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कक्षा – ६
विषय – हिन्दी व्याकरण
प्रकरण – िाक्य
िाक्य
ऐसा शब्द-समूि जो अपना अर्थ स्पष्ट कर दे, िाक्य किलाता िै।
िाक्य भाषा की एक संपूणथ इकाई िोता िै। िाक्य के अंग कताथ और
क्रिया िाक्य के अननिायथ अंग िैं। इनके बिना िाक्य निीं िनते। िाक्य
में और भी अनेक तत्ि िोते िैं परंतु िाक्यों की रचना के ललए इन दो
तत्िों का िोना आिश्यक िै।
िाक्य के दो अंग िोते िैं:
• उद्देश्य
• विधेय
उद्देश्य
वाक्य में जिसके ववषय में कु छ बात कही िाए, उसे उद्देश्य कहते
हैं। नीचे ददए गए वाक्यों को पद़िए और शब्दों पर ध्यान दीजिए-
• गााँधीिी ने हमें स्वतंत्रता ददलाई।
• भारत एक प्राचीन देश है।
• बच्चे प़ि रहे हैं।
इन वाक्यों में गााँधीिी, भारत तथा बच्चे के ववषय में कु छ बताया
गया है। ये उद्देश्य हैं। “उद्देश्य” को कताा भी कहते हैं।
विधेय
िाक्य में उद्देश्य के विषय में जो कु छ किा जाता िै, िि विधेय किलाता िै। इसमें
क्रिया कमथ आहद आते िैं। इन िाक्यों में उद्देश्यों के िारे में कु छ-न-कु छ किा गया िै।
“िमें स्ितंत्रता हदलाई”, “प्राचीन देश िै” एिं “पढ़ रिे िैं” इसमें गााँधीजी, भारत एिं िच्चे
के िारे में किा गया िै। ये विधेय िैं। विधेय में कमथ और क्रिया आहद सम्ममललत रिते
िैं।
म्जस प्रकार कु छ शब्द उद्देश्य की विशेषता िताने के ललए आते िैं, उसी प्रकार कु छ
शब्द विधेय में आए “कमथ” और “क्रिया” की विशेषता िताने के ललए प्रयोग क्रकए जाते
िैं।
नीचे हदए गए उदािरणों को पहढ़ए-
1.राम प़िता है।
2.राम मन लगाकर प़िता है।
ऊपर के दोनों वाक्यों में “प़िता है” कमा है। दूसरे वाक्य में “मन लगाकर प़िता
है” कमा की ववशेषता बता रहे हैं। कमा की ववशेषता बताने वाले शब्द “कमा का
ववस्तार कहे िाते हैं।“
वाक्य के भेद
वाक्य के भेद के दो आधार हैं-
• (क) रचना के आधार पर वाक्य के भेद,
• (ख) अथा के आधार पर वाक्य के भेद
रचना के आधार पर
रचना के अनुसार िाक्य तीन प्रकार के िोते िैं-
• (क) सरल या साधारण िाक्य
• (ख) संयुक्त िाक्य
• (ग) लमश्रित िाक्य
सरल या साधारण वाक्य
जिस वाक्य में एक ही उद्देश्य (कताा) और एक
ही ववधेय हो, उसे सरल या साधारण वाक्य कहा
िाता है।
•(क) स्वाती खाना खा रही है।
•(ख) बाघ घूम रहा है।
•(ग) रोदहत गीता प़ि रहा है।
इन सब वाक्यों में कताा एक-एक है और क्रिया भी
एक-एक है। अतः ये सब वाक्य सरल वाक्य हैं।
संयुक्त िाक्य
जिााँ दो या दो से अश्रधक साधारण िाक्य क्रकसी
समुच्चयिोधक द्िारा जुडे रिते िैं, िे संयुक्त िाक्य
किलाते िैं। जैसे-
• (क) नेिा ने खाना खाया, िस्ता उठाया और
स्कू ल चली गई।
• (ख) मोर नाच रिा िै परंतु मोरनी चुपचाप िैठी
िै।
