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टश सं वधान के अ भसमय
[​ ​Conventions of British Constitution]
वारा- डॉ टर ममता उपा याय
एसो सएट ोफे सर, राजनी त व ान
कु मार मायावती राजक य म हला नातको र महा व यालय
बादलपुर, गौतम बुध नगर, उ र देश
यह साम ी वशेष प से श ण और सीखने को बढ़ाने के शै णक उ दे य ​के लए है। ​आ थक / ​वा णि यक अथवा
कसी अ य उ दे य के लए इसका उपयोग ​पूणत: ​ तबंध है। ​साम ी के उपयोगकता इसे कसी और के साथ वत रत,
सा रत या ​साझा नह ं करगे और इसका उपयोग यि तगत ान क उ न त के लए ह करगे। ​इस ई - ​कं टट म जो
जानकार क गई है वह ामा णक है और मेरे ान के अनुसार सव म है।
उ दे य- तुत ई -साम ी से न नां कत उ दे य क ाि त संभा वत है-
● राजनी तक और आ थक ि ट से वक सत देश ेट टेन क संवैधा नक
यव था म संवैधा नक परंपराओं के मह व क जानकार
● कानून एवं अ भसमय के म य सू म अंतर क जानकार
● टेन जैसे ग तशील देश म संवैधा नक परंपराओं के पालन के पीछे उ रदाई
कारण क ववेचना
● टश शासन यव था म अ भसमय क भू मका एवं मह व का व लेषण
● व भ न देश क संवैधा नक यव थाओं म परंपराओं के मह व के तुलना मक
व लेषण क मता का वकास
कनाडा, यूजीलड, सऊद अरब और इजरायल के समान टश सं वधान उन अ ल खत
सं वधान क ेणी म आता है, िजसे कसी एक लेख म सं हताब ध नह ं कया गया है
और न ह उसका नमाण एक समय वशेष म कया गया है, बि क
उसका अ धकांश भाग उन थाओं के प म है जो सैकड़ वष से टेन के राजनी तक
जीवन का अंग रह है और उपयोगी होने के कारण पीढ़ दर पीढ़ उनका पालन कया जाता
रहा है एवं शासन काय म इनका उपयोग कया जाता रहा है। इन परंपराओं को ह
संवैधा नक अ भसमय कहते ह। ोफे सर डायसी ने सव थम इन थाओं को अ भसमय
कहकर च लत कया। य य प उ ह कानून के समान या यक मा यता ा त नह ं है।
यायालय न तो अपने नणय का आधार इन अ भसमय को बनाते ह और न ह इनका
उ लंघन करने वाल को दं डत करते ह, फर भी टश जनता क परंपरा यता इ ह
शासन क कसी भी पदा धकार वारा अनु लंघनीय बना देती है। यह कहना
अ तशयोि त पूण नह ं होगा क टश सं वधान एवं शासन यव था इन अ भसमय के
बना अपूण है ।
अ भसमय के वषय म सामा य वचार यह है क ये अ ल खत
होते ह और समय क मांग के अनुसार इनका वयं वकास होता है , क तु वा त वकता
यह है क कई अ भसमय को ल खत प दे दया गया है । जैसे -मं ीम डल और
धानमं ी के पद एवं आचरण से संबं धत नयम । कु छ अ भसमय जानबूझकर सृिजत
कए गए ह। जैसे -से लसबर क वे शन जो 1945 म मजदूर दल क सरकार के समय
अि त व म आया िजसके अनुसार लॉड सभा, कॉम स सभा वारा पा रत ऐसी कसी
वधेयक को वतीय और तृतीय वाचन के समय अ वीकृ त नह ं कर सकती जो कसी ऐसे
वषय से संबं धत हो िजसका उ लेख स ाधार दल के घोषणा प म कया गया हो।
टश सं वधान के वशेष ने संवैधा नक अ भसमय क
प रभाषा भ न- भ न प म क है। ोफे सर डायसी ने इ ह ‘ सं वधान संबंधी नै तकता
के आदेश’ कहा है। उनके श द म, “ सं वधान के अ भसमय वे र त- रवाज अथवा
समझौते ह िजनके अनुसार पूण भु व संप न वधानमंडल के व भ न अंग को अपने
ववेक आधा रत अ धकार का योग करना चा हए, चाहे वे स ाट के परम आ धकार हो
या संसद के वशेषा धकार”।
ोफे सर ऑग के अनुसार, “ अ भसमय उन समझौत , आदत या थाओं से मलकर
बनते ह जो राजनी तक नै तकता के नयम मा होने पर भी बड़ी से बड़ी सावज नक
सं थाओं के दन त दन के संबंध और ग त व धय के अ धकांश भाग का नयमन
करते ह”।
जे एस मल के अनुसार,” अ भसमय सं वधान के अ ल खत सू है।”
इन प रभाषाओं से यह प ट होता है क अ भसमय वे थाएं या टांत है जो समाज म
इस कार सु था पत हो चुके ह क उनका उ लंघन करना संभव नह ं होता।
कानून और अ भसमय म अंतर-
य य प टेन के सावज नक जीवन म अ भसमय का पालन कानून के समान ह कया
जाता है, क तु तकनीक ि ट से कानून और अ भसमय म न नां कत भेद बताये जा
सकते ह-
● कानून का व प ल खत होता है, जब क अ भसमय यादातर अ ल खत प म
होते ह। हालां क यह भेद बहुत मह वपूण नह ं है य क यह ज र नह ं है क हर
कानून ल खत प म ह मौजूद हो। इं लड म सामा य कानून च लत है िज ह
कानूनी मा यता इस लए ा त है य क यायालय उ ह मा यता देते ह जब क वे
ल खत प म मौजूद नह ं है। उपयोगी थाओं को ह यायालय सामा य कानून
के प म मा यता देते ह।
● अ भसमय के पीछे या यक मा यता नह ं होती और उनका उ लंघन करने पर
यायालय वारा दंड नह ं दया जाता, जब क कानून का उ लंघन करने पर
यायालय वारा दं डत कया जाता है।
● कानून का नमाण संसद के वारा कया जाता है, कं तुअ भसमय कसी सं था
वारा न मत नह ं कए जाते बि क ये थाओं का वक सत प होते ह।
● कानून म प टता का भाव होता है, जब क अ भसमय अ प ट भी हो सकता है।
थाओं का अथ हर यि त अपने ि टकोण से नकाल सकता है।
● ल खत होने के कारण कानून क जानकार सभी को हो सकती है, कं तु अ भसमय
का ान ा त करने के लए यादा जन जाग कता क आव यकता होती है।
कानून और अ भसमय का यह भेद सै धां तक यादा है, यवहा रक कम।
यवहार म अ भसमय का पालन कानून के समान ह कया जाता है। जे नं स ने
इस संबंध म लखा है क “ या कानून है और या अ भसमय है, यह मु यतः
पा रभा षक न है। इनके उ र के वल उ ह ं को ात है िजनका काय उ ह ात
करना है। जनसाधारण के लए इस बात का, क कोई नयम या यक
अ धका रय वारा मा य है या नह ं है, कोई वशेष मह व नह ं होता”।
वा त वकता यह है क कानून और अ भसमय एक दूसरे के पूरक ह अ भ समय
कानून के अंतराल को भरते ह और उसे समयानुकू ल बनाते ह। कानून और
अ भसमय दोन का ल य एक ह है और वह है- शासन यव था का अ छ तरह
संचालन।
​अ भसमय के भेद- ​ टश शासन यव था म अ भसमय के कई प मलते ह।
सु वधा क ि ट से इ ह न नां कत वग म वभािजत कया जा सकता है-
1. ​राजा एवं राजमुकु ट से संबं धत अ भसमय-राजपद से संबं धत कु छ मुख
संवैधा नक परंपराएं इस कार ह-
