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16 एवं 17 नवम्बर 2022 की समीक्षा-
 एफपीओ/एफपीसी की अवधारणा
 निगमि क
े लिए आवश्यक दस्तावेज
 पंजीकरण क
े बाद आवश्यक कायय
 आवश्यक प्रमुख िाइसेंस
 निदेशक मण्डि क
े सदस्यों क
े कायय एवं उत्तरदानयत्व
 सीईओ की भूलमका और जजम्मेदारी
 एफपीओ/एफपीसी का कािूिी अिुपािि
 एफपीओ/एफपीसी का प्रशासि और िेखा
 एफपीओ/एफपीसी क
े लिए प्रमुख व्यावसानयक गनतववधधयां
सुशासन ववधि
कृ षक उत्पादक कम्पिी की प्रगनत हेतु सबसे पहिे शासि ववधध को ठीक
करिा जरुरी होता हैं जजससे कायय में सहयोग एवं आसािी होती हैं इस हेतु
क
ु छ सलमनतयों का गठि कर सभी सदस्यों को अिग अिग दानयत्व देिे से
उिकी जवाब देही बिती है साथ ही प्रगनत बहुत तेजी से होती हैं -
 ववत्तीय सलमनत
 ववपणि सलमनत
 उत्पादि सलमनत
 मूलयांकि एवं अिुश्रवण सलमनत
ववत्तीय प्रबंिन कृ षक उत्पादक कम्पनी क
ै से करें?
“ववत्तीय प्रबंधि एक व्यवसाय की पररचािि गनतववधध है जो क
ु शि संचािि क
े
लिए आवश्यक धि प्राप्त करिे और प्रभावी ढंग धि का उपयोग करिे से है।”
“ववत्तीय प्रबंधि व्यवसाय प्रबंधि का क्षेत्र है जो पूंजी क
े स्रोतों क
े वववेकपूणय
उपयोग और पूंजी क
े स्रोतों क
े सावधािीपूवयक चयि (अथायत धि प्राप्त करिे
और खचय करिे) से हैं ताकक खचय इकाई को अपिे िक्ष्यों तक पहुंचिे की ददशा
में आगे बढ़िे में सक्षम बिाया जा सक
े ।”
ववत्तीय प्रबंिन की मुख्य ववशेषताएं:
 ववश्लेषणात्मक सोच:- ववत्तीय समस्याओं का ववश्िेषण और ववचार करते हुए वास्तववक
आंकडों की प्रवृवत्त को समझिा और उिका अिुपात ववश्िेषण करिे से है।
 सतत प्रक्रिया:- ववत्तीय प्रबंधक पूरे वषय होते रहिा चादहए जजससे व्यथय क
े व्यय से
बचत होती और िाभ में वृद्धध होती हैं।
 जोखिम और लाभप्रदता क
े बीच संतुलन बनाए रिना:- व्यवसाय में बडा जोखखम बडे
मुिाफ
े की उम्मीद से हैं और ववत्तीय प्रबंधि, जोखखम और िाभप्रदता क
े बीच संतुिि
बिाए से है।
 प्रक्रिया क
े बीच समन्वय:- व्यापार क
े ववलभन्ि कायों की प्रककया को सतत बिाये रखिे
या समन्वय क
े लिए ववत्तीय प्रबन्ध की अहम ् भूलमका हैं |
 क
ें द्रीकृ त प्रकृ तत:- ववत्तीय प्रबंधि एक क
ें द्रीकृ त प्रकृ नत का है। अन्य गनतववधधयों का
ववक
ें द्रीकरण ककया जा सकता है िेककि ववत्तीय प्रबंधि को िहीं है।
 ववत्तीय आवश्यकताओं का तनिाारण:- इस उद्देश्य क
े लिए ववत्तीय जरूरतों
का निधायरण करिा चादहए। प्रचार खचय, चि -अचि संपवत्त और काययशीि
पूंजी की जरूरतों को पूरा करिे की आवश्यकताएं होंगी। ववत्तीय जरूरतों का