ये िाक्य दो-दो सरल उपिाक्यों से जुडे िुए िैं। इनको
और, परंतु अतः योजक- (समुच्चयिोधक) जोडे िुए िैं,
अतः ये संयुक्त िाक्य िैं।
ममश्रित वाक्य
जिन वाक्यों में एक उपवाक्य प्रधान और अन्य उपवाक्य गौण
होते हैं, उन्हें ममश्रित वाक्य कहते हैं। िैसे-
• (क) भूगोल में हमने प़िा है क्रक पृथ्वी गोल है।
• (ख) रवव आि स्कू ल नहीं आया क्योंक्रक वह बीमार है।
ममश्रित वाक्य में एक मुख्य या प्रधान उपवाक्य होता है और
दूसरा आश्रित या गौण वाक्य होता है। आश्रित उपवाक्य एक से
अश्रधक हो सकते हैं।उपवाक्य ममश्रित और संयुक्त वाक्यों में एक
से अश्रधक वाक्य समुच्चयबोधकों द्वारा िुडे होते हैं। वाक्य में
िुडे ऐसे वाक्यों को उपवाक्य कहते हैं।
उपवाक्य दो प्रकार के होते हैं:
1.आश्रित उपवाक्य,
2.स्वतंत्र उपवाक्य
आश्रित उपिाक्य
जो उपिाक्य अपने अर्थ के ललए दूसरे
पर आश्रित रिता िै, उसे आश्रित
उपिाक्य किते िैं। जैसे-
• (क) सीता ने िताया क्रक िि िीमार
िै।
• (ख) यि िि कमीज िै म्जसे मैंने
लुश्रधयाना में खरीदा र्ा।
उपयुथक्त िाक्यों में “िि िीमार िै” िाक्य
आश्रित उपिाक्य िैं।
स्ितंत्र उपिाक्य
िो उपवाक्य अपने अथा के मलए दूसरे वाक्य पर आश्रित
नहीं रहता, उसे स्वतंत्र उपवाक्य कहते हैं। िैसे-
• (क) ववमल पररिमी है परंतु उसका भाई आलसी
है।
• (ख) तुम प़ि लो या सो िाओ।
उपयुाक्त वाक्यों में प्रयुक्त दोनों वाक्य स्वतंत्र उपवाक्य
हैं। स्वतंत्र उपवाक्य “तथा”, “और”, “क्रकं तु”, “परंतु”, “या”
आदद अव्ययों से िुडे रहते हैं।
अर्थ के आधार पर िाक्य में भेद
अर्थ की दृम्ष्ट से िाक्य के आठ भेद िोते िैं:
• 1. विधानार्थक िाक्य
• 2. ननषेधात्मक या नकारात्मक
• 3. इच्छािाचक िाक्य
• 4. प्रश्निाचक िाक्य
• 5. आज्ञािाचक िाक्य
• 6. संके तिाचक िाक्य
• 7. विस्मयिाचक िाक्य
• 8. संदेििाचक िाक्य
विधानार्थक िाक्य
जिन वाक्यों से क्रकसी काया के करने का सामान्य बोध होता है,
उन्हें ववधानाथाक वाक्य कहते हैं। िैसे-
•(क) राके श व्यायाम कर रहा है। (काम का करना)
•(ख) गीता बीमार है। (बात का होना)
ननषेधात्मक या नकारात्मक िाक्य
िब वाक्य से क्रकसी बात के न होने या काम के करने का बोध
हो, उसे ननषेधात्मक या नकारात्मक वाक्य कहते हैं। िैसे-
•(क) आयुष व्यायाम नहीं कर रहा है।
•(ख) कक्षा में शोर मत मचाओ।
इच्छािाचक िाक्य
जिन वाक्यों से दूसरों के मलए आशीवााद, इच्छा आदद का
बोध हो, उन्हें इच्छावाचक वाक्य कहते हैं। िैसे-
• (क) आपका िीवन सुखी हो। भगवान सबका भला
करे।
• (ख) अब चमलए बहुत थक गए हैं।
प्रश्निाचक िाक्य
जिन वाक्यों में प्रश्न पूछा िाए, उन्हें प्रश्नवाचक वाक्य
कहते हैं। िैसे-
• (क) तुम्हारे वपतािी का क्या नाम है?
• (ख) कल तुम कहााँ गए थे?
