WASH( Water Sanitation and Hygiene) by Dr Sushma Singh
Chapter 4 the executive XI Political Science
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अध्याय- 4
काययपालिका
काययपालिका का अर्य
सरकार के उस अंग से हैं जो कायदे – कानूनों को संगठन में रोजाना िागू करते हैं । सरकार का
वह अंग जो लनयमों क़ानूनों को िागू करता हैं और प्रशासन का काम करता हैं काययपालिका
कहिाता हैं । काययपालिका लवधालयका द्वारा स्वीकृ त नीलतयों और कानूनों को िागू करने के लिए
लजम्मेदार हैं ।
काययपालिका
काययपालिका में के वि राष्ट्रपलत, प्रधानमंत्री या मंत्री नहीं होते बल्कि इसके अंदर पूरा प्रशासलनक
ढांचा ( लसलवि सेवा के सदस्य) भी आते हैं ।
राजनीलतक काययपालिका
राजनीलतक काययपालिका में सरकार के प्रधान और उनके मंलत्रयों को सल्कम्मलित लकया जाता हैं ।
ये सरकार की सभी नीलतयों के लिए उत्तरदायी होते हैं ।
स्र्ायी काययपालिका
स्र्ायी काययपालिका में जो िोग रोज –रोज के प्रशासन के लिए उत्तरदायी होते हैं, को सल्कम्मलित
लकया जाता हैं ।
अमेररका
अमेररका में अध्याक्षात्मक व्यवस्र्ा हैं और काययकारी शल्कियााँ राष्ट्रपलत के पास होती हैं ।
कनाडा
कनाडा में संसदीय िोकतन्त्र और संवैधालनक राजतंत्र हैं लजसमें महारानी राज्य की प्रधान और
प्रधानमंत्री सरकार का प्रधान हैं ।
फ्ांस
फ्ांस में राष्ट्रपलत और प्रधानमंत्री अर्द्य- अध्यक्षात्मक व्यवस्र्ा के लहस्से हैं । राष्ट्रपलत प्रधानमंत्री और
अन्य मंलत्रयों की लनयुल्कि करता हैं पर उन्हें पद से हटा नहीं सकता क्ोंलक वे संसद के प्रलत
उत्तरदायी होते हैं ।
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जापान
जापान में संसदीय व्यवस्र्ा हैं लजसमें राजा देश का और प्रधानमंत्री सरकार का प्रधानमंत्री होता
हैं ।
इटिी
इटिी में एक संसदीय व्यवस्र्ा हैं लजसमें राष्ट्रपलत देश का और प्रधानमंत्री सरकार का प्रधान हैं ।
रूस
रूस में एक अर्द्य –अध्यक्षात्मक व्यवस्र्ा हैं लजसमें राष्ट्रपलत देश का प्रधान और राष्ट्र पलत द्वारा
लनयुि प्रधानमंत्री सरकार का प्रधान होता हैं ।
जमयनी
जमयनी में एक संसदीय व्यवस्र्ा हैं लजसमें राष्ट्रपलत नाम मात्र का प्रधान और चांसिर सरकार का
प्रधान होता हैं ।
अध्याक्षात्मक व्यवस्र्ा
अध्याक्षात्मक व्यवस्र्ा में राष्ट्रपलत देश और सरकार दोनों का ही प्रधान होता हैं । इस वयवस्र्ा में
लसर्द्ान्त और व्यवहार दोनों में ही राष्ट्रपलत का पद शल्किशािी होता हैं । अमेररका ब्राज़ीि और
िेलटन अमेररका के कई देशों में यह व्यवस्र्ा पाई जाती हैं ।
संसदीय व्यवस्र्ा
संसदीय व्यवस्र्ा में प्रधानमंत्री सरकार का प्रधान होता हैं इस व्यवस्र्ा में एक राष्ट्रपलत या राजा
होता हैं जो देश का नाममात्र का प्रधान होता हैं । प्रधानमंत्री के पास वास्तलवक शल्कि होती हैं ।