एक गित मूलयांकि एक धचंता क
े अजस्तत्व को खतरे में डाि सकता है।
 िन क
े स्रोतों का चयन:- धि जुटािे क
े लिए कई स्रोत उपिब्ध हो सकते हैं,
परन्तु ववलभन्ि स्रोतों से संपक
य करिे में बहुत सावधािी बरतिी पडती है।
 लागत-मात्रा-लाभ ववश्लेषण:- इस उद्देश्य क
े लिए, निजश्चत िागत,
पररवतयिीय िागत और अधय-पररवतयिीय िागत का ववश्िेषण करिा होगा।
अिग-अिग बबक्री संस्करणों क
े लिए निजश्चत िागतें कम या ज्यादा जस्थर
होती हैं। बबक्री की मात्रा क
े अिुसार पररवतयिीय िागत लभन्ि होती है।
 कायाशील पूँजी प्रबंिन:- काययशीि पूंजी से तात्पयय उस फमय की पूंजी क
े उस
भाग से है जो अलपकालिक या वतयमाि पररसंपवत्तयों जैसे कक िकदी, प्राप्य,
और आववष्कारों क
े ववत्तपोषण क
े लिए आवश्यक है।
 लाभांश नीतत:- िाभांश क
ं पिी क
े शेयरों में उिक
े द्वारा ककए गए
निवेश क
े लिए शेयरधारकों का प्रनतफि है। निवेशक अपिे निवेश
पर अधधकतम िाभ अजजयत करिे में रुधच रखते हैं जबकक प्रबंधि
भववष्य क
े ववत्तपोषण क
े लिए मुिाफ
े को बिाए रखिा चाहता है।
इि ववरोधाभासी उद्देश्यों को शेयरधारकों
और क
ं पिी क
े दहतों में सामंजस्य स्थावपत करिा होगा। िाभांश िीनत
ववत्तीय प्रबंधि का एक महत्वपूणय क्षेत्र है क्योंकक शेयरधारकों क
े दहत
और क
ं पिी की जरूरतें सीधे इससे जुडी होती हैं।
 पंजी बजट:- क
ै वपटि बजदटंग, पूंजीगत व्यय में निवेश क
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िेिे की प्रकक्रया है। यह उि िाभों पर व्यय है, जजिक
े िाभ एक
वषय से अधधक की अवधध में प्राप्त होिे की उम्मीद है।
ववत्तीय प्रबंिन का काया प्रततददन तनम्नस्तरीय कमाचाररयों जैसे -
लेिाकार, रोकड़ियों, ललवपक आदद द्वारा क्रकये जाते हैं। सामान्य:
इनमें तनम्नललखित कायों को शालमल क्रकया जाना है
 रोकड प्राजप्त एवं उसक
े ववतरण का पययवेक्षण।
 रोकड शेषों को व्यवजस्थत व सुरक्षक्षत रखिा।
 प्रत्येक व्यवहार का िेखा करक
े िेखों को सुरक्षक्षत करिा।
 उधार क
े व्यवहारों का प्रबन्ध करिा।
 प्रनतभूनतयों व महऋत्त्वपूणय प्रिेखों की सुरक्षा करिा।
 पेंशि व कलयाण योजिाओं का प्रशासि।
 शीषय प्रबंधि को सूचिाएँ भेजिा।
 राजकीय नियमों का पािि करिा।
भारतीय कृ वष क
े ललए प्रमुि चुनौततयां
 कृ वष इिपुट की बढ़ती िागत
 जिवायु पररवतयि
 मािव संसाधिों की कमी
 सीलमत साधि
 कम िाभदायक िाभ
➢ जागरुकता की कमी
➢ खेत क
े संचािि में कदठि पररश्रम की अिुपजस्थनत
➢ खेती क
े लिए क
ु शि श्रलमकों की कमी
➢ ककसािों में जोखखम की कम क्षमता
➢ कृ वष उपज क
े लिए कम भंडारण सुववधाएं