आज्ञािाचक िाक्य
जिन वाक्यों से आज्ञा, अनुमनत, प्राथाना आदद का बोध
हो, उन्हें आज्ञावाचक कहते हैं। िैसे-
• (क) सदा सत्य बोलो।
• (ख) तुम यहााँ से चले िाओ।
संके तिाचक िाक्य
जिस वाक्य के द्वारा संके त या शता का बोध हो, उसे
संके तवाचक वाक्य कहा िाता है। िैसे-
• (क) प्रणव का फोन आएगा तो आयुष िाएगा।
(शता)
• (ख) वषाा रुक िाती तो बािार िाते। (संके त)
विस्मयिाचक िाक्य
जिन वाक्यों के द्वारा ववस्मय, हषा, शोक, घृणा, प्रशंसा आदद के भाव प्रकट
क्रकए िाते हैं, उन्हें ववस्मयाददवाचक वाक्य कहते हैं। िैसे-
•(क) शाबाश! तुमने कमाल कर ददया। (हषा)
•(ख) अरे! तुम आ गए। (ववस्मय)
संदेििाचक िाक्य
जिन वाक्यों में काम होने के प्रनत संदेह या सम्भावना हो, उन्हें संदेहवाचक
वाक्य कहते हैं। िैसे-
•(क) पता नहीं कववता आएगी या नहीं। (संदेह)
•(ख) आि वषाा हो सकती है। (संभावना)
िाक्यों का रूपांतरण
1.वाच्य में पररवतान करके
2.रचना की दृजटट से वाक्यों का रूपांतरण
3.अथा की दृजटट से वाक्य पररवतान
वाच्य में पररवतान करके इस प्रकार के पररवतान
में कु छ शब्द, योिक आदद अपनी ओर से
िोडने पडते हैं, क्रकन्तु यह ध्यान रखना चादहए
क्रक वाक्य के अथा में पररवतान न हो। कु छ
उदाहरण नीचे ददए िा रहे हैं-
िाक्य प्रकार िाक्य
(क) साधारण वाक्य राके श के आते ही रमेश चल ददया।
ममश्रित वाक्य िैसे ही राके श आया, रमेश चल ददया।
संयुक्त वाक्य रोकश आया और रमेश चल ददया।
(ख) साधारण वाक्य बच्चे स्कू ल प़िने िा रहे हैं।
ममश्रित वाक्य बच्चे इसमलए स्कू ल िा रहे हैं ताक्रक वे वहााँ प़िाई कर सकें ।
संयुक्त वाक्य बच्चे इसमलए स्कू ल िा रहे हैं ताक्रक वे वहााँ प़िाई कर सकें ।
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  • 1. कक्षा – ६ विषय – हिन्दी व्याकरण प्रकरण – िाक्य
  • 2. िाक्य ऐसा शब्द-समूि जो अपना अर्थ स्पष्ट कर दे, िाक्य किलाता िै। िाक्य भाषा की एक संपूणथ इकाई िोता िै। िाक्य के अंग कताथ और क्रिया िाक्य के अननिायथ अंग िैं। इनके बिना िाक्य निीं िनते। िाक्य में और भी अनेक तत्ि िोते िैं परंतु िाक्यों की रचना के ललए इन दो तत्िों का िोना आिश्यक िै। िाक्य के दो अंग िोते िैं: • उद्देश्य • विधेय
  • 3. उद्देश्य वाक्य में जिसके ववषय में कु छ बात कही िाए, उसे उद्देश्य कहते हैं। नीचे ददए गए वाक्यों को पद़िए और शब्दों पर ध्यान दीजिए- • गााँधीिी ने हमें स्वतंत्रता ददलाई। • भारत एक प्राचीन देश है। • बच्चे प़ि रहे हैं। इन वाक्यों में गााँधीिी, भारत तथा बच्चे के ववषय में कु छ बताया गया है। ये उद्देश्य हैं। “उद्देश्य” को कताा भी कहते हैं।
  • 4. विधेय िाक्य में उद्देश्य के विषय में जो कु छ किा जाता िै, िि विधेय किलाता िै। इसमें क्रिया कमथ आहद आते िैं। इन िाक्यों में उद्देश्यों के िारे में कु छ-न-कु छ किा गया िै। “िमें स्ितंत्रता हदलाई”, “प्राचीन देश िै” एिं “पढ़ रिे िैं” इसमें गााँधीजी, भारत एिं िच्चे के िारे में किा गया िै। ये विधेय िैं। विधेय में कमथ और क्रिया आहद सम्ममललत रिते िैं। म्जस प्रकार कु छ शब्द उद्देश्य की विशेषता िताने के ललए आते िैं, उसी प्रकार कु छ शब्द विधेय में आए “कमथ” और “क्रिया” की विशेषता िताने के ललए प्रयोग क्रकए जाते िैं।