● राजा मं प रषद क बैठक क अ य ता नह ं करताऔर येक काय मं य क
सलाह करता है।
● राजा संसद वारा पा रत कसी वधेयक पर ह ता र करने से मना नह ं कर
सकता। महारानी एन के बाद [1707] कसी भी राजा या रानी ने नषेध अ धकार
का योग नह ं कया।
● स धांत प म स ाट को कॉमन सभा को भंग करने का अ धकार ा त है, कं तु
इस संबंध म यह परंपरा था पत हो गई है क स ाट अपने इस अ धकार का योग
धानमं ी क सलाह से ह करेगा।
● कसी कारण से धानमं ी का पद र त होने पर वयं कामन सभा अपना नेता
चुनेगी। स ाट को अपने ववेक का योग करते हुए कसी धानमं ी को नयु त
करने का अ धकार नह ं है।
● धानमं ी के व ध अ व वास का ताव संसद वारा पा रत कर दए जाने पर
स ाट वरोधी दल के नेता को धानमं ी पद हण करने के लए आमं त करता
है।
2. मं मंडल से संबं धत अ भसमय-
मं मंडल के गठन और उसके काय संचालन से संबं धत कु छ मुख अ भसमय
इस कार ह-
● अ भसमय के अनुसार मं य के लए संसद के कसी सदन का सद य होना
आव यक है ​।
● मं य के लए वी काउं सल का सद य होना आव यक है।
● धानमं ी के लए कॉमन सभा का सद य होना आव यक है।
● यह संवैधा नक परंपरा ह है क मं मंडल सामू हक प से कॉम स सभा के त
उ रदाई होता है और य द कॉम स सभा कसी एक मं ी के व ध भी अ व वास
का ताव पा रत कर देती है तो समूचे मं मंडल को यागप देना होता है।
● अ भसमय के अनुसार ह कसी गैर मह वपूण ताव पर लोकसभा म परािजत
होने पर मं मंडल का यागप देना आव यक नह ं है।
● मं मंडल का गठन करते समय धानमं ी सामा यतः अपने ह राजनी तक दल
म से सहयो गय का चुनाव करता है और सहयो गय के चुनाव म वह वतं है।
● मं ी गण अपने काय के उ रदा य व से राजा के वशेषा धकार या लोक सेवक क
गलती के नाम पर बच नह ं सकते।
3. ​संसद और उसक काय या से संबं धत अ भसमय-
संसद क काय णाल और उसके गठन से संबं धत मुख अ भसमय न न
वत है-
● संसद के दो सदन ह गे- लाड सभा और कॉमन सभा, यह बात अ भसमय पर
आधा रत है।
● परंपरा अनुसार संसद का अ धवेशन वष म कम से कम एक बार होना आव यक है
और दो अ धवेशन के बीच 1 वष से अ धक का अंतराल नह ं होना चा हए।
● कॉम स सभा के पीकर के संबंध म यह परंपरा है क एक बार अ य चुन लए
जाने के बाद वह राजनी तक दल क सद यता से यागप दे देता है और
न प ता पूवक काम करता है। उसे आम चुनाव म बार-बार न वरोध चुन
लया जाता है और उसे पीकर के पद पर तब तक बने रहने दया जाता है, जब
तक वह वयं पद हण करने से इनकार न कर दे।
● येक वधेयक का तीन वाचन होने के बाद ह उस पर सदन म मतदान हो सकता
है।
● संसद म उ घाटन भाषण स ाट के वारा दया जाता है िजसे मं मंडल वारा
तैयार कया जाता है। सरकार क ओर से भाषण हो जाने के बाद परंपरा अनुसार
वरोधी प क ओर से भी एक भाषण दया जाता है।
● सेलसबेर क वशन के अनुसार लाड सभा कामन सभा वारा पा रत कये गए ऐसे
कसी वधेयक का वतीय वाचन के बाद वरोध नह ं कर सकती, जो स ाधार दल
के चुनावी घोषणा प से संबं धत हो।
4. ​लोक भु व से संबं धत अ भसमय-
टेन म नवाचको क स ा और शासन के साथ उनका संबंध नधा रत करने
वाले अ भसमय इस कार ह-
● सरकार वारा कसी मह वपूण वषय पर कोई भी वधेयक तब तक तुत
नह ं कया जाना चा हए जब तक क नवाचक से ऐसा प ट जनादेश न
मला हो। 1911 म लॉड सभा क शि तय को कम करने वाले संसद य
अ ध नयम को पा रत करने से पूव लॉयड जॉज क उदार दल य सरकार ने
1910 के चुनाव म इस वषय पर जनता से प ट आदेश ा त कर लया
था।
● जब मं मंडल नवाचक से अपील करता है और नवाचक मं मंडल के
व ध नणय देते ह, तब मं मंडल को यागप दे देना चा हए।
धानमं ी दूसर बार स ाट से कामन सभा को भंग करने क सफा रश
नह ं कर सकता ।
​अ भसमय का पालन य कया जाता है।
टेन क सावज नक जीवन म च लत अभी समय के वषय म यह न अ सर कया
जाता है क य द इ ह कानूनी व या यक मा यता ा त नह ं है तो इनका पालन
य कया जाता है । टश सं वधान के वशेष - ो. डायसी , लॉवेल और ला क के
वारा इस न पर वचार कर भ न- भ न प म इस के उ र दए गए ह िजनका
ववेचन इस कार है-
डायसी के वचार- ​डायसी का मत है क कानून और अ भसमय पर पर संबं धत है और
य द अ भसमय का पालन नह ं कया जाता तो इससे कानून का उ लंघन होता है।
य क कानून अनु लंघनीय है, इस लए अ भसमय का पालन आव यक हो जाता है।
आलोचना- ​आलोचक डायसी के वचार से सहमत नह ं है और उनक मा यता है क
अनेक ऐसे अ भसमय है िजनके उ लंघन से कोई कानून भंग नह ं होता। जैसे- य द
कॉम स सभा से धानमं ी लए जाने संबंधी अ भसमय का उ लंघन करते हुए लॉडसभा
के कसी सद य क धानमं ी पद पर नयुि त क जाती है तो इससे कसी कानून का
उ लंघन नह ं होता। दूसरे, य द अ भसमय का पालन कानून के पालन के लए आव यक
है तो इससे वयं डायसी के उन वचार का उ लंघन होता है, िजनके तहत संसद वारा
बनाए गए कानून क सव चता वीकार क जाती है । जब क परंपरानुसार संसद को
कानून बनाते समय अभी समय का पालन करना होता है,िजससे संसद य सव चता का
स धांत सी मत होता है ।
लॉवेल का वचार-
​लॉवेल का मत है क लोग अ भसमय का पालन इस लए करते ह य क वह नै तकता के
नयम है। यह एक कार से खेल के नयम है और शासन और शासन काय म संल न
का मक इन अ भसमय के त जाग क ह। साथ ह अ भसमय के पीछे जनाधार होता
है। य द शासक इन अ भसमय का उ लंघन करते ह, तो जनता इसका वरोध करेगी
और सरकार को इस वरोध के स मुख झुकना पड़ेगा । जैसे 1909 म जब लॉड सभा ने
धानमं ी लॉयड जॉज के ग तशील बजट को अ वीकार कया था तो तुरंत जनता के
वारा मांग क गई क इस अ भसमय को कानूनी प दया जाए क जनादेश ा त
मं मंडल के वैधा नक ताव को लॉड सभा रोक नह ं सकती। अथात लाड सभा क
वधाई और व ीय शि तय को सी मत कया जाए। आग और िजंक के वारा भी भी इस
मत का समथन कया गया है।
ला क का वचार-
ला क के अनुसार परंपराओं का पालन कए जाने के पीछे दो कारण है। पहला तो यह क
ये अ भ समय सं वधान के स धांत के अनुकू ल ह और उनके या वयन म सहायक है।