➢ क
ु शि ववपणि प्रणािी की अिुपजस्थनत
उत्पाक कम्पनी में ववपणन क
े तरीक
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 कायय/उत्पाद का धचन्हांकि
 समय का निधायरण
 उपभोगक्ता का धचन्हांकि
 बाजार का धचन्हांकि
 उत्पादि िागत को कम करिा
 उत्पादि की िागत की सही गडिा
 मूलय निधायरण
 सही प्रचार प्रसार
 उपिब्धता बिाये रखिा
 उत्पादो की िई श्रखिा का निमायण आदद
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तनजी और सावाजतनक/
सरकारी क्षेत्र से ववत्तीय
सहायता
 कृ वष ववभाग
 उद्याि ववभाग
 पशुपािि ववभाग
 मत्स्य ववभाग
 िाबाडय
 SKS माइक्रोफाइिेंस लिलमटेड
 शेयर माइक्रोकफि लिलमटेड
 भारतीय समृद्धध फाइिेंस लिलमटेड
 बैंक आदद
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एफपीओ /एफपीसी में चुनौततयां
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  • 1.
  • 2. 16 एवं 17 नवम्बर 2022 की समीक्षा-  एफपीओ/एफपीसी की अवधारणा  निगमि क े लिए आवश्यक दस्तावेज  पंजीकरण क े बाद आवश्यक कायय  आवश्यक प्रमुख िाइसेंस  निदेशक मण्डि क े सदस्यों क े कायय एवं उत्तरदानयत्व  सीईओ की भूलमका और जजम्मेदारी  एफपीओ/एफपीसी का कािूिी अिुपािि  एफपीओ/एफपीसी का प्रशासि और िेखा  एफपीओ/एफपीसी क े लिए प्रमुख व्यावसानयक गनतववधधयां
  • 3. सुशासन ववधि कृ षक उत्पादक कम्पिी की प्रगनत हेतु सबसे पहिे शासि ववधध को ठीक करिा जरुरी होता हैं जजससे कायय में सहयोग एवं आसािी होती हैं इस हेतु क ु छ सलमनतयों का गठि कर सभी सदस्यों को अिग अिग दानयत्व देिे से उिकी जवाब देही बिती है साथ ही प्रगनत बहुत तेजी से होती हैं -  ववत्तीय सलमनत  ववपणि सलमनत  उत्पादि सलमनत  मूलयांकि एवं अिुश्रवण सलमनत
  • 4. ववत्तीय प्रबंिन कृ षक उत्पादक कम्पनी क ै से करें? “ववत्तीय प्रबंधि एक व्यवसाय की पररचािि गनतववधध है जो क ु शि संचािि क े लिए आवश्यक धि प्राप्त करिे और प्रभावी ढंग धि का उपयोग करिे से है।” “ववत्तीय प्रबंधि व्यवसाय प्रबंधि का क्षेत्र है जो पूंजी क े स्रोतों क े वववेकपूणय उपयोग और पूंजी क े स्रोतों क े सावधािीपूवयक चयि (अथायत धि प्राप्त करिे और खचय करिे) से हैं ताकक खचय इकाई को अपिे िक्ष्यों तक पहुंचिे की ददशा में आगे बढ़िे में सक्षम बिाया जा सक े ।”