  • 5. नीचे हदए गए उदािरणों को पहढ़ए- 1.राम प़िता है। 2.राम मन लगाकर प़िता है। ऊपर के दोनों वाक्यों में “प़िता है” कमा है। दूसरे वाक्य में “मन लगाकर प़िता है” कमा की ववशेषता बता रहे हैं। कमा की ववशेषता बताने वाले शब्द “कमा का ववस्तार कहे िाते हैं।“
  • 6. वाक्य के भेद वाक्य के भेद के दो आधार हैं- • (क) रचना के आधार पर वाक्य के भेद, • (ख) अथा के आधार पर वाक्य के भेद
  • 7. रचना के आधार पर रचना के अनुसार िाक्य तीन प्रकार के िोते िैं- • (क) सरल या साधारण िाक्य • (ख) संयुक्त िाक्य • (ग) लमश्रित िाक्य
  • 8. सरल या साधारण वाक्य जिस वाक्य में एक ही उद्देश्य (कताा) और एक ही ववधेय हो, उसे सरल या साधारण वाक्य कहा िाता है। •(क) स्वाती खाना खा रही है। •(ख) बाघ घूम रहा है। •(ग) रोदहत गीता प़ि रहा है। इन सब वाक्यों में कताा एक-एक है और क्रिया भी एक-एक है। अतः ये सब वाक्य सरल वाक्य हैं।
  • 9. संयुक्त िाक्य जिााँ दो या दो से अश्रधक साधारण िाक्य क्रकसी समुच्चयिोधक द्िारा जुडे रिते िैं, िे संयुक्त िाक्य किलाते िैं। जैसे- • (क) नेिा ने खाना खाया, िस्ता उठाया और स्कू ल चली गई। • (ख) मोर नाच रिा िै परंतु मोरनी चुपचाप िैठी िै। ये िाक्य दो-दो सरल उपिाक्यों से जुडे िुए िैं। इनको और, परंतु अतः योजक- (समुच्चयिोधक) जोडे िुए िैं, अतः ये संयुक्त िाक्य िैं।
  • 10. ममश्रित वाक्य जिन वाक्यों में एक उपवाक्य प्रधान और अन्य उपवाक्य गौण होते हैं, उन्हें ममश्रित वाक्य कहते हैं। िैसे- • (क) भूगोल में हमने प़िा है क्रक पृथ्वी गोल है। • (ख) रवव आि स्कू ल नहीं आया क्योंक्रक वह बीमार है। ममश्रित वाक्य में एक मुख्य या प्रधान उपवाक्य होता है और दूसरा आश्रित या गौण वाक्य होता है। आश्रित उपवाक्य एक से अश्रधक हो सकते हैं।उपवाक्य ममश्रित और संयुक्त वाक्यों में एक से अश्रधक वाक्य समुच्चयबोधकों द्वारा िुडे होते हैं। वाक्य में िुडे ऐसे वाक्यों को उपवाक्य कहते हैं। उपवाक्य दो प्रकार के होते हैं: 1.आश्रित उपवाक्य, 2.स्वतंत्र उपवाक्य
  • 11. आश्रित उपिाक्य जो उपिाक्य अपने अर्थ के ललए दूसरे पर आश्रित रिता िै, उसे आश्रित उपिाक्य किते िैं। जैसे- • (क) सीता ने िताया क्रक िि िीमार िै। • (ख) यि िि कमीज िै म्जसे मैंने लुश्रधयाना में खरीदा र्ा। उपयुथक्त िाक्यों में “िि िीमार िै” िाक्य आश्रित उपिाक्य िैं।
  • 12. स्ितंत्र उपिाक्य िो उपवाक्य अपने अथा के मलए दूसरे वाक्य पर आश्रित नहीं रहता, उसे स्वतंत्र उपवाक्य कहते हैं। िैसे- • (क) ववमल पररिमी है परंतु उसका भाई आलसी है। • (ख) तुम प़ि लो या सो िाओ। उपयुाक्त वाक्यों में प्रयुक्त दोनों वाक्य स्वतंत्र उपवाक्य हैं। स्वतंत्र उपवाक्य “तथा”, “और”, “क्रकं तु”, “परंतु”, “या” आदद अव्ययों से िुडे रहते हैं।