जैसे- हनोवर वंश के राजा जॉज के वारा अं ेजी भाषा का ान न होने और टश
राजनी त म च न होने के कारण मं मंडल क बैठक क अ य ता नह ं क गई और
यह परंपरा बन गई क राजा वारा नयु त यि त यानी धानमं ी के वारा ह
मं मंडल क बैठक क अ य ता क जाएगी। बाद म जब राजा जॉज तृतीय के वारा
मं मंडल क बैठक क अ य ता का य न कया गया, तो मं मंडल वारा इसका
वरोध कया गया य क तब तक टेन म मं मंडला मक शासन था पत हो चुका था
िजसके अनुसार मं मंडल क बैठक क अ य ता धानमं ी के वारा ह क जानी
चा हए, न क शासन के औपचा रक धान राजा के वारा।
अ भसमयो के पालन के पीछे ला क दूसरा कारण यह बताते ह क टश राजनी त म
भाग लेने वाले मुख राजनी तक दल देश के आधारभूत सामािजक और राजनी तक ढांचे
के वषय म सहमत ह। जैसे- संसद य लोकतं म व वास और उदारवाद मू य पर
आधा रत सामािजक ढांचे म व वास। अतः शासन स ा चाहे िजस राजनी तक दल के
हाथ म हो, उसके वारा अ भसमय का पालन कया जाता है।
​ न कष-
उपयु त वचारक के वचार क ववेचना के आधार पर यह कहा जा सकता है क
अ भसमय का पालन न नां कत कारण से कया जाता है-
● अ भसमय टेन के सावज नक जीवन म अपनी उपयो गता स ध कर चुके ह,
अतः उनका पालन कया जाता है। इनका पालन न करने पर शासन यव था म
कई क ठनाइयां उ दत हो जाएंगी और शासन संचालन संभव नह ं होगा।
● अ भसमय के पीछे लोकमत क शि त है, िजस उ लंघन का साहस कोई सरकार
नह ं कर सकती।
● टश लोग राजनी तक प से बहुत यादा जाग क ह, इस लए शासक वग और
आम जनता दोन के वारा अ भसमय के मह व को समझते हुए उनका पालन
कया जाता है।
● अ भसमय के वषय म सभी राजनी तक दल म मतै य है।
● अ भसमय टश लोग के वभाव के अनुकू ल ह। टश लोग ढ़वाद ह और
उ ह अपनी परंपराओं से लगाव है।
● टश लोग मनोवै ा नक ि ट से अ भसमय के पालन के अ य त हो गए ह।
उ ह तो बस नयम का पालन करना है, चाहे वह नयम ल खत हो या अ ल खत।
टश सं वधान म अ भसमय का मह व
अ भसमय टश सं वधान क आ मा है। इनके मह व को न नां कत प म
देखा जा सकता है।
1. अ भसमय लोकतां क सं वधान के वकास म सहायक रहे है-
टश सं वधान का वकास राजतं से लोकतं क दशा म हुआ है। वकास क
इस या म कई ऐसे अवसर उपि थत हुए ह, जब राजाओं ने अपनी खोई हुई
स ा को पुनः ा त करने का य न कया है, ऐसी ि थ त म च लत अ भसमय
ने ह ऐसे यास को अव ध कया है। जैसे- हनोवर वंश के राजा जॉज थम के
वारा अं ेजी भाषा का ान न होने के कारण टश मं मंडल क बैठक क
अ य ता वयं न करके अपने वारा नयु त अ धकार के वारा कराई गई िजसे
आगे चलकर धानमं ी का दजा ा त हुआ। कालांतर म इसी वंश के जॉज तृतीय
ने वयं मं मंडल क बैठक क अ य ता करने का यास कया, कं तु य क
यह परंपरा था पत हो चुक थी क राजा वारा नयु त धानमं ी ह मं प रषद
क बैठक क अ य ता करेगा और यह यव था संसद य लोकतं के अनु प
स ध हो रह थी, इस लए राजा के इस यास का कड़ा वरोध कया गया और
सं वधान के वकास को लोकतं क दशा म ग त दान क गई। जेनइं स क
मा यता है क “ टेन म जन सं भुता क धारणा को सफल बनाने म अ भसमय
का बड़ा योगदान है”। एक अ भसमय के अनुसार स ाधार मं मंडल कसी ऐसे
ववादा पद वषय पर संसद म वधेयक नह ं ला सकता , िजसके वषय म
नवाचन म जनता ने प ट आदेश न दया हो। यह अ भसमय जनता क भुस ा
को सु नि चत करता है।
2. सं वधान को या मक प देने एवं समय अनुकू ल बनाने म इनक भू मका
मह वपूण है।
टश सं वधान एक अ ल खत सं वधान है। “मै नाकाटा” और “ बल ऑफ
राइ स” जैसे कु छ ल खत द तावेज को छोड़कर वह कोई ऐसा यापक
संवैधा नक लेख नह ं है, िजसके मा यम से राजतं के थान पर लोकतं को
सु था पत कया गया हो। ऐसी ि थ त म सं वधान के स धांत को याि वत
करने म क ठनाई उपि थत होती है। टेन म स ाट कानूनी सं भु है एवं
मं मंडल, संसद तथा जनता राजनी तक सं भु है। वशु ध कानूनी ि टकोण
अपनाने पर शासन के व भ न अंग म ग तरोध उ प न हो जाएगा और
अ यव था फै ल जाएगी। इस क ठनाई को दूर करने म और सं वधान को समय के
अनु प बनाने म अ भसमय सहायक रहे ह। अभी समय के अनुसार राजा
मं मंडल क सलाह को मानता है और इस परंपरा के कारण ह राजनी तक सं भु
और कानूनी संपक म सामंज य बना हुआ है। यह नह ं, सं वधान को समय के
अनुकू ल बनाने म भी अ भसमय सहायक रहे ह। संसद य लोकतं क दशा म
ग त करते हुए जब कामन सभा के वारा मं मंडल के नेतृ व म जनादेश के
अनु प ग तशील वधेयक को लाने का यास कया गया तो कई बार संसद के
दूसरे सदन लॉड सभा के वारा उसम कावट डालने का यास कया गया। ऐसी
ि थ त म “ से लसबेर क वशन’ का वकास हुआ, िजसके अनुसार लॉड सभा
कॉमन सभा वारा पा रत कसी भी वधेयक को वतीय वाचन के बाद अ वीकृ त
नह ं कर सकती और इस कार जन त न धय क स ा को मा यता दान कर
लोकतं को ग त दान क गई।
3. शासन यव था को े ठ प दान करने म भी अ भसमय सहायक है।
अ भसमय के कारण ​ टश शासन यव था अपने े ठ प को ा त कर सक
है। जैसे एक अ भसमय यह है क संसद म तुत येक वधेयक के तीन वाचन
होने चा हए। इस अ भसमय के कारण वधेयक पर पया त चचा हो जाती है और
उसक क मय को सुधार लया जाता है। कानून नमाण का काय ज दबाजी म
होने क आशंका नह ं रह जाती। संसद के काय म न प ता बनाए रखने के लए
यह परंपरा वक सत हुई क कॉम स सभा का पीकर एक बार पद पर नवा चत
हो जाने के बाद दल क सद यता से यागप दे देगा और वह पूरे सदन के अ य
के प म काय करेगा। यवहार म इस अ भसमय का पालन करते हुए अ य पद
के धारक अपने न प यवहार से वैि वक या त भी ा त क है।
4. शासन को नयं त करने म सहायक-
लोकतं म भी शासक के नरंकु श होने का भय बना रहता है। वशेष प से तब
जब शासक दल संसद म पूण बहुमत क ि थ त म हो। दु नया के व भ न देश के
समान टेन म भी कायपा लका अथात मं मंडल संसद क तुलना म यादा
शि तशाल बन रह है, ऐसे म कई वचारक के वारा यह आशंका य त क
जा त रह है क धानमं ी और मं ीमंडल अ धनायक बन सकते ह । कं तु ऐसी