भारत, जमयनी, इटिी, जापान, इंग्लैंड और पुतयगाि आलद देशों में यह व्यवस्र्ा हैं ।
अर्द्य- अध्यक्षात्मक व्यवस्र्ा
अर्द्य- अध्यक्षात्मक व्यवस्र्ा में राष्ट्रपलत और प्रधानमंत्री दोनों होते हैं िेलकन उसमें राष्ट्रपलत को
दैलनक कायों के सम्पादन में महत्वपूर्य शल्कियााँ प्राप्त हो सकती हैं । फ्ांस, रूस और श्रीिंका में
ऐसी ही वयवस्र्ा हैं ।
भारत में संसदीय काययपालिका
हमारे संलवधान लनमायता यह चाहते र्े सरकार की शल्कियााँ ऐसी हो जो जनता की अपेक्षाओं के
प्रलत संवेदनशीि और उत्तरदायी हो ऐसा के वि संसदीय काययपालिका में ही संभव र्ा ।
3. 3
अध्यक्षात्मक काययपालिका क्ूंलक राष्ट्रपलत की शल्कियों पर बहुत बि देती हैं इसमें व्यल्कि पूजा का
खतरा बना रहता हैं । संलवधान लनमायता एक ऐसी सरकार चाहते र्े लजसमें एक शल्किशािी
काययपालिका तो हो, िेलकन सार् –सार् उसमें विी पूजा पर भी अंकु श िगे हो ।
संसदीय व्यवस्र्ा में काययपालिका लवधालयका या जनता के प्रलत उत्तरदायी होती हैं और लनयंलत्रत
भी । इसलिए संलवधान में राष्ट्रीय और प्रांतीय दोनों ही स्तरों पर संसदीय काययपालिका की
व्यवस्र्ा को स्वीकार लकया गया ।
भारत में इस व्यवस्र्ा में राष्ट्रपलत, औपचाररक प्रधान होता हैं तर्ा प्रधानमंत्री और मंत्री पररषद
राष्ट्रीय स्तर पर सरकार चिाते हैं । राज्यों के स्तर पर राज्यपाि मुख्यमंत्री और मंलत्रपररषद
लमिकर काययपालिका बनाते हैं ।
औपचाररक रूप से संघ की काययपालिका शल्कियााँ राष्ट्रपलत को दी गई हैं । परंतु वास्तलवक रूप से
प्रधानमंत्री तर् मंलत्रपररषद के माध्यम से राष्ट्रपलत इन शल्कियों का प्रयोग करता हैं । राष्ट्रपलत 5 वषय
के लिए चुना जाता हैं वह भी अप्रत्यक्ष तरीके से, लनवायलचत सांसद और लवध्यक करते हैं । यह
लनवायचन समानुपालतक प्रलतलनलधत्व की प्रर्ािी और एकि संक्रमर्ीय मत के लसर्द्ांत के अनुसार
होता हैं ।
संसद राष्ट्रपलत को महालभयोग की प्रलक्रया के द्वारा उसके पद से हटा सकती हैं । महालभयोग के वि
संलवधान के उल्लंघन के आधार पर िगाया जा सकता हैं ।
राष्ट्रपलत की शल्कि और ल्कस्र्लत
एक औपचाररक प्रधान हैं : राष्ट्रपलत को वैसे तो बहुत सी काययकारी, लवधायी ( कानून बनाना)
कानूनी और आपात शल्कियां प्राप्त हैं परंतु इस सभी शल्कियों का प्रयोग वह मंत्री पररषद की
सिाह पर करता हैं ।
राष्ट्रपलत के लवशेषालधकार
संवैधालनक रूप से राष्ट्रपलत को सभी महत्वपूर्य मुद्ों और मंलत्रपाइशद की काययवाही के बारे में
सूचना प्राप्त करने का अलधकार होता हैं ।
1 सदनों को पुनलवयचार के लिए िौटा सकता हैं ।
2 वीटो शल्कि का प्रयोग करके संसद द्वारा पाररत लवधेयकों को स्वीकृ लत देने में लविंम्ब ।
3 चुनाव के बाद कई नेताओं के दवे के समय यह लनर्यय करें लक कौन प्रधानमंत्री बनेगा ?
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आल्कखर राष्ट्रपलत पद की क्ा आवश्यकता हैं ?