  • 5. ववत्तीय प्रबंिन की मुख्य ववशेषताएं:  ववश्लेषणात्मक सोच:- ववत्तीय समस्याओं का ववश्िेषण और ववचार करते हुए वास्तववक आंकडों की प्रवृवत्त को समझिा और उिका अिुपात ववश्िेषण करिे से है।  सतत प्रक्रिया:- ववत्तीय प्रबंधक पूरे वषय होते रहिा चादहए जजससे व्यथय क े व्यय से बचत होती और िाभ में वृद्धध होती हैं।  जोखिम और लाभप्रदता क े बीच संतुलन बनाए रिना:- व्यवसाय में बडा जोखखम बडे मुिाफ े की उम्मीद से हैं और ववत्तीय प्रबंधि, जोखखम और िाभप्रदता क े बीच संतुिि बिाए से है।  प्रक्रिया क े बीच समन्वय:- व्यापार क े ववलभन्ि कायों की प्रककया को सतत बिाये रखिे या समन्वय क े लिए ववत्तीय प्रबन्ध की अहम ् भूलमका हैं |  क ें द्रीकृ त प्रकृ तत:- ववत्तीय प्रबंधि एक क ें द्रीकृ त प्रकृ नत का है। अन्य गनतववधधयों का ववक ें द्रीकरण ककया जा सकता है िेककि ववत्तीय प्रबंधि को िहीं है।
  • 6.  ववत्तीय आवश्यकताओं का तनिाारण:- इस उद्देश्य क े लिए ववत्तीय जरूरतों का निधायरण करिा चादहए। प्रचार खचय, चि -अचि संपवत्त और काययशीि पूंजी की जरूरतों को पूरा करिे की आवश्यकताएं होंगी। ववत्तीय जरूरतों का एक गित मूलयांकि एक धचंता क े अजस्तत्व को खतरे में डाि सकता है।  िन क े स्रोतों का चयन:- धि जुटािे क े लिए कई स्रोत उपिब्ध हो सकते हैं, परन्तु ववलभन्ि स्रोतों से संपक य करिे में बहुत सावधािी बरतिी पडती है।  लागत-मात्रा-लाभ ववश्लेषण:- इस उद्देश्य क े लिए, निजश्चत िागत, पररवतयिीय िागत और अधय-पररवतयिीय िागत का ववश्िेषण करिा होगा। अिग-अिग बबक्री संस्करणों क े लिए निजश्चत िागतें कम या ज्यादा जस्थर होती हैं। बबक्री की मात्रा क े अिुसार पररवतयिीय िागत लभन्ि होती है।  कायाशील पूँजी प्रबंिन:- काययशीि पूंजी से तात्पयय उस फमय की पूंजी क े उस भाग से है जो अलपकालिक या वतयमाि पररसंपवत्तयों जैसे कक िकदी, प्राप्य, और आववष्कारों क े ववत्तपोषण क े लिए आवश्यक है।
  • 7.  लाभांश नीतत:- िाभांश क ं पिी क े शेयरों में उिक े द्वारा ककए गए निवेश क े लिए शेयरधारकों का प्रनतफि है। निवेशक अपिे निवेश पर अधधकतम िाभ अजजयत करिे में रुधच रखते हैं जबकक प्रबंधि भववष्य क े ववत्तपोषण क े लिए मुिाफ े को बिाए रखिा चाहता है। इि ववरोधाभासी उद्देश्यों को शेयरधारकों और क ं पिी क े दहतों में सामंजस्य स्थावपत करिा होगा। िाभांश िीनत ववत्तीय प्रबंधि का एक महत्वपूणय क्षेत्र है क्योंकक शेयरधारकों क े दहत और क ं पिी की जरूरतें सीधे इससे जुडी होती हैं।  पंजी बजट:- क ै वपटि बजदटंग, पूंजीगत व्यय में निवेश क े निणयय िेिे की प्रकक्रया है। यह उि िाभों पर व्यय है, जजिक े िाभ एक वषय से अधधक की अवधध में प्राप्त होिे की उम्मीद है।