आशंका को नराधार बनाने का काय संवैधा नक अ भसमय करते ह। धानमं ी
और मं मंडल को अपनी काय या मे अ भसमय का पालन करना पड़ता है
और इनके पीछे जनमत क शि त होने के कारण चुनावी राजनी त म मं मंडल
इनक उपे ा नह ं कर सकता। एक परंपरा के अनुसार धानमं ी येक मंगलवार
को स ाट से मलकर उसे शासन संबंधी काय क जानकार देता है। शासन पर
नयं ण था पत करने के उ दे य से ह यह परंपरा भी वक सत हुई है क
मं ीगण राजा को ा त उ मुि त के नाम पर अपने काय क जवाबदेह से बच नह ं
सकते। उ ह अपने येक काय के लए संसद के त जवाबदेह होना होता है। यह
परंपरा 1678 मे तब था पत हुई जब ांस ि थत राजदूत को एक प लखने के
अपराध म संसद ने डे बी पर फौजदार अ भयोग लगाया। बचाव म उ ह ने कहा
क प उ ह ने स ाट के आदेश से लखा था और स ाट कोई ु ट नह ं कर सकता
इस लए वह नद ष है। कं तु संसद ने इस तक को वीकार नह ं कया और यह
तपा दत कया क मं य क ु टय के लए वयं मं ी ह उ रदाई ह, स ाट
नह ं। संसद म वरोधी दल के वारा छाया मं मंडल का गठन भी परंपरा पर
आधा रत है, िजसका अि त व मा शासन को नयं त करता है। संसद भी
च लत परंपराओं के वपर त जाकर कानून का नमाण नह ं कर सकती। इस
कार वधा यका और कायपा लका दोन क शि तयां अ भसमय के कारण
नयं त रहती है।
5. अ भसमय अ पसं यक के अ धकार क र ा करने म सहायक है।
लोकतं म अ सर या डर बना रहता है क बहुमत वग के वारा अ पसं यक
पर अ याचार कया जा सकता है। इस डर को अ भसमय दूर करते ह। टेन म
अ पसं यक अ वेत एवं ए शयाई मूल के लोग को यह व वास है क जब कभी
भी मं मंडल या संसद के वारा उनके अ धकार का उ लंघन करते हुए कोई काय
कया जाएगा, तो अ भसमय ह उनक र ा करगे।के . सी . वीयर
का भी मत है क “ अ भसमय अ पसं यक के अ धकार क र ा करते ह”।
परंपरा अनुसार टश सरकार ‘मानवा धकार क वशन’ का पालन करने के लए
बा य है। टश नाग रक के पास अमे रका या भारत के समान अपने अ धकार
क र ा के लए कोई अ धकार प नह ं है और संसद य सव चता होने के कारण
यायपा लका को या यक पुनर ण का अ धकार भी ा त नह ं है, फर भी
टश नाग रक बहुत से अ धकार का उपयोग करते ह। इसम टश लोग क
जाग कता के साथ साथ अ भसमय क भू मका भी मह वपूण है।
5. ​अ भसमय के कारण ह रा मंडल के व प म लचीलापन आया है -
रा मंडल ऐसे देश का संगठन है, जो अतीत म टेन के उप नवेश रह चुके ह
और आज वतं है, फर भी उनके वारा टश स ाट को आज भी कानूनी प म
अपना सं भु शासक वीकार कया जाता है। रा मंडल देश
के साथ टेन के संबंध म लचीलापन बनाए रखने म अ भसमय का बड़ा
योगदान है। य द टश सरकार ने वा तव म अपनी सं भुता क दुहाई देते हुए
रा मंडल देश पर अपना नणय थोपा होता , तो रा मंडल कब का भंग हो गया
होता। कं तु परंपरा का पालन करते हुए स ाट इन देश के साथ औपचा रक संबंध
पर आधा रत यवहार करता है, िजसके कारण इन देश के रा ा य और आम
जनता दोन टश स ाट के त अपना भि त -भाव द शत करते ह।
न कष प म यह कहा जा सकता है क टश सं वधान म परंपराओं का बहुत
मह व है। अ भसमय के कारण ह सं वधान म लचीलापन आया है और इस
लचीलेपन के कारण ह जैसा क है रसन ने लखा है “ टश शासन यव था कई
तूफान का सामना कर पाई है।”
References And Suggested Readings
1. Jennings,Cabinet Government
2. K.C. Wheare,Modern Constitution
3. Lowell,Government Of England
4. ukconstitutionallaw.org
5. www.parliament.uk
6. Britpolitics.co.uk
मु य श द-
● अ भसमय
● कानून
● या यक मा यता
● नै तकता के आदेश
● लोकस ा
● जनादेश
● रा मंडल
● अ पसं यक
● मानवा धकार
● संसद
● मं मंडल
● राजपद
● कॉमन लॉ
न-
नबंधा मक न-
1. संवैधा नक अ भसमय से आप या समझते ह? टेन क संवैधा नक यव था म
इनके मह व और भू मका को प ट क िजए।
2. अ भसमय और कानून म अंतर बताते हुए प ट क िजए क अ भसमय का पालन
य कया जाता है।
3. टश राजनी तक यव था म च लत मुख संवैधा नक अ भसमय का
वग करण क िजए।
4. अ भसमय के पालन के वषय म डायसी, लॉवेल और लॅा क के वचार को
प ट क िजए।
व तु न ठ न-
1. टेन म संवैधा नक परंपराओं के लए ‘अ भसमय’ श द का योग सव थम कसके
वारा कया गया।
[अ ] लॉवेल [ब ] लॅा क [स ] डायसी [द ] जे नं स
2. अ भसमय को खेल के नयम कसने कहा।
[अ ] लावेल [ब ] ला क [स ] डायसी [द ] जे नं स
3. डायसी ने अ भसमय को कस प म तुत कया।
[अ ] आचार यवहार के नयम [ब ] सं वधान संबंधी नै तकता के आदेश [ स ]
संवैधा नक नयम [द ] शासन संबंधी नयम
4. कानून और अभी समय म न नां कत म से कौन सा अंतर मह वपूण है।
[अ ] कानून मह वपूण होते ह, अ भसमय कम मह वपूण होते ह।
[ब ] आम जनता कानून के पालन पर यादा जोर देती है, न क अ भसमय के ।
[स ] कानून के पीछे या यक मा यता होती है, जब क अ भसमय के पीछे या यक
मा यता नह ं होती।
[द ] कानून संसद वारा बनाए जाते ह, जब क अ भसमय जनता वारा।
5. अ प टता का वचार न नां कत म से कसके साथ जुड़ा है।
[अ ] कानून [ब ] अ भसमय [ स ] या यक नणय [ द ] कॉमन लॉ
6. अ भसमय ‘अ पसं यक के अ धकार का र क’ कसने कहा है।
[अ ] जे नं स [ब ] लॉवेल [स ] के .सी . वीयर [द ] ला क
7 . वैधा नक मा यता न होने के बावजूद अ भसमय के पीछे कौन सी शि त काय करती है
।
[ अ ] राजा के वशेषा धकार क शि त [ ब ] जनमत क शि त [स ] रा मंडल क
शि त [ द ] मं मंडल क शि त
8. अ भसमय का पालन न करने पर कौन सा दंड दया जाता है।
[अ ] कारावास [ब ] अथदंड [स ] दोन [ द ] कोई दंड नह ं दया जाता।
9. ‘ से लसबेर क वशन’ कस क शि तय को कम करता है।
[ अ ] स ाट [ ब ] लॉड सभा [ स ] कॉमन सभा [ द ] मं मंडल
10. अ भसमय का कानून के समान पालन होने पर कस क सव चता भंग होती है।
[ अ ] यायपा लका क [ ब ] संसद क [स ] स ाट क [ द ] जनता क
उ र- 1. स 2. अ 3. ब 4. स 5. ब 6. स 7. ब 8. द 9. ब 10. ब