संसदीय व्यवस्र्ा में समर्यन न रहने पर, मंलत्रपररषद को कभी हटाया जा सकता हैं , ऐसे समय में
एक ऐसे राष्ट्र प्रमुख की आवश्यकता पड़ती हैं लजसका काययकाि स्र्ायी हो , जो सांके लतक रूप से
पूरे देश का प्रलतलनलधत्व कर सके ।
राष्ट्रपलत की अनुपस्र्लत में उपराष्ट्रपलत ये सभी कायय करते हैं ।
भारत का उपराष्ट्रपलत
भारत का उपराष्ट्रपलत पााँच वषय के लिए चुना जाता हैं । लजस तरह राष्ट्रपलत को चुना जाता हैं । वह
राज्यसभा का पदेन सभापलत होता हैं और राष्ट्रपलत की मृत्यु , त्यागपत्र, महा लभयोग द्वारा हटाये
जाने या अन्य लकसी कारर् से पद ररि होने पर वह काययवाहक राष्ट्रपलत का काम करता हैं ।
प्रधानमंत्री और मंलत्रपररषद
प्रधानमंत्री िोकसभा में बहुमत प्राप्त दि का नेता होता हैं । जैसे ही वह बहुमत खो देता हैं , वह
अपना पद भी खो देता हैं ।
प्रधानमंत्री, मंलत्रपररषद का प्रधान ही तय करता हैं लक उसके मंलत्रपररषद में कौन िोग मंत्री होंगे ।
प्रधानमंत्री ही लवलभन्न मंलत्रयों के पद स्तर और मंत्राियों का आबंटन करता हैं । इसी कारर् वह मंत्री
पररषद का प्रधान भी होता हैं ।
प्रधानमंत्री तर्ा सभी मंलत्रयों के लिए संसद का सदस्य होना अलनवायय हैं । संसद का सदस्य हुए
लबना यलद कोई व्यल्कि मंत्री या प्रधानमंत्री बन जाता हैं तो उसे छ्ह महीने के भीतर ही संसद (लकसी
भी सदन) के सदस्य के रूप में लनवायलचत होना पड़ता हैं ।
मंलत्रपररषद का आकार लकतना होना चालहए
संलवधान के 91 वे संशोधन के द्वारा यह व्यवस्र्ा की गई लक मंलत्रपररषद के सदस्यों की संख्या
िोकसभा या राज्यों की लवधानसभा की कु ि सदस्य संख्या का 15 % से अलधक नहीं होनी
चालहए ।
मंलत्रपररषद िोकसभा के प्रलत सामूलहक रूप से उत्तरदायी हैं । इसका अर्य हैं जो सरकार
िोकसभा में लवश्वास खो देती हैं उसे त्यागपत्र देना पड़ता हैं । यह लसर्द्ांत मंलत्रमंडि की एकजुटता
के लसर्द्ांत पर आधाररत हैं । इसकी भावना यह यह हैं लक यलद लकसी मंत्री के लवरुर्द् भी अलवश्वास
प्रस्ताव पाररत हो जाता हैं तो सम्पूर्य मंलत्रपररषद को त्यागपत्र देना पड़ता हैं ।
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प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री का स्र्ान, सरकार में सवोपरर हैं । मंलत्रपररषद तभी अल्कस्तत्व में आती हैं जब प्रधानमंत्री
अपने पद की शपर् ग्रहर् कर िेता हैं । प्रधानमंत्री की मृत्यु या त्यागपत्र से पूरी मंलत्रपररषद भंग हो
जाती हैं ।
प्रधानमंत्री सरकार की धुरी होता हैं । प्रधानमंत्री एक तरफ मंलत्रपररषद तर्ा दू सरी तरफ राष्ट्रपलत
और संसद के बीच सेतु का काम करता हैं । वह संघीय मामिों के प्रशासन और प्रस्तालवत क़ानूनों
के बारे में राष्ट्रपलत को सूलचत करता हैं ।
प्रधानमंत्री की शल्कि के स्रोत
मंलत्रपररषद पर लनयंत्रर्
िोकसभा का नेतृत्व
मीलडया तक पहुाँच
चुनाव के दौरान उसका व्यल्किगत उभार
अंतरायष्ट्रीय सम्मेिनों में राष्ट्रीय नेता की छलव
अलधकारी वगय पर आलधपत्य
लवदेशी यात्राओं के दौरान नेता की छलव
पाके ट बाक्स
गठबंधन की सरकारों की वजह से प्रधानमंत्री की शल्कियों में काफी पररवतयन आ गए हैं । 1989
से भारत में हमने गठबंधन सरकारों का युग देखा हैं । इनमें से कु छ सरकारें तो िोकसभा की पूरी
अवलध तक भी सत्ता में आ रह सकीं । ऐसे में प्रधानमंत्री का पद उतना शल्किशािी नहीं रहा