  • 13. अर्थ के आधार पर िाक्य में भेद अर्थ की दृम्ष्ट से िाक्य के आठ भेद िोते िैं: • 1. विधानार्थक िाक्य • 2. ननषेधात्मक या नकारात्मक • 3. इच्छािाचक िाक्य • 4. प्रश्निाचक िाक्य • 5. आज्ञािाचक िाक्य • 6. संके तिाचक िाक्य • 7. विस्मयिाचक िाक्य • 8. संदेििाचक िाक्य
  • 14. विधानार्थक िाक्य जिन वाक्यों से क्रकसी काया के करने का सामान्य बोध होता है, उन्हें ववधानाथाक वाक्य कहते हैं। िैसे- •(क) राके श व्यायाम कर रहा है। (काम का करना) •(ख) गीता बीमार है। (बात का होना) ननषेधात्मक या नकारात्मक िाक्य िब वाक्य से क्रकसी बात के न होने या काम के करने का बोध हो, उसे ननषेधात्मक या नकारात्मक वाक्य कहते हैं। िैसे- •(क) आयुष व्यायाम नहीं कर रहा है। •(ख) कक्षा में शोर मत मचाओ।
  • 15. इच्छािाचक िाक्य जिन वाक्यों से दूसरों के मलए आशीवााद, इच्छा आदद का बोध हो, उन्हें इच्छावाचक वाक्य कहते हैं। िैसे- • (क) आपका िीवन सुखी हो। भगवान सबका भला करे। • (ख) अब चमलए बहुत थक गए हैं। प्रश्निाचक िाक्य जिन वाक्यों में प्रश्न पूछा िाए, उन्हें प्रश्नवाचक वाक्य कहते हैं। िैसे- • (क) तुम्हारे वपतािी का क्या नाम है? • (ख) कल तुम कहााँ गए थे?
  • 16. आज्ञािाचक िाक्य जिन वाक्यों से आज्ञा, अनुमनत, प्राथाना आदद का बोध हो, उन्हें आज्ञावाचक कहते हैं। िैसे- • (क) सदा सत्य बोलो। • (ख) तुम यहााँ से चले िाओ। संके तिाचक िाक्य जिस वाक्य के द्वारा संके त या शता का बोध हो, उसे संके तवाचक वाक्य कहा िाता है। िैसे- • (क) प्रणव का फोन आएगा तो आयुष िाएगा। (शता) • (ख) वषाा रुक िाती तो बािार िाते। (संके त)
  • 17. विस्मयिाचक िाक्य जिन वाक्यों के द्वारा ववस्मय, हषा, शोक, घृणा, प्रशंसा आदद के भाव प्रकट क्रकए िाते हैं, उन्हें ववस्मयाददवाचक वाक्य कहते हैं। िैसे- •(क) शाबाश! तुमने कमाल कर ददया। (हषा) •(ख) अरे! तुम आ गए। (ववस्मय) संदेििाचक िाक्य जिन वाक्यों में काम होने के प्रनत संदेह या सम्भावना हो, उन्हें संदेहवाचक वाक्य कहते हैं। िैसे- •(क) पता नहीं कववता आएगी या नहीं। (संदेह) •(ख) आि वषाा हो सकती है। (संभावना)
  • 18. िाक्यों का रूपांतरण 1.वाच्य में पररवतान करके 2.रचना की दृजटट से वाक्यों का रूपांतरण 3.अथा की दृजटट से वाक्य पररवतान वाच्य में पररवतान करके इस प्रकार के पररवतान में कु छ शब्द, योिक आदद अपनी ओर से िोडने पडते हैं, क्रकन्तु यह ध्यान रखना चादहए क्रक वाक्य के अथा में पररवतान न हो। कु छ उदाहरण नीचे ददए िा रहे हैं-
  • 19. िाक्य प्रकार िाक्य (क) साधारण वाक्य राके श के आते ही रमेश चल ददया। ममश्रित वाक्य िैसे ही राके श आया, रमेश चल ददया। संयुक्त वाक्य रोकश आया और रमेश चल ददया। (ख) साधारण वाक्य बच्चे स्कू ल प़िने िा रहे हैं। ममश्रित वाक्य बच्चे इसमलए स्कू ल िा रहे हैं ताक्रक वे वहााँ प़िाई कर सकें । संयुक्त वाक्य बच्चे इसमलए स्कू ल िा रहे हैं ताक्रक वे वहााँ प़िाई कर सकें ।