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  • 1. टश सं वधान के अ भसमय [​ ​Conventions of British Constitution] वारा- डॉ टर ममता उपा याय एसो सएट ोफे सर, राजनी त व ान कु मार मायावती राजक य म हला नातको र महा व यालय बादलपुर, गौतम बुध नगर, उ र देश यह साम ी वशेष प से श ण और सीखने को बढ़ाने के शै णक उ दे य ​के लए है। ​आ थक / ​वा णि यक अथवा कसी अ य उ दे य के लए इसका उपयोग ​पूणत: ​ तबंध है। ​साम ी के उपयोगकता इसे कसी और के साथ वत रत, सा रत या ​साझा नह ं करगे और इसका उपयोग यि तगत ान क उ न त के लए ह करगे। ​इस ई - ​कं टट म जो जानकार क गई है वह ामा णक है और मेरे ान के अनुसार सव म है। उ दे य- तुत ई -साम ी से न नां कत उ दे य क ाि त संभा वत है- ● राजनी तक और आ थक ि ट से वक सत देश ेट टेन क संवैधा नक यव था म संवैधा नक परंपराओं के मह व क जानकार ● कानून एवं अ भसमय के म य सू म अंतर क जानकार ● टेन जैसे ग तशील देश म संवैधा नक परंपराओं के पालन के पीछे उ रदाई कारण क ववेचना ● टश शासन यव था म अ भसमय क भू मका एवं मह व का व लेषण ● व भ न देश क संवैधा नक यव थाओं म परंपराओं के मह व के तुलना मक व लेषण क मता का वकास कनाडा, यूजीलड, सऊद अरब और इजरायल के समान टश सं वधान उन अ ल खत सं वधान क ेणी म आता है, िजसे कसी एक लेख म सं हताब ध नह ं कया गया है और न ह उसका नमाण एक समय वशेष म कया गया है, बि क
  • 2. उसका अ धकांश भाग उन थाओं के प म है जो सैकड़ वष से टेन के राजनी तक जीवन का अंग रह है और उपयोगी होने के कारण पीढ़ दर पीढ़ उनका पालन कया जाता रहा है एवं शासन काय म इनका उपयोग कया जाता रहा है। इन परंपराओं को ह संवैधा नक अ भसमय कहते ह। ोफे सर डायसी ने सव थम इन थाओं को अ भसमय कहकर च लत कया। य य प उ ह कानून के समान या यक मा यता ा त नह ं है। यायालय न तो अपने नणय का आधार इन अ भसमय को बनाते ह और न ह इनका उ लंघन करने वाल को दं डत करते ह, फर भी टश जनता क परंपरा यता इ ह शासन क कसी भी पदा धकार वारा अनु लंघनीय बना देती है। यह कहना अ तशयोि त पूण नह ं होगा क टश सं वधान एवं शासन यव था इन अ भसमय के बना अपूण है । अ भसमय के वषय म सामा य वचार यह है क ये अ ल खत होते ह और समय क मांग के अनुसार इनका वयं वकास होता है , क तु वा त वकता यह है क कई अ भसमय को ल खत प दे दया गया है । जैसे -मं ीम डल और धानमं ी के पद एवं आचरण से संबं धत नयम । कु छ अ भसमय जानबूझकर सृिजत कए गए ह। जैसे -से लसबर क वे शन जो 1945 म मजदूर दल क सरकार के समय अि त व म आया िजसके अनुसार लॉड सभा, कॉम स सभा वारा पा रत ऐसी कसी वधेयक को वतीय और तृतीय वाचन के समय अ वीकृ त नह ं कर सकती जो कसी ऐसे वषय से संबं धत हो िजसका उ लेख स ाधार दल के घोषणा प म कया गया हो। टश सं वधान के वशेष ने संवैधा नक अ भसमय क प रभाषा भ न- भ न प म क है। ोफे सर डायसी ने इ ह ‘ सं वधान संबंधी नै तकता के आदेश’ कहा है। उनके श द म, “ सं वधान के अ भसमय वे र त- रवाज अथवा समझौते ह िजनके अनुसार पूण भु व संप न वधानमंडल के व भ न अंग को अपने ववेक आधा रत अ धकार का योग करना चा हए, चाहे वे स ाट के परम आ धकार हो या संसद के वशेषा धकार”।
  • 3. ोफे सर ऑग के अनुसार, “ अ भसमय उन समझौत , आदत या थाओं से मलकर बनते ह जो राजनी तक नै तकता के नयम मा होने पर भी बड़ी से बड़ी सावज नक सं थाओं के दन त दन के संबंध और ग त व धय के अ धकांश भाग का नयमन करते ह”। जे एस मल के अनुसार,” अ भसमय सं वधान के अ ल खत सू है।” इन प रभाषाओं से यह प ट होता है क अ भसमय वे थाएं या टांत है जो समाज म इस कार सु था पत हो चुके ह क उनका उ लंघन करना संभव नह ं होता। कानून और अ भसमय म अंतर- य य प टेन के सावज नक जीवन म अ भसमय का पालन कानून के समान ह कया जाता है, क तु तकनीक ि ट से कानून और अ भसमय म न नां कत भेद बताये जा सकते ह- ● कानून का व प ल खत होता है, जब क अ भसमय यादातर अ ल खत प म होते ह। हालां क यह भेद बहुत मह वपूण नह ं है य क यह ज र नह ं है क हर कानून ल खत प म ह मौजूद हो। इं लड म सामा य कानून च लत है िज ह कानूनी मा यता इस लए ा त है य क यायालय उ ह मा यता देते ह जब क वे ल खत प म मौजूद नह ं है। उपयोगी थाओं को ह यायालय सामा य कानून के प म मा यता देते ह। ● अ भसमय के पीछे या यक मा यता नह ं होती और उनका उ लंघन करने पर यायालय वारा दंड नह ं दया जाता, जब क कानून का उ लंघन करने पर यायालय वारा दं डत कया जाता है।
  • 4. ● कानून का नमाण संसद के वारा कया जाता है, कं तुअ भसमय कसी सं था वारा न मत नह ं कए जाते बि क ये थाओं का वक सत प होते ह। ● कानून म प टता का भाव होता है, जब क अ भसमय अ प ट भी हो सकता है। थाओं का अथ हर यि त अपने ि टकोण से नकाल सकता है। ● ल खत होने के कारण कानून क जानकार सभी को हो सकती है, कं तु अ भसमय का ान ा त करने के लए यादा जन जाग कता क आव यकता होती है। कानून और अ भसमय का यह भेद सै धां तक यादा है, यवहा रक कम। यवहार म अ भसमय का पालन कानून के समान ह कया जाता है। जे नं स ने इस संबंध म लखा है क “ या कानून है और या अ भसमय है, यह मु यतः पा रभा षक न है। इनके उ र के वल उ ह ं को ात है िजनका काय उ ह ात करना है। जनसाधारण के लए इस बात का, क कोई नयम या यक अ धका रय वारा मा य है या नह ं है, कोई वशेष मह व नह ं होता”। वा त वकता यह है क कानून और अ भसमय एक दूसरे के पूरक ह अ भ समय कानून के अंतराल को भरते ह और उसे समयानुकू ल बनाते ह। कानून और अ भसमय दोन का ल य एक ह है और वह है- शासन यव था का अ छ तरह संचालन।