  • 8. ववत्तीय प्रबंिन का काया प्रततददन तनम्नस्तरीय कमाचाररयों जैसे - लेिाकार, रोकड़ियों, ललवपक आदद द्वारा क्रकये जाते हैं। सामान्य: इनमें तनम्नललखित कायों को शालमल क्रकया जाना है  रोकड प्राजप्त एवं उसक े ववतरण का पययवेक्षण।  रोकड शेषों को व्यवजस्थत व सुरक्षक्षत रखिा।  प्रत्येक व्यवहार का िेखा करक े िेखों को सुरक्षक्षत करिा।  उधार क े व्यवहारों का प्रबन्ध करिा।  प्रनतभूनतयों व महऋत्त्वपूणय प्रिेखों की सुरक्षा करिा।  पेंशि व कलयाण योजिाओं का प्रशासि।  शीषय प्रबंधि को सूचिाएँ भेजिा।  राजकीय नियमों का पािि करिा।
  • 9. भारतीय कृ वष क े ललए प्रमुि चुनौततयां  कृ वष इिपुट की बढ़ती िागत  जिवायु पररवतयि  मािव संसाधिों की कमी  सीलमत साधि  कम िाभदायक िाभ ➢ जागरुकता की कमी ➢ खेत क े संचािि में कदठि पररश्रम की अिुपजस्थनत ➢ खेती क े लिए क ु शि श्रलमकों की कमी ➢ ककसािों में जोखखम की कम क्षमता ➢ कृ वष उपज क े लिए कम भंडारण सुववधाएं ➢ क ु शि ववपणि प्रणािी की अिुपजस्थनत
  • 10. उत्पाक कम्पनी में ववपणन क े तरीक े  कायय/उत्पाद का धचन्हांकि  समय का निधायरण  उपभोगक्ता का धचन्हांकि  बाजार का धचन्हांकि  उत्पादि िागत को कम करिा  उत्पादि की िागत की सही गडिा  मूलय निधायरण  सही प्रचार प्रसार  उपिब्धता बिाये रखिा  उत्पादो की िई श्रखिा का निमायण आदद
  • 11. mRiknd dEiuh esa foi.ku ds vUrZxr fd;s tkus okys dk;Z  miHkksDrk dh vko”;drk dks le>uk A  miHkksDrk dh vko”;drk ds vuq:i mRikn rS;kj djukA  miHkksDrk dks mRiknd dEiuh ds mRikn ls voxr djkukA  cktkj ds eq[; ?kVd] mRikn] iSdsftax] ewY;] lEc/kZu o LFkku dk fo”ys’k.kA  miHkksDrk dks mRikn ds miHkksx ds fy;s mRlkfgr djukA  izfrLi/kkZ esa “kkfey gksukA
  • 12. foi.ku ek/;e fcØ; dsUnz lh/kh fcØh Mhyj ,stsUV [kqyk cktkj lgdkjh cktkj
  • 13. foi.ku gsrq cktkj dh LFkkiuk ds fy;s vko”;d dk;Z  buiqV vkSj vkmViqV ekdsZV fyadst  cktkj dh dherksa dk fu;fer vkadyu o lwpuk dks va”k/kkjdksa rd igWqpkuk  daiuh],tsalh ,oa O;kikfj;ksa ds e/; vuqcU/k  fcØh dj] vk;dj] ,th ekdZ ds lkFk buiqV vkSj vkmViqV dh [kjhn
  • 14. तनजी और सावाजतनक/ सरकारी क्षेत्र से ववत्तीय सहायता  कृ वष ववभाग  उद्याि ववभाग  पशुपािि ववभाग  मत्स्य ववभाग  िाबाडय  SKS माइक्रोफाइिेंस लिलमटेड  शेयर माइक्रोकफि लिलमटेड  भारतीय समृद्धध फाइिेंस लिलमटेड  बैंक आदद
  • 15.
  • 17.
  • 18.
  • 19.
  • 20.
  • 21.
  • 22.
  • 23.
  • 24.
  • 25.
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  • 27.
  • 28.
  • 29.
  • 30. एफपीओ /एफपीसी में चुनौततयां