है। अभी तक सीनेट के वारा कु ल 12
बार महा भयोग ताव क जांच क गई और चार बार महा भयोग ताव पा रत
कया गया।1868 मे रा प त एं यू जॉनसन पर महा भयोग लगाया गया, कं तु
असफल हुआ । ाइस ने महा भयोग को ‘कां ेस के श ागार का सबसे भार
श ’ कहा है।
● नवाचन संबंधी अ धकार-
सीनेट को रा प त के चुनाव म मतगणना करने और चुनाव प रणाम क घोषणा
करने का अ धकार ा त है। वशेष प रि थ तय म वह उपरा प त का नवाचन भी
करती है। य द उपरा प त के नवाचन म कसी भी उ मीदवार को नवाचक मंडल का
बहुमत ा त नह ं होता है तो उसी ने सवा धक मत ा त करने वाले थम 2 उ मीदवार
म से कसी एक को उपरा प त नवा चत कर सकती है। उसे अपने सद य के नवाचन
और उनक यो यता के वषय म उठाए गए न के नणय का अ धकार भी ा त है।
उपयु त ववेचन से प ट है क सीनेट अमे रक कां ेस का वतीय सदन होने के
बावजूद शि तय क ि ट से त न ध सभा से अ धक शि तशाल है। दु नया के अ य
वधान मंडल से इसक तुलना करने पर यह व व का सवा धक शि तशाल वतीय
सदन स ध होता है।
आलोचना-
अनुज कोल सीनेट क कई आधार पर आलोचना क है। ो. ला क ने सीनेट क
न नां कत ु टय का उ लेख कया है।
● फल ब टर क था के कारण सीनेट बहुत समय बबाद करती है।
● नयुि तय के संबंध म च लत ‘ सीनेट य श टाचार’ क यव था ट
राजनी त क ज म दा ी बन गई है। सीनेट के सद य अपने राजनी तक वाथ को
यान म रखते हुए अपने ह राजनी तक समथक और म को उ च पद पर
नयु त करवा देते ह, िजसे यो यता एवं गुण क उपे ा होती है।
16. ● सीनेट शास नक काय के लए उ रदाई नह ं है, अतः उसक शास नक शि तय
का कोई औ च य स ध नह ं होता।
● सीनेट क जांच संबंधी कायवाह राजनी तक दल बंद से भा वत होती है िजससे
रा य हत क उपे ा होती है।
● अमे रक संघ क इकाइय म जनसं या क ि ट से बहुत बड़ा भेद है, कं तु सेनेट
म सभी रा य को समानता के आधार पर त न ध व दया गया है , जनतं के
लए आव यक समु चत त न ध व नह ं हो पाता।
● सीनेट के सद य कई बार अहम के वशीभूत होकर रा प त का अनाव यक वरोध
करते ह और उससे नीचा दखाने का य न करते ह। भी कभी रा य संकट के
समय म भी सीनेट क यह वृ बनी रहती है िजससे रा य हत को नुकसान
पहुंचता है।
इन आलोचनाओं के बावजूद सीनेट व व के े ठतम राजनी तक सं थाओं म से
एक है। ो . ला क ने उ चत ह लखा है क “ सीनेट अमे रक शासन णाल क
अ वतीय सफलताओं म से एक है।’’रोजस ने इसे ‘आधु नक राजनी त का सबसे
मह वपूण आ व कार’ कहां है। अमे रका के लोग सीनेट को ‘ राजनी त एवं संत
का ओलं पयन नवास थान’ कहते ह। लॉड ाइस, लैड टन और रॉक वेल आ द
ने भी सीनेट क बड़ी शंसा क है।
वा त वक सीनेट क मह ा अमे रक राजनी त म कई कारण से है, इनम से कु छ
मुख इस कार ह।
● अमे रक सं वधान नमाताओं ने सीनेट क थापना एक संतुलन कार
सं था के प म क है जो रा प त क नरंकु शता एवं त न ध सभा के
लोकतां क असावधानी को नयं त कर सके । यह कारण है सं वधान के
थम अनु छेद म जहां पर यव था पका का उ लेख है, सीनेट का नाम
पहले लखा गया है। मुनरो के अनुसार,” सं वधान नमाताओं म से
अ धकांश सीनेट को संघीय यव था क र ढ़ क ह डी क ि ट से देखते
थे।’’
17. ● सीनेट को रा प त वारा क गई नयुि तय और सं धय क पुि ट का जो
वशेष अ धकार दया गया है उसके कारण भी उसक ि थ त मह वपूण बन
गई है। यह अ धकार त न ध सभा को ा त नह ं है।
● सीनेट के य नवाचन ने भी उसे जातं का तीक बना दया है।
● अमे रका म मं मंडला मक या संसद य शासन का अभाव होने के कारण
भी त न ध सभा क ि थ त कमजोर हुई है। य द वह भी टेन के समान
संसद य यव था होती तो कायपा लका थम सदन के त उ रदाई होती
और यह त य ह त न ध सभा को सीनेट के मुकाबले शि तशाल
बनाने के लए पया त होता । अमे रका म अ य ा मक शासन यव था
होने के कारण त न ध सभा को कायपा लका पर नयं ण क कोई शि त
ा त नह ं है इसके कारण वाभा वक प से सीनेट अ धक शि तशाल
हो गई है।
● सेनेट का था य व और इसके सद य का अनुभव भी इसे शि तशाल
बनाने म सहायक स ध हुआ है। इस संबंध म लॉड ाइस का कहना है क “
इसका लघु आकार यो य तथा होनहार यि तय को यो यता द शत करने
का अवसर दान करता है तथा तभा एवं चातुय वाले
यि तय को अपना परा म दखाने तथा रा के एक कोने से दूसरे कोने
तक स ध ा त करने का अवसर देता है।’’
References And Suggested Reading
● www.ipu.org
● Whitehouse.gov
● www.britannica.com
● www.senate.gov
● C. F. Strong,Modern Political Constitutions
18. ● Om Prakash Gauba,Tulanatmak Rajneeti Ki
Rooprekha
● W. b. Munro,The Government Of United States
न-
नबंधा मक-
1. अमे रक कां ेस कायपा लका और यायपा लका से वतं
है, ववेचना क िजए.