  • 5. ​अ भसमय के भेद- ​ टश शासन यव था म अ भसमय के कई प मलते ह। सु वधा क ि ट से इ ह न नां कत वग म वभािजत कया जा सकता है- 1. ​राजा एवं राजमुकु ट से संबं धत अ भसमय-राजपद से संबं धत कु छ मुख संवैधा नक परंपराएं इस कार ह- ● राजा मं प रषद क बैठक क अ य ता नह ं करताऔर येक काय मं य क सलाह करता है। ● राजा संसद वारा पा रत कसी वधेयक पर ह ता र करने से मना नह ं कर सकता। महारानी एन के बाद [1707] कसी भी राजा या रानी ने नषेध अ धकार का योग नह ं कया। ● स धांत प म स ाट को कॉमन सभा को भंग करने का अ धकार ा त है, कं तु इस संबंध म यह परंपरा था पत हो गई है क स ाट अपने इस अ धकार का योग धानमं ी क सलाह से ह करेगा। ● कसी कारण से धानमं ी का पद र त होने पर वयं कामन सभा अपना नेता चुनेगी। स ाट को अपने ववेक का योग करते हुए कसी धानमं ी को नयु त करने का अ धकार नह ं है। ● धानमं ी के व ध अ व वास का ताव संसद वारा पा रत कर दए जाने पर स ाट वरोधी दल के नेता को धानमं ी पद हण करने के लए आमं त करता है। 2. मं मंडल से संबं धत अ भसमय- मं मंडल के गठन और उसके काय संचालन से संबं धत कु छ मुख अ भसमय इस कार ह- ● अ भसमय के अनुसार मं य के लए संसद के कसी सदन का सद य होना आव यक है ​। ● मं य के लए वी काउं सल का सद य होना आव यक है।
  • 6. ● धानमं ी के लए कॉमन सभा का सद य होना आव यक है। ● यह संवैधा नक परंपरा ह है क मं मंडल सामू हक प से कॉम स सभा के त उ रदाई होता है और य द कॉम स सभा कसी एक मं ी के व ध भी अ व वास का ताव पा रत कर देती है तो समूचे मं मंडल को यागप देना होता है। ● अ भसमय के अनुसार ह कसी गैर मह वपूण ताव पर लोकसभा म परािजत होने पर मं मंडल का यागप देना आव यक नह ं है। ● मं मंडल का गठन करते समय धानमं ी सामा यतः अपने ह राजनी तक दल म से सहयो गय का चुनाव करता है और सहयो गय के चुनाव म वह वतं है। ● मं ी गण अपने काय के उ रदा य व से राजा के वशेषा धकार या लोक सेवक क गलती के नाम पर बच नह ं सकते। 3. ​संसद और उसक काय या से संबं धत अ भसमय- संसद क काय णाल और उसके गठन से संबं धत मुख अ भसमय न न वत है- ● संसद के दो सदन ह गे- लाड सभा और कॉमन सभा, यह बात अ भसमय पर आधा रत है। ● परंपरा अनुसार संसद का अ धवेशन वष म कम से कम एक बार होना आव यक है और दो अ धवेशन के बीच 1 वष से अ धक का अंतराल नह ं होना चा हए। ● कॉम स सभा के पीकर के संबंध म यह परंपरा है क एक बार अ य चुन लए जाने के बाद वह राजनी तक दल क सद यता से यागप दे देता है और न प ता पूवक काम करता है। उसे आम चुनाव म बार-बार न वरोध चुन लया जाता है और उसे पीकर के पद पर तब तक बने रहने दया जाता है, जब तक वह वयं पद हण करने से इनकार न कर दे।
  • 7. ● येक वधेयक का तीन वाचन होने के बाद ह उस पर सदन म मतदान हो सकता है। ● संसद म उ घाटन भाषण स ाट के वारा दया जाता है िजसे मं मंडल वारा तैयार कया जाता है। सरकार क ओर से भाषण हो जाने के बाद परंपरा अनुसार वरोधी प क ओर से भी एक भाषण दया जाता है। ● सेलसबेर क वशन के अनुसार लाड सभा कामन सभा वारा पा रत कये गए ऐसे कसी वधेयक का वतीय वाचन के बाद वरोध नह ं कर सकती, जो स ाधार दल के चुनावी घोषणा प से संबं धत हो। 4. ​लोक भु व से संबं धत अ भसमय- टेन म नवाचको क स ा और शासन के साथ उनका संबंध नधा रत करने वाले अ भसमय इस कार ह- ● सरकार वारा कसी मह वपूण वषय पर कोई भी वधेयक तब तक तुत नह ं कया जाना चा हए जब तक क नवाचक से ऐसा प ट जनादेश न मला हो। 1911 म लॉड सभा क शि तय को कम करने वाले संसद य अ ध नयम को पा रत करने से पूव लॉयड जॉज क उदार दल य सरकार ने 1910 के चुनाव म इस वषय पर जनता से प ट आदेश ा त कर लया था। ● जब मं मंडल नवाचक से अपील करता है और नवाचक मं मंडल के व ध नणय देते ह, तब मं मंडल को यागप दे देना चा हए। धानमं ी दूसर बार स ाट से कामन सभा को भंग करने क सफा रश नह ं कर सकता ।
  • 8. ​अ भसमय का पालन य कया जाता है। टेन क सावज नक जीवन म च लत अभी समय के वषय म यह न अ सर कया जाता है क य द इ ह कानूनी व या यक मा यता ा त नह ं है तो इनका पालन य कया जाता है । टश सं वधान के वशेष - ो. डायसी , लॉवेल और ला क के वारा इस न पर वचार कर भ न- भ न प म इस के उ र दए गए ह िजनका ववेचन इस कार है- डायसी के वचार- ​डायसी का मत है क कानून और अ भसमय पर पर संबं धत है और य द अ भसमय का पालन नह ं कया जाता तो इससे कानून का उ लंघन होता है। य क कानून अनु लंघनीय है, इस लए अ भसमय का पालन आव यक हो जाता है। आलोचना- ​आलोचक डायसी के वचार से सहमत नह ं है और उनक मा यता है क अनेक ऐसे अ भसमय है िजनके उ लंघन से कोई कानून भंग नह ं होता। जैसे- य द कॉम स सभा से धानमं ी लए जाने संबंधी अ भसमय का उ लंघन करते हुए लॉडसभा के कसी सद य क धानमं ी पद पर नयुि त क जाती है तो इससे कसी कानून का उ लंघन नह ं होता। दूसरे, य द अ भसमय का पालन कानून के पालन के लए आव यक है तो इससे वयं डायसी के उन वचार का उ लंघन होता है, िजनके तहत संसद वारा बनाए गए कानून क सव चता वीकार क जाती है । जब क परंपरानुसार संसद को कानून बनाते समय अभी समय का पालन करना होता है,िजससे संसद य सव चता का स धांत सी मत होता है । लॉवेल का वचार- ​लॉवेल का मत है क लोग अ भसमय का पालन इस लए करते ह य क वह नै तकता के नयम है। यह एक कार से खेल के नयम है और शासन और शासन काय म संल न
