1. न पूछो जमाने को, क्या हमारी कहानी है
हमारी पहचान तो इतनी है, की हम सिर्
फ सहन्दुस्तानी है
आज ही कहानी एक ऐिे सहन्दुस्तानी की
नौजवानोों को देश की आजादी प्रेररत सकया
बल्कि आज भी उनक
े कहे हुए शब्द देश क
े युवाओों में राष्ट्रभल्कि की
भावना को बढ़ाते है
शहीदे आजम भगत सिोंह
2. कहानी का सशरा शुरू होता है
8 अप्रैल 1929
भगत सिोंह और बटुक
े श्वर दत्ता
सदल्ली क
े िेंटर ल लेसजस्लेसटव अिेंबली हॉल में बम र्
ें का।
purn Swaraaj
सगरफ्तार
14th Feb 1931
बटुक
े श्वर दत्ता- आजीवन कारावाि
भगत सिोंह , राज गुरु और िुखदेव - फ़ािी की िजा
(SANDER’S Murder case)
3. युवाओों में जनाक्रोश
Congress Working Committee
7th March 1931- Gandhi Irwin
गाोंधी ने 17,19,20 माचफ को इरसवन िे मुलाकात की
Firstly Irwin Denied but in later days viewing युवाओों में
जनाक्रोश
इरसवन उनकी िजा को माफ़ करने को राजी हो गया लेसकन शतफ :
मार्ीनामा
Asaf Ali to Lahore
But भगत सिोंह , राज गुरु और िुखदेव –Denied to do so
4. सलख रहा हूँ अोंजाम, सजिका कल आगाज आएगा
मेरे लह का हर एक कतरा, इोंकलाब लाएगा
मार्ीनामा की जगह फ़ािी चुनने की बात Jungle में आग की तरह फ़
ै ल गयी
हजारोों की िोंख्या में नौजवान लाहौर जेल क
े बहार जमा होने लगे
English got afraid and hanged them one day before
23 Years old lad
हस्ते हस्ते फ़ािी क
े र्
ों दे को चुम सलया
5. जब तक था उिका मुछो प हाथ
इकलोता वो ही था पुरे देश में आज़ाद
सजि सदन थमी उिने देश की खासतर अपनी िाोंि
जल उठी सचोंगारी देश करने को आज़ाद