लजतना एक दि की बहुमत वािी सरकार में होता हैं ।
प्रधानमंत्री पद की शल्कियों में आए बदिाव
1 प्रधानमंत्री के चयन में राष्ट्रपलत की भूलमका बढ़ी हैं ।
2 राजनीलतक सहयोलगयों से परामशय की प्रवृलत बढ़ी हैं ।
3 प्रधानमंत्री के लवशेषालधकार पर अंकु श िगा हैं ।
4 सहयोगी दिों के सार् बातचीत तर्ा समझौते के बाद ही नीलतयााँ बनती हैं ।
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राज्यों में काययपालिका का स्वरूप
राज्यों में एक राज्यपाि होता हैं जो (कें द्रीय सरकार की सिाह पर) राष्ट्रपलत द्वारा लनयुि होता
हैं । मुख्य मंत्री लवधान सभा में बहुमत दि का नेता होता हैं । बाकी सभी लसर्द्ांत वहीं हैं जो कें द्र
सरकार में संसदीय व्यवस्र्ा होने के कारर् िागू हैं ।
स्र्ायी काययपालिका (नौकरशाही )
काययपालिका में मुख्यत: राष्ट्रपलत, प्रधानमंत्री, मंत्रीगर् और नौकरशाही या प्रशासलनक मशीनरी
का एक लवशाि संगठन, सम्मलित होता हैं । इसे नागररक सेवा भी कहते हैं । नौकरशाही में
सरकार के स्र्ाई कमयचारी के रूप में कायय करने वािे प्रलशलक्षत और प्रवीर् अलधकारी नीलतयों को
बनाने में तर्ा उन्हें िागू करने में मंलत्रयों का सहयोग करते हैं ।
भारत में एक दक्ष प्रशालिक मशीनरी मौजूद हैं िेलकन यह मशीनरी राजनीलतक रूप से उत्तरदायी
हैं इसका अर्य हैं लक नौकरशाही राजनीलतक रूप से तटस्र् हैं । प्रजातंत्र में सरकारे आती जाती
रहती हैं । ऐसी ल्कस्र्लत में, प्रशासलनक मशीनरी की यह लजम्मेदारी हैं लक वह नई सरकारों को
अपनी नीलतयााँ बनाने में और उन्हें िागू करने में मदद करें ।
नौकरशाही के सदस्यों का चुनाव
नौकरशाही में अल्कखि भारतीय सेवाएाँ प्रांतीय सेवाएाँ , स्र्ानीय सरकार के कमयचारी और िोक
उप्क्क्र् मोन के तकनीकी एवं प्रबंधकीय अलधकारी सल्कम्मलित हैं । भारत में लसलवि सेवा के सदस्यों
की भती की प्रलक्रया का कायय संघ िोक सेवा आयोग (यू. पी.एस.सी.) को सौपा गया हैं ।
ऐसा ही िोकसेवा आयोग राज्यों में भी बनाए गए हैं लजन्हें राज्य िोक सेवा आयोग कहा जाता हैं ।
िोक सेवा आयोग के सदस्यों का काययकाि लनलित होता हैं उनको सवोच्च न्यायािय के
नयायाधीश के द्वारा की गई जााँच के आधार पर ही लनिंलबत या अपदस्र् लकया जा सकता हैं ।
िोक सेवकों की लनयुल्कि दक्षता व योग्यता को आधार बनाकर की जाती हैं संलवधान ने लपछड़ें वगों
के सार् –सार् समाज के सभी वगों को सरकारी नौकरशाही बनने का मौका लदया हैं इसके लिए
संलवधान दलित और आलदवासीयों िे लिए आरक्षर् की व्यवस्र्ा करता हैं ।
लसलवि सेवाओं का वगीकरर्
आल्कखि भारतीय सेवाएाँ – भारतीय प्रशासलनक सेवा भारतीय पुलिस सेवा ।
कें द्रीय सेवाएाँ भारतीय लवदेश सेवा भारतीय सीमा शुि ।
प्रांतीय सेवाएाँ लडप्टी किेक्टर लबक्री कर अलधकारी ।
7. 7
भारतीय प्रशासलनक सेवा (आई. ए. एस.) तर्ा भारतीय पुलिस सेवा (आई. पी. एस.) के
उम्मीदवारों का चयन संघ िोक सेवा आयोग करता हैं । लकसी लजिे का लजिालधकारी (किेक्टर)
उस लजिे में सरकार का सबसे महत्वपूर्य अलधकारी होता हैं और ये समान्यत: आई. ए. एस. स्तर
का अलधकारी होता हैं ।
पाके ट वीटो (Pocket Veto)
जब राष्ट्रपलत लकसी लवधेयक पर अनुमलत नहीं देता हैं और संलवधान के अनुच्छेद III के अंतगयत
पुनलवयचार को भी नहींिौटाता हैं ऐसी ल्कस्र्लत में वो पाके ट वीटो का प्रयोग करता हैं ।
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