  • 9. का मक इन अ भसमय के त जाग क ह। साथ ह अ भसमय के पीछे जनाधार होता है। य द शासक इन अ भसमय का उ लंघन करते ह, तो जनता इसका वरोध करेगी और सरकार को इस वरोध के स मुख झुकना पड़ेगा । जैसे 1909 म जब लॉड सभा ने धानमं ी लॉयड जॉज के ग तशील बजट को अ वीकार कया था तो तुरंत जनता के वारा मांग क गई क इस अ भसमय को कानूनी प दया जाए क जनादेश ा त मं मंडल के वैधा नक ताव को लॉड सभा रोक नह ं सकती। अथात लाड सभा क वधाई और व ीय शि तय को सी मत कया जाए। आग और िजंक के वारा भी भी इस मत का समथन कया गया है। ला क का वचार- ला क के अनुसार परंपराओं का पालन कए जाने के पीछे दो कारण है। पहला तो यह क ये अ भ समय सं वधान के स धांत के अनुकू ल ह और उनके या वयन म सहायक है। जैसे- हनोवर वंश के राजा जॉज के वारा अं ेजी भाषा का ान न होने और टश राजनी त म च न होने के कारण मं मंडल क बैठक क अ य ता नह ं क गई और यह परंपरा बन गई क राजा वारा नयु त यि त यानी धानमं ी के वारा ह मं मंडल क बैठक क अ य ता क जाएगी। बाद म जब राजा जॉज तृतीय के वारा मं मंडल क बैठक क अ य ता का य न कया गया, तो मं मंडल वारा इसका वरोध कया गया य क तब तक टेन म मं मंडला मक शासन था पत हो चुका था िजसके अनुसार मं मंडल क बैठक क अ य ता धानमं ी के वारा ह क जानी चा हए, न क शासन के औपचा रक धान राजा के वारा। अ भसमयो के पालन के पीछे ला क दूसरा कारण यह बताते ह क टश राजनी त म भाग लेने वाले मुख राजनी तक दल देश के आधारभूत सामािजक और राजनी तक ढांचे के वषय म सहमत ह। जैसे- संसद य लोकतं म व वास और उदारवाद मू य पर आधा रत सामािजक ढांचे म व वास। अतः शासन स ा चाहे िजस राजनी तक दल के हाथ म हो, उसके वारा अ भसमय का पालन कया जाता है। ​ न कष-
  • 10. उपयु त वचारक के वचार क ववेचना के आधार पर यह कहा जा सकता है क अ भसमय का पालन न नां कत कारण से कया जाता है- ● अ भसमय टेन के सावज नक जीवन म अपनी उपयो गता स ध कर चुके ह, अतः उनका पालन कया जाता है। इनका पालन न करने पर शासन यव था म कई क ठनाइयां उ दत हो जाएंगी और शासन संचालन संभव नह ं होगा। ● अ भसमय के पीछे लोकमत क शि त है, िजस उ लंघन का साहस कोई सरकार नह ं कर सकती। ● टश लोग राजनी तक प से बहुत यादा जाग क ह, इस लए शासक वग और आम जनता दोन के वारा अ भसमय के मह व को समझते हुए उनका पालन कया जाता है। ● अ भसमय के वषय म सभी राजनी तक दल म मतै य है। ● अ भसमय टश लोग के वभाव के अनुकू ल ह। टश लोग ढ़वाद ह और उ ह अपनी परंपराओं से लगाव है। ● टश लोग मनोवै ा नक ि ट से अ भसमय के पालन के अ य त हो गए ह। उ ह तो बस नयम का पालन करना है, चाहे वह नयम ल खत हो या अ ल खत। टश सं वधान म अ भसमय का मह व अ भसमय टश सं वधान क आ मा है। इनके मह व को न नां कत प म देखा जा सकता है। 1. अ भसमय लोकतां क सं वधान के वकास म सहायक रहे है-
  • 11. टश सं वधान का वकास राजतं से लोकतं क दशा म हुआ है। वकास क इस या म कई ऐसे अवसर उपि थत हुए ह, जब राजाओं ने अपनी खोई हुई स ा को पुनः ा त करने का य न कया है, ऐसी ि थ त म च लत अ भसमय ने ह ऐसे यास को अव ध कया है। जैसे- हनोवर वंश के राजा जॉज थम के वारा अं ेजी भाषा का ान न होने के कारण टश मं मंडल क बैठक क अ य ता वयं न करके अपने वारा नयु त अ धकार के वारा कराई गई िजसे आगे चलकर धानमं ी का दजा ा त हुआ। कालांतर म इसी वंश के जॉज तृतीय ने वयं मं मंडल क बैठक क अ य ता करने का यास कया, कं तु य क यह परंपरा था पत हो चुक थी क राजा वारा नयु त धानमं ी ह मं प रषद क बैठक क अ य ता करेगा और यह यव था संसद य लोकतं के अनु प स ध हो रह थी, इस लए राजा के इस यास का कड़ा वरोध कया गया और सं वधान के वकास को लोकतं क दशा म ग त दान क गई। जेनइं स क मा यता है क “ टेन म जन सं भुता क धारणा को सफल बनाने म अ भसमय का बड़ा योगदान है”। एक अ भसमय के अनुसार स ाधार मं मंडल कसी ऐसे ववादा पद वषय पर संसद म वधेयक नह ं ला सकता , िजसके वषय म नवाचन म जनता ने प ट आदेश न दया हो। यह अ भसमय जनता क भुस ा को सु नि चत करता है। 2. सं वधान को या मक प देने एवं समय अनुकू ल बनाने म इनक भू मका मह वपूण है। टश सं वधान एक अ ल खत सं वधान है। “मै नाकाटा” और “ बल ऑफ राइ स” जैसे कु छ ल खत द तावेज को छोड़कर वह कोई ऐसा यापक संवैधा नक लेख नह ं है, िजसके मा यम से राजतं के थान पर लोकतं को सु था पत कया गया हो। ऐसी ि थ त म सं वधान के स धांत को याि वत करने म क ठनाई उपि थत होती है। टेन म स ाट कानूनी सं भु है एवं मं मंडल, संसद तथा जनता राजनी तक सं भु है। वशु ध कानूनी ि टकोण
  • 12. अपनाने पर शासन के व भ न अंग म ग तरोध उ प न हो जाएगा और अ यव था फै ल जाएगी। इस क ठनाई को दूर करने म और सं वधान को समय के अनु प बनाने म अ भसमय सहायक रहे ह। अभी समय के अनुसार राजा मं मंडल क सलाह को मानता है और इस परंपरा के कारण ह राजनी तक सं भु और कानूनी संपक म सामंज य बना हुआ है। यह नह ं, सं वधान को समय के अनुकू ल बनाने म भी अ भसमय सहायक रहे ह। संसद य लोकतं क दशा म ग त करते हुए जब कामन सभा के वारा मं मंडल के नेतृ व म जनादेश के अनु प ग तशील वधेयक को लाने का यास कया गया तो कई बार संसद के दूसरे सदन लॉड सभा के वारा उसम कावट डालने का यास कया गया। ऐसी ि थ त म “ से लसबेर क वशन’ का वकास हुआ, िजसके अनुसार लॉड सभा कॉमन सभा वारा पा रत कसी भी वधेयक को वतीय वाचन के बाद अ वीकृ त नह ं कर सकती और इस कार जन त न धय क स ा को मा यता दान कर लोकतं को ग त दान क गई। 3. शासन यव था को े ठ प दान करने म भी अ भसमय सहायक है। अ भसमय के कारण ​ टश शासन यव था अपने े ठ प को ा त कर सक है। जैसे एक अ भसमय यह है क संसद म तुत येक वधेयक के तीन वाचन होने चा हए। इस अ भसमय के कारण वधेयक पर पया त चचा हो जाती है और उसक क मय को सुधार लया जाता है। कानून नमाण का काय ज दबाजी म होने क आशंका नह ं रह जाती। संसद के काय म न प ता बनाए रखने के लए यह परंपरा वक सत हुई क कॉम स सभा का पीकर एक बार पद पर नवा चत हो जाने के बाद दल क सद यता से यागप दे देगा और वह पूरे सदन के अ य के प म काय करेगा। यवहार म इस अ भसमय का पालन करते हुए अ य पद के धारक अपने न प यवहार से वैि वक या त भी ा त क है। 4. शासन को नयं त करने म सहायक- लोकतं म भी शासक के नरंकु श होने का भय बना रहता है। वशेष प से तब जब शासक दल संसद म पूण बहुमत क ि थ त म हो। दु नया के व भ न देश के