2. अमे रका क कां ेस के गठन और उसके अ धकार का
मू यांकन क िजए.
3. त न ध सभा दु नया का सवा धक कमजोर थम सदन है,
ववेचना क िजए.
4. अमे रक सीनेट को व व का सवा धक शि तशाल वतीय
सदन य कहा जाता है. उसक शि तय क ववेचना करते
हुए बताइए क अमे रक राजनी त म उस क क य भू मका
के लए कौन से कारण उ रदाई है.
5. सीनेट के गठन एवं उसक शि तय के संदभ म टश लॉड
सभा से उसक तुलना क िजए.
व तु न ठ-
1. त न ध सभा का कायकाल कतने वष होता है ।
[ अ ] 2 वष [ ब ] 5 वष [ स ] 4 वष [ द ] 1 वष
2. अमे रका म रा प त और उपरा प त का पद र त होने पर रा प त पद को
कौन धारण करता है।
[ अ ] सीनेट का साम यक अ य [ ब ] त न ध सभा का अ य [ स ] सव च
यायालय का मु य यायाधीश [ द ] व र ठ सीनेटर
19. 3. सीनेट क बैठक क अ य ता कौन करता है।
[ अ ] रा प त [ ब ] सीनेट का साम यकअ य [ स ] उपरा प त [ द ] इनम से
कोई नह ं।
4. न नां कत म से या सीनेट के गठन क एक बुराई है।
[ अ ] गेर मांड रंग [ ब ] फल ब टर [ स ] पद पुर कार यव था [ द ] इनम से
कोई नह ं।
5. अमे रक रा प त के चुनाव म कसी भी उ मीदवार को नवाचक मंडल का बहुमत
ा त न होने पर रा प त का चुनाव कसके वारा कया जाता है।
[ अ ] सीनेट [ ब ] त न ध सभा [ स ] मतदाता [ द ] रा प त का पुनः नवाचन
होता है।
6. न न ल खत म से कस अ धकार का योग सीनेट त न ध सभा के साथ मलकर
करती है।
[ अ ] यु ध क घोषणा [ ब ] सं धय का अनुमोदन [ स ] सद य क यो यता का
नधारण [ द ] सेना का योग।
7. न नां कत म से कस काय के लए सीनेट के अनुमोदन क आव यकता नह ं होती।
[ अ ] मह वपूण सावज नक पद पर नयुि तयां [ ब ] दूसरे देश के साथ सं धयाँ [स ]
शास नक समझौते [द ] यु ध क घोषणा
8. कसी वषय पर कानून नमाण के संबंध मे दोन सदन मे मतभेद क ि थ त उ प न
होने पर कौन मतभेद का समाधान करता है ।
[ अ ] सव च यायालय [ ब ] स मेलन स म त [ स ] सीनेट के व र ठ सद य [ द ]
रा प त
9. अ धवेशन थगन क त थ पर दोन सदन मे मतभेद होने पर कौन अ धवेशन
थगन क त थ नि चत करता है ।
[ अ ] रा प त [ ब ] सीनेट [ स ] सव च यायालय [ द ] स मेलन स म त
10 । व वधेयक कस सदन मे ता वत कये जा सकते ह ।
[ अ ] सीनेट [ ब ] त न ध सभा [ स ] दोन मे [ द ] कसी मे भी नह ं ।
20. उ र - 1. अ 2. ब 3. स 4.ब 5. ब 6. अ 7. स 8. ब 9. अ 10. ब