WASH( Water Sanitation and Hygiene) by Dr Sushma Singh
Chapter 10 development Class Xi political Science
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अध्याय -10
विकास
संकु चित रूप में इसका प्रयोग प्रायः आचथिक विकास की दर में िृद्चि और समाज आिुनिकीकरण
के संदर्ि में ककया जाता हैं । व्यापक अथि में विकास उन्िनत प्रगनत, कल्याण और बेहतर जीिि
की अभर्लाषा के वििारों का िाहक हैं । इसमें आचथिक उन्िनत के साथ -साथ जीिि की गुणित्ता
में िृद्चि को र्ी शाभमल ककया जाता हैं । सतत विकास की अििारणा के तहत आगामी पीढ़ियों
की आिश्यकताओं ि संसाििों के साथ बबिा समझौता ककए ितिमाि पीढ़ियों की आिश्यकताओं
को पूरा करिे से हैं । विकास की दृष्टि से विश्ि को तीि श्रेणणयों – विकभसत देश, विकासशील
देश, ि अल्प विकभसत देश ।
अविकभसत या विकासशील देशों िे पष्श्िमी यूरोप के अमीर देशों और अमेररका से तुलिा करिे
के भलए औद्योगीकरण एिं विस्तार के जररये तेज आचथिक उन्िनत का लक्ष्य नििािररत ककया और
यह भसर्ि राज्य सत्ता के माध्यम से ही संर्ि हैं । अिेक विकासशील देशों ष्जसमें र्ारत र्ी एक
था िे विकभसत देशों की मदद से अिेक महत्िाकांक्षी योजिाओं का सूत्र पात ककया । विभर्न्ि
ढ़हस्सों में इस्पात संयन्त्रों की स्थापिा, खिि उििरक उत्पादि और कृ वष तकिीकों में सुिार
जैसी अिेक िृहत पररयोजिाओं के माध्यम से देश की सम्पदा में बिौतरी करिा ि आचथिक विकास
की प्रकिया को तेज करिा था । इस मॉडल से विकास के भलए ऊजाि का अचिकाचिक उपयोग
होता हैं । ष्जसमें इसकी कीमत समाज और पयाििरण दोिों को िुकािी पड़ती हैं ।
विकासशील देशों के भलए कार्ी महंगा साबबत हुआ । इसमें वित्तीय लागत बहुत अचिक रहीं ष्जससे
िह दीर्िकालीि कजि में दब गये । बांिों के निमािण, औद्योचगक गनतविचियों और खािा कायों की
िजह से बड़ी संख्या में लोगों का उिके र्रों और क्षेत्रों से विस्थापि हुआ । विस्थापि से परंपरागत
कौशल िटि हो गए । उिकी संस्कृ नत का र्ी वििाश हुआ क्योंकक विस्थापि से दररद्रता के साथ
-साथ लोगों की सामुदानयक जीिि पद्िनत खो जाती हैं । विशाल र्ू- र्ाग बड़े बांिों के कारण
डूब जाते हैं ष्जससे पररष्स्थनत का संतुलि बबगड़ जाता हैं । ऊजाि के उत्तर तर बिते उपयोग से
पयाििरण को िुकसाि होता हैं । क्योंकक इससे ग्रीि हाउस गैसों का उत्सजिि होता हैं । िायुमंडल
में ग्रीि हाउस गैसों के उत्सजिि की िजह से आकि ढ़िक और अन्िाकि ढ़िक ध्रुिों पर बर्ि वपर्ल रहीं
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हैं । पररणामस्िरूप बांग्लादेश एिं मालदीि जैसे निम्ि र्ूभम िाले क्षेत्रों को डुबो देिे में सक्षम हैं
। विकास का र्ायदा विकासशील देशों में निम्ितर िगि तक िहीं पहुंिा इस कारण से समाज
में आचथिक असमािता और बि गई हैं । सिािचिक निििि एिं िंचित तबकों के जीिि स्तर में
सुिार िहीं आया ।
लोकताष्न्त्रक सहर्ाचगता के आिार पर विकास की रणिीनतयों में स्थािीय निणियकारी संस्थाओं
की र्ागीदारी सुनिष्श्ित करिा । ‘ऊपर से िीिे’ की रणिीनत को त्यागते हुए विकास की
प्राथभमकताओं, रणिीनतयों के ियि ि पररयोजिाओं के िास्तविक कायािन्ियि में स्थािीय लोगों
के अिुर्िों को महत्ि देिा तथा उिके साथ का उपयोग करिे के भलए उिकी र्ागीदारी को बिािा
हैं । न्यायपूणि और सतत विकास की अििारणा को महत्ि देिा । प्राकृ नतक संसाििों को सुरक्षक्षत
ि संरक्षक्षत रखिे के प्रयास ककए जािे िाढ़हए । हमें अपिी जीिि शैली को बदलकर साििों का
कम से कम प्रयोग करिा िाढ़हए ष्जिका ििीिीकरण िहीं हो सकता । विकास की महंगी पयाििरण
को िुकसाि पहुुँििे िाली प्रौद्योचगकी से संिाभलत सोि से दूर होिे की कोभशश करता हैं ।
मािि विकास सूिकांक और र्ारत की ष्स्थनत
मािि विकास के मापिे का एक तरीका हैं ‘मािि विकास प्रनतिेदि’ ष्जसे संयुक्त राटर विकास
कायििम (UNDP) िावषिक तौर पर प्रकाभशत करता हैं । इस प्रनतिेदि में साक्षरता और शैक्षक्षक
स्तर, आयु, संर्ावित और मातृ -मृत्यु दर जैसे विभर्न्ि सामाष्जक संके तकों के आिार पर देशों
का दजाि नििािररत ककया जाता हैं ।
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