  • 13. समान टेन म भी कायपा लका अथात मं मंडल संसद क तुलना म यादा शि तशाल बन रह है, ऐसे म कई वचारक के वारा यह आशंका य त क जा त रह है क धानमं ी और मं ीमंडल अ धनायक बन सकते ह । कं तु ऐसी आशंका को नराधार बनाने का काय संवैधा नक अ भसमय करते ह। धानमं ी और मं मंडल को अपनी काय या मे अ भसमय का पालन करना पड़ता है और इनके पीछे जनमत क शि त होने के कारण चुनावी राजनी त म मं मंडल इनक उपे ा नह ं कर सकता। एक परंपरा के अनुसार धानमं ी येक मंगलवार को स ाट से मलकर उसे शासन संबंधी काय क जानकार देता है। शासन पर नयं ण था पत करने के उ दे य से ह यह परंपरा भी वक सत हुई है क मं ीगण राजा को ा त उ मुि त के नाम पर अपने काय क जवाबदेह से बच नह ं सकते। उ ह अपने येक काय के लए संसद के त जवाबदेह होना होता है। यह परंपरा 1678 मे तब था पत हुई जब ांस ि थत राजदूत को एक प लखने के अपराध म संसद ने डे बी पर फौजदार अ भयोग लगाया। बचाव म उ ह ने कहा क प उ ह ने स ाट के आदेश से लखा था और स ाट कोई ु ट नह ं कर सकता इस लए वह नद ष है। कं तु संसद ने इस तक को वीकार नह ं कया और यह तपा दत कया क मं य क ु टय के लए वयं मं ी ह उ रदाई ह, स ाट नह ं। संसद म वरोधी दल के वारा छाया मं मंडल का गठन भी परंपरा पर आधा रत है, िजसका अि त व मा शासन को नयं त करता है। संसद भी च लत परंपराओं के वपर त जाकर कानून का नमाण नह ं कर सकती। इस कार वधा यका और कायपा लका दोन क शि तयां अ भसमय के कारण नयं त रहती है। 5. अ भसमय अ पसं यक के अ धकार क र ा करने म सहायक है। लोकतं म अ सर या डर बना रहता है क बहुमत वग के वारा अ पसं यक पर अ याचार कया जा सकता है। इस डर को अ भसमय दूर करते ह। टेन म अ पसं यक अ वेत एवं ए शयाई मूल के लोग को यह व वास है क जब कभी
  • 14. भी मं मंडल या संसद के वारा उनके अ धकार का उ लंघन करते हुए कोई काय कया जाएगा, तो अ भसमय ह उनक र ा करगे।के . सी . वीयर का भी मत है क “ अ भसमय अ पसं यक के अ धकार क र ा करते ह”। परंपरा अनुसार टश सरकार ‘मानवा धकार क वशन’ का पालन करने के लए बा य है। टश नाग रक के पास अमे रका या भारत के समान अपने अ धकार क र ा के लए कोई अ धकार प नह ं है और संसद य सव चता होने के कारण यायपा लका को या यक पुनर ण का अ धकार भी ा त नह ं है, फर भी टश नाग रक बहुत से अ धकार का उपयोग करते ह। इसम टश लोग क जाग कता के साथ साथ अ भसमय क भू मका भी मह वपूण है। 5. ​अ भसमय के कारण ह रा मंडल के व प म लचीलापन आया है - रा मंडल ऐसे देश का संगठन है, जो अतीत म टेन के उप नवेश रह चुके ह और आज वतं है, फर भी उनके वारा टश स ाट को आज भी कानूनी प म अपना सं भु शासक वीकार कया जाता है। रा मंडल देश के साथ टेन के संबंध म लचीलापन बनाए रखने म अ भसमय का बड़ा योगदान है। य द टश सरकार ने वा तव म अपनी सं भुता क दुहाई देते हुए रा मंडल देश पर अपना नणय थोपा होता , तो रा मंडल कब का भंग हो गया होता। कं तु परंपरा का पालन करते हुए स ाट इन देश के साथ औपचा रक संबंध पर आधा रत यवहार करता है, िजसके कारण इन देश के रा ा य और आम जनता दोन टश स ाट के त अपना भि त -भाव द शत करते ह। न कष प म यह कहा जा सकता है क टश सं वधान म परंपराओं का बहुत मह व है। अ भसमय के कारण ह सं वधान म लचीलापन आया है और इस लचीलेपन के कारण ह जैसा क है रसन ने लखा है “ टश शासन यव था कई तूफान का सामना कर पाई है।”
  • 15. References And Suggested Readings 1. Jennings,Cabinet Government 2. K.C. Wheare,Modern Constitution 3. Lowell,Government Of England 4. ukconstitutionallaw.org 5. www.parliament.uk 6. Britpolitics.co.uk मु य श द- ● अ भसमय ● कानून ● या यक मा यता ● नै तकता के आदेश ● लोकस ा ● जनादेश ● रा मंडल ● अ पसं यक ● मानवा धकार ● संसद ● मं मंडल ● राजपद ● कॉमन लॉ
  • 16. न- नबंधा मक न- 1. संवैधा नक अ भसमय से आप या समझते ह? टेन क संवैधा नक यव था म इनके मह व और भू मका को प ट क िजए। 2. अ भसमय और कानून म अंतर बताते हुए प ट क िजए क अ भसमय का पालन य कया जाता है। 3. टश राजनी तक यव था म च लत मुख संवैधा नक अ भसमय का वग करण क िजए। 4. अ भसमय के पालन के वषय म डायसी, लॉवेल और लॅा क के वचार को प ट क िजए। व तु न ठ न- 1. टेन म संवैधा नक परंपराओं के लए ‘अ भसमय’ श द का योग सव थम कसके वारा कया गया। [अ ] लॉवेल [ब ] लॅा क [स ] डायसी [द ] जे नं स 2. अ भसमय को खेल के नयम कसने कहा। [अ ] लावेल [ब ] ला क [स ] डायसी [द ] जे नं स 3. डायसी ने अ भसमय को कस प म तुत कया। [अ ] आचार यवहार के नयम [ब ] सं वधान संबंधी नै तकता के आदेश [ स ] संवैधा नक नयम [द ] शासन संबंधी नयम 4. कानून और अभी समय म न नां कत म से कौन सा अंतर मह वपूण है। [अ ] कानून मह वपूण होते ह, अ भसमय कम मह वपूण होते ह। [ब ] आम जनता कानून के पालन पर यादा जोर देती है, न क अ भसमय के । [स ] कानून के पीछे या यक मा यता होती है, जब क अ भसमय के पीछे या यक मा यता नह ं होती।
  • 17. [द ] कानून संसद वारा बनाए जाते ह, जब क अ भसमय जनता वारा। 5. अ प टता का वचार न नां कत म से कसके साथ जुड़ा है। [अ ] कानून [ब ] अ भसमय [ स ] या यक नणय [ द ] कॉमन लॉ 6. अ भसमय ‘अ पसं यक के अ धकार का र क’ कसने कहा है। [अ ] जे नं स [ब ] लॉवेल [स ] के .सी . वीयर [द ] ला क 7 . वैधा नक मा यता न होने के बावजूद अ भसमय के पीछे कौन सी शि त काय करती है । [ अ ] राजा के वशेषा धकार क शि त [ ब ] जनमत क शि त [स ] रा मंडल क शि त [ द ] मं मंडल क शि त 8. अ भसमय का पालन न करने पर कौन सा दंड दया जाता है। [अ ] कारावास [ब ] अथदंड [स ] दोन [ द ] कोई दंड नह ं दया जाता। 9. ‘ से लसबेर क वशन’ कस क शि तय को कम करता है। [ अ ] स ाट [ ब ] लॉड सभा [ स ] कॉमन सभा [ द ] मं मंडल 10. अ भसमय का कानून के समान पालन होने पर कस क सव चता भंग होती है। [ अ ] यायपा लका क [ ब ] संसद क [स ] स ाट क [ द ] जनता क उ र- 1. स 2. अ 3. ब 4. स 5. ब 6. स 7. ब 8. द 9. ब 10. ब